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Hosea 2

:
Hindi - CLBSI
1 तुम अपने जाति-भाइयों को इस नाम से सम्‍बोधित करो, ‘अम्‍मी’, ‘मेरे अपने लोग’! तुम अपनी बहिनों को इस नाम से सम्‍बोधित करो: ‘रूहामाह’, ‘जिन पर दया की गई’।
2 मेरे बच्‍चो, अपनी मां इस्राएल को समझाओ; वह मेरी पत्‍नी नहीं रही, और मैं उसका पति। उसे समझाओ कि वह अपने चेहरे से वेश्‍यापन दूर करे; और अपने स्‍तनों के मध्‍य से वेश्‍यावृत्ति के चिह्‍नों को!
3 अन्‍यथा मैं उसके कपड़े उतार कर उसको नग्‍न कर दूंगा, जैसे वह नग्‍न थी, उस दिन जब वह पैदा हुई थी! मैं उसे उजाड़ प्रदेश के सदृश उजाड़ दूंगा; शुष्‍क प्रदेश के सदृश सुखा दूंगा; मैं उसे एक-एक बूंद पानी के लिए तड़पाकर मार डालूंगा।
4 मैं उसकी सन्‍तान पर भी दया नहीं करूंगा; क्‍योंकि वे जारज सन्‍तान हैं।
5 उनकी मां वेश्‍या थी; उनकी जननी निर्लज्‍ज थी। उनकी मां ने यह कहा था, ‘मैं अपने प्रेमियों के साथ अभिसार करूंगी। वे ही तो मुझे रोटी देते हैं, पीने को पानी देते हैं; ऊन, पटसन, तेल और पेय भी उन्‍हीं की कृपा से मुझे प्राप्‍त होते हैं।’
6 अत: मैं उसके मार्ग में कांटे बोऊंगा; उसके मार्ग में बाधा की दीवार खड़ी करूंगा; ताकि वह अपने अभिसार-मार्ग पर जा सके।
7 वह अपने प्रेमियों का पीछा करेगी, पर वह उन्‍हें पकड़ पाएगी, वह उन्‍हें खोजेगी, पर वह उन्‍हें पा सकेगी। तब वह यह कहेगी: ‘मैं अपने पुराने पति के पास लौट जाऊंगी; क्‍योंकि मेरी उस समय की स्‍थिति आज की स्‍थिति से अच्‍छी थी।’
8 वह नहीं जानती थी कि मैं ही उसको अन्न, अंगूर-रस और तेल देता था। मैंने ही उसके सोना-चांदी की समृद्धि की थी, जिसको उन्‍होंने बअल देवता के लिए प्रयुक्‍त किया।
9 अत: अब मैं अन्न-ऋतु में अन्न, अंगूर-मौसम पर अंगूर की फसल उसे नहीं दूंगा। जिस ऊन और पटसन वस्‍त्र से वह अपनी नग्‍नता ढांपती है, उसको मैं वापस ले लूंगा।
10 अब मैं उसके प्रेमियों के सम्‍मुख उसके तन को उघाड़ूंगा, मेरे हाथ से उसे कोई छुड़ा सकेगा।
11 उसके आनन्‍द-उत्‍सवों का, यात्रा-पर्वों, नवचंद्र-पर्वों, विश्राम-दिवसों और सब निर्धारित पर्वों का मैं अन्‍त कर दूंगा।
12 जिन अंगूर-उद्यानों और अंजीर-कुंजों के विषय में उसने यह कहा था, ‘यह मेरी कमाई है, मेरे प्रेमियों ने मुझे यह उपहार में दिया है’, उनको मैं उजाड़ दूंगा, जंगल बना दूंगा, जंगली जानवर उनको चर जाएंगे।
13 बअल देवताओं के पर्व-दिवसों पर उसने उनके लिए धूप-द्रव्‍य जलाए थे; उसने नत्‍थ और हार पहिनकर स्‍वयं को सजाया था; और मुझ-प्रभु को भूलकर अपने प्रेमियों से अभिसार करने गई थी। मैं उसको इन सब कार्यों के लिए दण्‍ड दूंगा। यह प्रभु की वाणी है
14 देख, अब मैं उसे मोहित करके, निर्जन प्रदेश में ले जाऊंगा; मैं वहाँ उससे प्रेम से बातें करूंगा।
15 वहाँ उसके अंगूर-उद्यान उसे लौटा दूंगा; मैं कष्‍ट की घाटी को आशा के द्वार में बदल दूंगा। वहाँ वह मेरे प्रेम का प्रत्‍युत्तर देगी; जैसे वह किशोरावस्‍था में मुझे प्रत्‍युत्तर देती थी, जब वह मिस्र देश से बाहर निकली थी।
16 उस दिन वह मुझे ‘मेरा पति’ कहेगी; और मुझे ‘मेरा बअल’ नाम से फिर कभी नहीं पुकारेगी।
17 मैं उसके ओंठों पर से बअल देवताओं का नाम हटा दूंगा। उनका नाम फिर कभी स्‍मरण नहीं किया जाएगा। यह प्रभु की वाणी है।
18 तब मैं उस दिन इस्राएली राष्‍ट्र की ओर से वन-पशुओं, आकाश के पक्षियों और भूमि पर रेंगनेवाले जीव-जंतुओं से सन्‍धि स्‍थापित करूंगा। मैं पृथ्‍वी पर से युद्ध के शस्‍त्र, तलवार और धनुष तोड़ दूंगा। मैं तुझे सुख-चैन की नींद प्रदान करूंगा।
19 मैं तेरे साथ शाश्‍वत विवाह-सम्‍बन्‍ध स्‍थापित करूंगा। तेरे साथ धार्मिकता, न्‍याय, करुणा और दया के बन्‍धन में विवाह-सम्‍बन्‍ध स्‍थापित करूंगा।
20 मैं तुझसे सच्‍चाई के साथ विवाह करूंगा। तब तुझे मुझ-प्रभु का अनुभव प्राप्‍त होगा।
21 प्रभु की यह वाणी है: मैं उस दिन आकाश को आदेश दूंगा, और आकाश पृथ्‍वी पर वर्षा करेगा।
22 तब पृथ्‍वी अन्न, अंगूर-रस और तेल उत्‍पन्न करेगी, और वे यिज्रएल को समृद्ध करेंगे।
23 मैं इस्राएली राष्‍ट्र को स्‍वयं भूमि पर बोऊंगा। मैं लो-रूहामाह पर दया करूंगा। मैं लो-अम्‍मी से यह कहूंगा: ‘तू मेरा अपना है ’; और वह मुझसे यह कहेगा, ‘तू मेरा परमेश्‍वर है।’