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Psalms 12

:
Hindi - HINOVBSI
1 हे परमेश्‍वर, बचा ले, क्योंकि एक भी भक्‍त नहीं रहा; मनुष्यों में से विश्‍वासयोग्य लोग मर मिटे हैं।
2 प्रत्येक मनुष्य अपने पड़ोसी से झूठी बातें कहता है; वे चापलूसी के ओठों से दो रंगी बातें करते हैं।
3 प्रभु सब चापलूस ओठों को और उस जीभ को जिस से बड़ा बोल निकलता है काट डालेगा।
4 वे कहते हैं, “हम अपनी जीभ ही से जीतेंगे, हमारे ओंठ हमारे ही वश में हैं; हमारा प्रभु कौन है?”
5 दीन लोगों के लुट जाने, और दरिद्रों के कराहने के कारण, परमेश्‍वर कहता है, “अब मैं उठूँगा, जिस पर वे फुँकारते हैं उसे मैं चैन विश्राम दूँगा ।”
6 परमेश्‍वर का वचन पवित्र है, उस चाँदी के समान जो भट्ठी में मिट्टी पर ताई गई, और सात बार निर्मल की गई हो।
7 तू ही हे परमेश्‍वर उनकी रक्षा करेगा, उनको इस काल के लोगों से सर्वदा के लिये बचाए रखेगा।
8 जब मनुष्यों में नीचपन का आदर होता है, तब दुष्‍ट लोग चारों ओर अकड़ते फिरते हैं। संकट के समय सहायता के लिये प्रार्थना