Bible

Power Up

Your Services with User-Friendly Software

Try RisenMedia.io Today!

Click Here

Job 10

:
Hindi - HINOVBSI
1 “मेरा प्राण जीवित रहने से उकताता है; मैं स्वतंत्रता पूर्वक कुड़कुड़ाऊँगा; और मैं अपने मन की कड़वाहट के मारे बातें करूँगा।
2 मैं परमेश्‍वर से कहूँगा, मुझे दोषी ठहरा; मुझे बता दे कि तू किस कारण मुझ से मुक़द्दमा लड़ता है?
3 क्या तुझे अन्धेर करना, और दुष्‍टों की युक्‍ति को सफल करके अपने हाथों के बनाए हुए को निकम्मा जानना भला लगता है?
4 क्या तेरी आँखें देहधारियों की सी हैं? और क्या तेरा देखना मनुष्य का सा है?
5 क्या तेरे दिन मनुष्य के दिन के समान हैं, या तेरे वर्ष पुरुष के समयों के तुल्य हैं,
6 कि तू मेरा अधर्म ढूँढ़ता, और मेरा पाप पूछता है?
7 तुझे तो मालूम ही है कि मैं दुष्‍ट नहीं हूँ, और तेरे हाथ से कोई छुड़ानेवाला नहीं!
8 तू ने अपने हाथों से मुझे ठीक रचा है और जोड़कर बनाया है; तौभी मुझे नष्‍ट किए डालता है।
9 स्मरण कर कि तू ने मुझ को गूँधी हुई मिट्टी के समान बनाया, क्या तू मुझे फिर धूल में मिलाएगा?
10 क्या तू ने मुझे दूध के समान उण्डेलकर, और दही के समान जमाकर नहीं बनाया?
11 फिर तू ने मुझ पर चमड़ा और मांस चढ़ाया और हड्डियाँ और नसें गूँथकर मुझे बनाया है।
12 तू ने मुझे जीवन दिया, और मुझ पर करुणा की है; और तेरी चौकसी से मेरे प्राण की रक्षा हुई है।
13 तौभी तू ने ऐसी बातों को अपने मन में छिपा रखा; मैं जान गया कि तू ने ऐसा ही करने की ठान ली थी।
14 यदि मैं पाप करूँ, तो तू उसका लेखा लेगा; और अधर्म करने पर मुझे निर्दोष ठहराएगा।
15 यदि मैं दुष्‍टता करूँ तो मुझ पर हाय! यदि मैं धर्मी बनूँ तौभी मैं सिर उठाऊँगा, क्योंकि मैं अपमान से भरा हुआ हूँ और अपने दु:ख पर ध्यान रखता हूँ।
16 और चाहे सिर उठाऊँ तौभी तू सिंह के समान मेरा अहेर करता है, और फिर मेरे विरुद्ध आश्‍चर्यकर्म करता है।
17 तू मेरे सामने अपने नये नये साक्षी ले आता है, और मुझ पर अपना क्रोध बढ़ाता है; और मुझ पर सेना पर सेना चढ़ाई करती है।
18 “तू ने मुझे गर्भ से क्यों निकाला? नहीं तो मैं वहीं प्राण छोड़ता, और कोई मुझे देखने भी पाता।
19 मेरा होना होने के समान होता, और पेट ही से क़ब्र को पहुँचाया जाता।
20 क्या मेरे दिन थोड़े नहीं? मुझे छोड़ दे, और मेरी ओर से मुँह फेर ले, कि मेरा मन थोड़ा शान्त हो जाए
21 इससे पहले कि मैं वहाँ जाऊँ, जहाँ से फिर लौटूँगा, अर्थात् अन्धियारे और घोर अन्धकार के देश में, जहाँ अन्धकार ही अन्धकार है;
22 और मृत्यु के अन्धकार का देश जिस में सब कुछ गड़बड़ है; और जहाँ प्रकाश भी ऐसा है जैसा अन्धकार।”