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Isaiah 30

:
Hindi - CLBSI
1 प्रभु कहता है; “ओ विद्रोही पुत्रो, धिक्‍कार है तुम्‍हें! तुम योजना तो बनाते हो, परन्‍तु मेरी सम्‍मति से नहीं; तुम सन्‍धि तो करते हो, पर मेरे आत्‍मा की प्रेरणा से नहीं। यों तुम पाप पर पाप करे रहे हो।
2 तुमने मिस्र देश जाने के लिए, वहां फरओ की रक्षा में आश्रय लेने के लिए, मिस्र की छत्र-छाया में शरण लेने के लिए प्रस्‍थान किया, और मेरे मुख−नबी−से पूछा तक नहीं!
3 अत: फरओ का आश्रय-स्‍थल तुम्‍हारे अपमान का कारण बनेगा; मिस्र देश की छत्र-छाया के कारण तुम्‍हारे सम्‍मान को ठेस लगेगी।
4 फरओ के सामन्‍त सोअन नगर में हैं, और उसके दूत हानेस नगर पहुंच चुके हैं।
5 तुम अपने साथ उपहार ले जा रहे हो, ऐसी कौम के लिए, जिससे तुम्‍हें कोई लाभ होगा; वह तुम्‍हारी मदद कर सकती है और तुम्‍हें कोई लाभ पहुंचा सकती है। वह लज्‍जा और अपमान ही तुम्‍हें दे सकती है!”
6 नेगेब क्षेत्र के जानवरों के विषय में नबूवत: मिस्र देश को जानेवाले राजदूत, अपनी धन-सम्‍पत्ति गधों की पीठ पर लादे, अपने खजाने को ऊंटों के कोहान पर रखे, संकट और कष्‍टप्रद नेगेब प्रदेश से गुजरते हैं, जो सिंह और सिंहनी का इलाका है, जहाँ सांप और उड़नेवाले सर्प पाए जाते हैं। वे ऐसी कौम के पास जा रहे हैं जिससे उन्‍हें कोई लाभ होगा!
7 मिस्र देश की सहायता व्‍यर्थ और निस्‍सार है; अत: मैंने उसका नाम “निठल्‍ला रहब” रखा है।
8 अब जा, उनके सम्‍मुख एक पट्टी पर यह संदेश अंकित कर, एक पुस्‍तक में यह लिख, ताकि आनेवाली पीढ़ियों के लिए सदा-सर्वदा तक साक्षी बनी रहे।
9 क्‍योंकि यह विद्रोही कौम है, झूठी संतान है, ये प्रभु की शिक्षा सुननेवाले पुत्र हैं।
10 ये द्रष्‍टाओं को आदेश देते हैं: “परमेश्‍वर के दर्शन मत देखो;” और दर्शियों से कहते हैं, “जो कटु सत्‍य है उसकी नबूवत हम से मत करो। हमें मीठी-मीठी बातें सुनाओ, हमसे मिथ्‍या भविष्‍यवाणी कहो।
11 नबियो, मार्ग छोड़ दो, रास्‍ते से हट जाओ। इस्राएल के पवित्र परमेश्‍वर के विषय में हमें और सुनाओ।”
12 अत: इस्राएल का पवित्र परमेश्‍वर यों कहता है: “तुमने मेरे संदेश को तुच्‍छ समझा; तुम अत्‍याचार और कुटिलता पर भरोसा करते हो, तुम अत्‍याचार और कुटिलता का सहारा लेते हो;
13 इस कारण तुम्‍हारा यह अनिष्‍ट होगा: जैसे एक ऊंची दीवार का कुछ भाग टूट कर आगे निकल आता है, और गिरनेवाला होता है; अचानक, क्षण-भर में टूटकर गिर पड़ता है, ऐसी ही दशा तुम्‍हारी होगी।
14 तुम कुम्‍हार के पात्र के सदृश निर्दयता से पटक कर चकनाचूर किए जाओगे; जैसे उसके टुकड़ों में एक भी ठीकरी नहीं मिलती, जिससे चूल्‍हे में से आग निकाली जा सके, या कुण्‍ड में से पानी निकाला जा सके, वैसे ही विनाश के बाद तुम्‍हारा पता नहीं चलेगा।”
15 इस्राएल का पवित्र परमेश्‍वर, प्रभु, स्‍वामी यों कहता है: “लौट आने और शान्‍त रहने से ही तुम्‍हारी रक्षा होगी, चुप रहने और भरोसा करने में ही तुम्‍हारी शक्‍ति है।” पर तुमने ऐसा नहीं किया।
16 तुमने कहा, “नहीं, हम घोड़ों पर बैठकर अविलम्‍ब जाएंगे।” अत: तुम्‍हारा विनाश अविलम्‍ब होगा। तुमने कहा, “हम द्रुतगामी घोड़ों पर बैठकर जाएंगे।” अत: तुम्‍हारा पीछा करनेवाले द्रुतगामी होंगे।
17 एक शत्रु-सैनिक के डर से तुम्‍हारे एक हजार सैनिक भागेंगे; पाँच शत्रु-सैनिकों के डराने से तुम सब भागोगे, और तब तक भागते रहोगे जब तक तुम पर्वत-शिखर पर गड़े झंडे के समान अकेले, पहाड़ी की चोटी पर गड़ी अकेली पताका के सदृश नगण्‍य रह जाओ।
18 प्रभु अब भी प्रतीक्षा कर रहा है कि तुम प्रायश्‍चित करो, और वह तुम कर कृपा करे। वह तुम पर दया करने को तत्‍पर है। प्रभु न्‍याय करनेवाला परमेश्‍वर है। धन्‍य हैं वे, जो उसकी प्रतीक्षा करते हैं।
19 सियोन के लोगो, यरूशलेम नगर में रहनेवालो, तुम अब नहीं रोओगे; तुम्‍हारी दुहाई की पुकार सुनकर प्रभु तुम पर निस्‍सन्‍देह कृपा करेगा। जब वह उसको सुनेगा तब निश्‍चय ही वह तुम्‍हें उत्तर देगा।
20 यद्यपि स्‍वामी ने तुम्‍हें कष्‍ट की रोटी खिलाई और दु:ख का पानी पिलाया; तो भी प्रभु, तुम्‍हारा गुरु तुमसे स्‍वयं को फिर कभी नहीं छिपाएगा! तुम स्‍वयं अपनी आंखों से अपने गुरु के दर्शन करोगे!
