Psalms 59
1 हे मेरे परमेश्वर, मेरे शत्रुओं से मुझे मुक्त कर; मेरे विरुद्ध खड़े होने वालों से मेरी रक्षा कर।
2 तू कुकर्मियों से मुझे मुक्त कर; तू रक्त-पिपासुओं से मेरी रक्षा कर।
3 वे मेरे प्राण के लिए घात लगाते हैं; शक्तिवान मेरे विरुद्ध एकत्र होते हैं। यद्यपि, हे प्रभु, मेरा कोई अपराध नहीं है। मैं ने कोई पाप नहीं किया है।
4 मेरा कोई दोष नहीं, तोभी वे धावा करते हैं; वे लड़ने को तैयार रहते हैं। मेरी पुकार पर जाग; आ, और यह देख।
5 हे स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु परमेश्वर! तू ही इस्राएल का परमेश्वर है। समस्त राष्ट्रों को दंड देने के लिए जाग। किसी भी विश्वासघाती कुकर्मी पर दया मत करना। सेलाह
6 वे संध्या को लौटते और कुत्ते के समान गुर्राते हैं; वे नगर की परिक्रमा करते हैं।
7 देख, वे अपने मुंह से डकार रहे हैं। उनके मुंह में तलवारें हैं; वे यह कहते हैं, “कौन सुनता है?”
8 किन्तु, प्रभु, तू उन पर हंसता है; तू समस्त राष्ट्रों का उपहास करता है।
9 हे मेरे बल, मैं तेरी स्तुति गाऊंगा; परमेश्वर, तू ही मेरा सुदृढ़ गढ़ है।
10 मेरा परमेश्वर अपनी करुणा के साथ मुझसे मिलेगा, परमेश्वर की कृपा से मैं अपने शत्रुओं पर विजयपूर्ण दृष्टिपात करूंगा।
11 क्या तू उनका वध नहीं करेगा? ऐसा न हो कि मेरी प्रजा भूल जाए; हे स्वामी, हमारी ढाल! उन्हें अपनी सेना द्वारा छिन्न-भिन्न कर दे, उनका पतन कर दे।
12 उनके मुंह के पाप, उनके ओंठों के शब्दों के कारण वे स्वयं अपने अहंकार में फंस जाएं। शाप देने और झूठ बोलने के कारण
13 उन्हें क्रोध से भस्म कर दे; तू उन्हें भस्म कर कि वे शेष न रहें; जिससे मनुष्य जानें कि परमेश्वर पृथ्वी के सीमान्त तक इस्राएली कौम पर राज्य करता है। सेलाह
14 वे संध्या को लौटते और कुत्ते के समान गुर्राते हैं; वे नगर की परिक्रमा करते हैं।
15 वे भोजन के लिए भटकते-फिरते हैं; यदि वे तृप्त न हों तो गुर्राते हैं।
16 मैं तेरे सामर्थ्य के गीत गाऊंगा; प्रात: मैं तेरी करुणा का जयजयकार करूंगा, क्योंकि तू मेरे लिए सुदृढ़ गढ़ था; मेरे संकट के लिए तू शरण-स्थल था।
17 हे मेरे बल, मैं तेरी स्तुति गाऊंगा; क्योंकि, परमेश्वर, तू मेरा सुदृढ़ गढ़ है; परमेश्वर, तू मुझ पर करुणा करता है।