Psalms 66
1 हे सब देशो! परमेश्वर का जय-जयकार करो,
2 उसके नाम पर महिमा का गान करो, उसके यशोगान को महिमापूर्ण बनाओ।
3 परमेश्वर से यह कहो, “तेरे कार्य कितने भयप्रद हैं। तेरे असीम बल के कारण तेरे शत्रु तेरे सन्मुख घुटने टेकते हैं।
4 समस्त देश तेरी आराधना करते हैं; वे तेरी स्तुति गाते, तेरे नाम की स्तुति गाते हैं।” सेलाह
5 आओ और परमेश्वर के कार्य देखो; वह मनुष्यों के प्रति व्यवहार में भयप्रद है।
6 उसने सागर को सूखी भूमि में बदल दिया। लोगों ने पैदल ही नदी पार की थी। वहां हम प्रभु में हर्षित हुए थे।
7 वह अपनी शक्ति से सदा शासन करता है। उसकी आंखें राष्ट्रों का अवलोकन करती हैं; अत: विद्रोही गर्व से न फूलें। सेलाह
8 हे जातियों! हमारे परमेश्वर को धन्य कहो; उसकी स्तुति के स्वर को प्रसारित करो।
9 उसने हमारे प्राणों को जीवित रखा, और हमारे पैरों को फिसलने नहीं दिया।
10 परमेश्वर, तूने हमें परखा। जैसे चांदी शुद्ध की जाती है, वैसे तूने हमें शुद्ध किया।
11 तूने हमें जाल में फंसाया, हमारी कमर पर दुख का भार रखा।
12 तूने हमारे सिर को घुड़सवारों से कुचलवाया। हम अग्नि और जल के मध्य से गुजरे, तो भी तूने हमें मुक्त स्थान में पहुंचाया।
13 मैं तेरे भवन में अग्निबलि के साथ प्रवेश करूंगा; मैं तुझ को अपनी मन्नतें चढ़ाऊंगा।
14 जब मैं संकट में था तब उन मन्नतों को मैंने अपने ओंठों से उच्चारा था; उनको अपने मुंह से स्वीकार किया था।
15 मेढ़ों की चर्बी के सुगंधित धुएं सहित, मैं तुझ को मोटे पशुओं की अग्नि-बलि चढ़ाऊंगा; बकरों के साथ मैं तुझको बैल अर्पित करूंगा। सेलाह
16 ओ परमेश्वर से डरने वालो! आओ और सुनो; मैं तुम्हें बताऊंगा कि परमेश्वर ने मेरे लिए क्या किया है।
17 मैं ने अपने मुंह से उसे पुकारा, और मेरी जीभ ने उसका यशोगान किया।
18 यदि मैं अपने हृदय में अनिष्ट सोचता, तो स्वामी नहीं सुनता।
19 किन्तु निस्संदेह परमेश्वर ने सुना, उसने मेरी प्रार्थना की आवाज पर ध्यान दिया।
20 धन्य है परमेश्वर! उसने मेरी प्रार्थना की उपेक्षा न की, और न अपनी करुणा मुझ से पृथक की।