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Isaiah 29

:
Hindi - CLBSI
1 सावधान, यरूशलेम नगर! तुझमें ही दाऊद ने पड़ाव डाला था। एक अथवा दो वर्ष गुजर जाने दे; जब उत्‍सवों का चक्र गुजर जाएगा,
2 तब मैं तुझको संकट में डालूंगा। नगर में शोक मनाया जाएगा; हर जगह रोना-पीटना होगा, तू निस्‍सन्‍देह मेरे क्रोध का अग्‍निकुण्‍ड बन जाएगा।
3 मैं दाऊद के सदृश तेरे विरुद्ध चारों ओर पड़ाव डालूंगा; बुर्ज बनाकर तुझे घेरूंगा; मैं तेरे विरोध में मोर्चाबन्‍दी करूंगा।
4 तेरा पतन होगा: तू पाताल से बोलेगा, मिट्टी के नीचे तेरी आवाज सुनाई देगी। भूत-प्रेत की आवाज के सदृश तेरी आवाज पाताल से आएगी; मिट्टी के नीचे से तेरे शब्‍द फुसफुसाहट के रूप में निकलेंगे।
5 तेरा शत्रु-दल बारीक रेत-कणों के सदृश बिखर जाएगा; निर्दयी आक्रमणकारियों का समुदाय भूसे के सदृश उड़ जाएगा। पलक झपकते, अचानक
6 स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु का आगमन होगा; बादल गरजेंगे, भूकम्‍प होगा, महानाद सुनाई देगा। बवंडर उठेगा, तूफान आएगा। भस्‍म करनेवाली अग्‍निज्‍वाला प्रकट होगी; और प्रभु तुझे दण्‍ड देगा।
7 यरूशलेम नगर, तुझसे युद्ध करनेवाले सब राष्‍ट्रों का समुदाय, तुझे और तेरे गढ़ को घेरकर तुझसे लड़नेवाले सब शत्रु, जो तुझे कष्‍ट देते हैं, वे रात में देखे गए स्‍वप्‍न के सदृश, लुप्‍त हो जाएंगे।
8 उनकी दशा वैसी होगी जैसी भूखे व्यक्‍ति की होती है: जब वह रात में स्‍वप्‍न देखता है कि वह भोजन कर रहा है, किन्‍तु जागने पर उसकी भूख शान्‍त नहीं होती! अथवा जैसी प्‍यासे व्यक्‍ति की होती है: जब वह रात में स्‍वप्‍न देखता है कि वह पानी पी रहा है, किन्‍तु जागने पर वह मूर्छित हो जाता है, क्‍योंकि उसकी प्‍यास बुझी नहीं होती! यही दशा उन सब राष्‍ट्रों के समुदाय की होगी जो सियोन पर्वत के विरुद्ध युद्ध करते हैं।
9 अरे यहूदा प्रदेश के निवासियो, अवाक् हो, और अवाक् ही बने रहो! अपनी आंखें फोड़ लो, और अन्‍धे हो जाओ! मतवाले हो, पर मदिरा पीकर नहीं; लड़खड़ाओ, लेकिन शराब पीकर नहीं!
10 प्रभु ने तुम पर घोर आलस्‍य की आत्‍मा प्रेषित की है! उसने नबियों को, जो तुम्‍हारे नेत्र थे, बन्‍द कर दिया; तुम्‍हारे द्रष्‍टाओं पर, जो तुम्‍हारे मस्‍तिष्‍क थे, परदा डाल दिया!
11 अब दर्शन की ये सब बातें तुम्‍हारे लिए मुहरबन्‍द पुस्‍तक के शब्‍द बन गई हैं। जब तुम किसी पढ़े-लिखे व्यक्‍ति को पुस्‍तक देते और उससे कहते हो, “इसको पढ़ो,” तब वह तुमसे कहता है, “यह मुहरबन्‍द है, मैं इसको नहीं पढ़ सकता।”
12 जब तुम किसी अनपढ़ व्यक्‍ति को पुस्‍तक देते, और उससे कहते, “इसको पढ़,” तब वह तुम से कहता है, “मैं अनपढ़ हूं, पढ़ नहीं सकता।”
13 स्‍वामी ने यह कहा, “ये लोग केवल मुंह से मेरी आराधना करते हैं, केवल ओंठों से मेरा सम्‍मान करते हैं; किन्‍तु इनका हृदय मुझसे दूर है। ये दूसरों के आदेश से मेरी भक्‍ति करते हैं; इनकी भक्‍ति रटी-रटाई, सीखी हुई है।
14 अत: मैं इन लोगों के मध्‍य पुन: आश्‍चर्य कर्म, अद्भुत कार्य करूंगा: इनके बुद्धिमान लोगों की बुद्धि नष्‍ट हो जाएगी, समझदार व्यक्‍तियों की समझ को पाला मार जाएगा।”
15 धिक्‍कार है उन्‍हें, जो अपनी योजना को गहरे अन्‍धकार में प्रभु से छिपाते हैं, जो अन्‍धेरे में काम करते हैं, और यह सोचते हैं, “हमें कौन देखता है? हमें कौन जानता है?”
16 उलटी समझवालो! क्‍या कुम्‍हार की गणना मिट्टी के बराबर की जाएगी? क्‍या बनाई गई वस्‍तु अपने बनाने वाले से यह कह सकती है; “तूने मुझे नहीं बनाया”? क्‍या रची गई वस्‍तु अपने रचने वाले से यह कह सकती है, “तुझ में समझ नहीं?”
17 निस्‍सन्‍देह कुछ ही समय के पश्‍चात् लबानोन का जंगल उपजाऊ मैदान में बदल जाएगा, और उपजाऊ मैदान घने जंगल में!
18 उस दिन बहरा व्यक्‍ति पुस्‍तक के शब्‍द सुनेगा, और अन्‍धे व्यक्‍ति की आंखें गहन अन्‍धकार में देखेंगी!
19 पीड़ित व्यक्‍ति प्रभु में अधिकाधिक आनन्‍दित होंगे, समाज का सर्वाधिक दरिद्र मनुष्‍य इस्राएल के पवित्र परमेश्‍वर में हर्षित होगा;
20 क्‍योंकि निर्दय मनुष्‍य निर्मल हो जाएंगे। धर्म-निन्‍दक शेष बचेंगे; दुष्‍कर्म करने को सदा तैयार व्यक्‍ति नष्‍ट हो जाएंगे।
21 जो मनुष्‍यों को शब्‍दों में फंसाते हैं, जो अदालत में न्‍याय करनेवाले के लिए जाल रचते हैं, और जो झूठे तर्कों के द्वारा सच्‍चे मनुष्‍य को परास्‍त करते हैं, वे सब मिट जाएंगे।
22 अत: प्रभु, अब्राहम का मुक्‍तिदाता, याकूब के वंशजों का परमेश्‍वर, यों कहता है: “अब याकूब का वंश लज्‍जित नहीं होगा, अपमान के कारण उसका मुख काला नहीं होगा।
23 वह अपने मध्‍य में किए गए मेरे हस्‍तकार्य को देखेगा और मेरे नाम को पवित्र बनाए रखेगा। निस्‍सन्‍देह वह याकूब के पवित्र परमेश्‍वर की पवित्रता बनाए रखेगा, और इस्राएल के परमेश्‍वर की भक्‍ति करेगा।
24 भटकी हुई आत्‍माएं समझ को सीखेंगी, और धर्म-विद्रोही भी धार्मिक शिक्षा ग्रहण करेंगे।”