Bible

Connect

With Your Congregation Like Never Before

Try RisenMedia.io Today!

Click Here

Psalms 44

:
Hindi - CLBSI
1 हे परमेश्‍वर, हमने अपने कानों से सुना है, हमारे पूर्वजों ने हमें यह बताया है: तूने उनके समय में, प्राचीन काल में अनेक अद्भुत कार्य किए थे।
2 तूने राष्‍ट्रों को अपने हाथ से उखाड़ा, पर हमारे पूर्वजों को स्‍थापित किया था; और उनको विकसित करने के लिए तूने अन्‍य जातियों का दमन किया था।
3 हमारे पूर्वजों ने तलवार से धरती पर अधिकार नहीं किया था, और अपने भुजबल से विजय प्राप्‍त की थी, वरन् तेरे दाहिने हाथ ने, तेरी भुजा ने, तेरे मुख की ज्‍योति ने; क्‍योंकि तब तू उनसे प्रसन्न था।
4 हे परमेश्‍वर, तू मेरा राजा है; तू ही इस्राएल को विजय प्रदान करने वाला ईश्‍वर है।
5 हम तेरे बल पर अपने बैरियों को पीछे धकेल देते हैं; हम तेरे नाम से अपने आक्रमणकारियों को कुचल देते हैं।
6 मुझे अपने धनुष पर विश्‍वास नहीं है- और मेरी तलवार ही मुझे बचा सकती है।
7 तूने हमें हमारे शत्रुओं से बचाया है- जो हमसे घृणा करते थे, तूने उन्‍हें लज्‍जित किया है।
8 हम निरन्‍तर तुझ-परमेश्‍वर पर गर्व करते हैं, हम तेरे नाम की स्‍तुति सदा करते रहेंगे। सेलाह
9 अब तूने हमें त्‍याग दिया, और हमें नीचा दिखाया। तू हमारी सेना के साथ नहीं गया।
10 तूने हमें विवश किया कि हम अपने बैरी को पीठ दिखाएं- जो हमसे घृणा करते थे, उन्‍होंने हमें लूट लिया।
11 तूने हमें आहार बनने के लिए भेड़ जैसा सौंप दिया; हमें अनेक राष्‍ट्रों में बिखेर दिया।
12 तूने अपने निज लोगों को सस्‍ते भाव में बेच दिया; तूने उनके मूल्‍य से लाभ नहीं कमाया।
13 तूने हमें अपने पड़ोसियों की निन्‍दा का पात्र बनाया, हमारे चारों ओर के लोगों की दृष्‍टि में उपहास और तिरस्‍कार का पात्र!
14 तूने हमें राष्‍ट्रों में ‘कहावत’ बना दिया; कौमें सिर हिला-हिला कर हम पर हंसती हैं।
15 मेरा अपमान निरन्‍तर मेरे सामने रहता है; लज्‍जा ने मेरे मुख को ढांप लिया है,
16 तिरस्‍कार करनेवालों और निन्‍दकों की वाणी के कारण; शत्रु और प्रतिशोधियों की उपस्‍थिति के कारण।
17 यह सब हम पर बीता, फिर भी हमने तुझ को विस्‍मृत नहीं किया; तेरे विधान के प्रति विश्‍वासघात नहीं किया।
18 हमारा हृदय तुझसे विमुख नहीं हुआ; हमारे पैर तेरे मार्ग से नहीं मुड़े।
19 अन्‍यथा तूने हमें खण्‍डहर बना दिया होता, तूने मृत्‍यु की छाया में हमें आच्‍छादित किया होता।
20 यदि हमने अपने परमेश्‍वर का नाम विस्‍मृत किया होता, और पराये देवता की ओर हाथ फैलाया होता,
21 तो क्‍या परमेश्‍वर ने इसका पता नहीं लगा लिया होता? वह हृदय के भेदों को जानता है।
22 पर नहीं! हम तो तेरे कारण निरन्‍तर मौत के घाट उतारे जाते हैं; हमें वध होनेवाली भेड़ जैसा समझा गया।
23 जाग स्‍वामी! तू क्‍यों सो रहा है? उठ! सदा के लिए हमें त्‍याग।
24 तू अपना मुख क्‍यों छिपा रहा है? क्‍या तूने हमारी पीड़ा और कष्‍ट को भुला दिया है?
25 हमारे प्राण धूल में मिल गए हैं, और पेट भूमि से चिपक गया है।
26 उठ, और हमारी सहायता कर; अपनी करुणा के कारण हमारा उद्धार कर।