Psalms 60
1 हे परमेश्वर, तूने हमें त्याग दिया; तूने हमें छिन्न-भिन्न कर दिया; तू क्रोधित था; अब हमें पुन: स्थापित कर।
2 तूने धरती को कंपा दिया; तूने उसे फाड़ दिया; अब उसकी दरारों को भर दे; क्योंकि वह डगमगा रही है।
3 तूने अपने निज लोगों को दुर्दिन दिखाए; तूने हमें लड़खड़ाने वाली मदिरा पिलाई।
4 तूने अपने भक्तों को पलायन सूचक झण्डा दिया है कि वे विनाश के पूर्व भाग जाएं। सेलाह
5 तू अपने भुजबल से हमें बचा; हमें उत्तर दे, जिससे तेरे प्रियजन मुक्त किए जाएँ।
6 परमेश्वर ने अपनी पवित्रता में यह कहा है, “मैं प्रसन्न होकर शकेम को विभाजित करूंगा; और सूक्कोत घाटी को नाप दूंगा;
7 गिलआद प्रदेश मेरा है; और मनश्शे प्रदेश भी मेरा है; एफ्रइम प्रदेश मेरा शिरस्त्राण है; यहूदा प्रदेश मेरा राजदण्ड है।
8 किन्तु मोआब राष्ट्र मेरी चिलमची है; एदोम राष्ट्र मेरे पैर के नीचे होगा; पलिश्ती राष्ट्र पर मैं जयघोष करूंगा।
9 कौन मुझे सुदृढ़ नगर में पहुंचाएगा? कौन मुझे एदोम तक ले चलेगा?”
10 हे परमेश्वर, क्या तूने हमारा परित्याग नहीं किया है? हे परमेश्वर, तू हमारी सेना के साथ क्यों नहीं जाता?
11 शत्रु के विरुद्ध हमारी सहायता कर; क्योंकि मनुष्य की सहायता व्यर्थ है।
12 परमेश्वर का साथ होने पर हम वीरता से लड़ेगे; क्योंकि परमेश्वर ही हमारे शत्रुओं को कुचलेगा।