21 जब तुम सत्‍य मार्ग से दाएं-बाएं भटकोगे तब तुम्‍हारे कानों में पीछे से यह आवाज सुनाई देगी; “सत्‍य मार्ग यही है, इस पर चलो!”
22 तुम देवी-देवताओं की सोना-चांदी से मढ़ी हुई मूर्तियां अशुद्ध करोगे, और उन्‍हें कचरे की तरह फेंक दोगे। तुम उनसे यह कहोगे, “हटो यहां से।”
23 प्रभु तुम्‍हारे खेतों में बोए हुए बीजों के लिए समय पर वर्षा करेगा, और तुम्‍हारे खेतों में खूब फसल होगी, भरपूर उपज उत्‍पन्न होगी। उस दिन तुम्‍हारे पशु बड़े-बड़े चरागाहों में घास चरेंगे।
24 खेत में काम करनेवाले बैल और गधे सूप और डलिया से फटकी हुई भूसी नमक के साथ खाएंगे।
25 उस महासंहार के दिन जब बुर्ज गिर जाएंगे, तब प्रत्‍येक ऊंचे पहाड़ पर, हर एक ऊंची पहाड़ी पर बहते हुए झरने फूटेंगे।
26 उस दिन जब प्रभु अपने निज लोगों की चोटों की मरहम पट्टी करेगा। जब वह उनके घावों को स्‍वस्‍थ करेगा जो उसके प्रहार से हुए थे, तब चन्‍द्रमा का प्रकाश सूर्य के प्रकाश के सदृश हो जाएगा, और सूर्य का प्रकाश सात गुना तेज होगा, सप्‍ताह भर का सम्‍मिलित प्रकाश एक दिन में होगा!
27 देखो, प्रभु दूर से रहा है, उसकी क्रोधाग्‍नि प्रज्‍वलित है; धुएं का बादल उठ रहा है। उसके ओंठ क्रोध से फड़क रहे हैं, उसकी जीभ भस्‍मकारी ज्‍वाला के समान लपलपा रही है!
28 उसका श्‍वास उमड़ती हुई नदी के समान है, जिसकी बाढ़ में लोग गले तक डूब जाते हैं। वह विनाश की छलनी से राष्‍ट्रों को छानता हुआ, कौमों के जबड़ों में पथभ्रष्‍ट करनेवाली लगाम लगाता हुआ रहा है।
29 जैसे पवित्र पर्व की रात में तुम गीत गाते हो, वैसे ही तुम उस दिन गीत गाओगे। जैसे प्रभु के पर्वत, इस्राएल की चट्टान पर आनेवाला तीर्थयात्री मार्ग में बांसुरी बजाता हुआ आनन्‍द मनाता है, वैसे ही तुम हृदय से आनन्‍द मनाओगे।
30 उस दिन प्रभु अपने भक्‍तों को अपनी तेजस्‍वी वाणी सुनाएगा और पृथ्‍वी की ओर नीचे आती हुई अपनी शक्‍तिशाली भुजा के दर्शन कराएगा। वह प्रचण्‍ड क्रोध, भस्‍मकारी ज्‍वाला, मेघों की गड़गड़ाहट, तूफान और ओलों की वर्षा में यह कार्य करेगा।
31 प्रभु अपने डण्‍डे से असीरियाई सेना पर प्रहार करेगा, और सैनिक उसकी आवाज सुनकर आतंक से थर्रा उठेंगे।
32 प्रभु के डण्‍डे का प्रहार, जिससे वह उन्‍हें दण्‍ड देगा और उन पर आघात करेगा, डफ और सितार की ध्‍वनि के साथ होगा। वह हाथ घुमा-घुमा कर उनसे लड़ता रहेगा।
33 बहुत समय से एक चिता तैयार है। वह राजा के लिए तैयार की गई है यह चिता गहरी और चौड़ी बनाई गई है। उस पर बहुत ईंधन और आग जमा है। प्रभु का श्‍वास जलते हुए गंधक की धारा की तरह उसे सुलगाएगा।