Psalms 37
1 दुर्जनों के कारण स्वयं को परेशान न करो; कुकर्मियों कि प्रति ईष्र्यालु न हो।
2 वे घास के सदृश अविलम्ब काटे जायेंगे। वे हरी शाक के समान मुरझा जाएंगे।
3 प्रभु पर भरोसा रखो और भले कार्य करो; पृथ्वी पर निवास करो और सत्य का पालन करो।
4 तब तुम प्रभु में आनन्दित होगे; और वह तुम्हारी मनोकामना पूर्ण करेगा।
5 अपना जीवन-मार्ग प्रभु को सौंप दो; उस पर भरोसा करो तो वही कार्य करेगा।
6 वह तुम्हारी धार्मिकता को ज्योति के सदृश, और तुम्हारी सच्चाई को दोपहर की किरणों जैसे प्रकट करेगा।
7 प्रभु के समक्ष शान्त रहो, और उत्सुकता से उसकी प्रतीक्षा करो; उस व्यक्ति के कारण स्वयं को परेशान न करो, जो अपने कुमार्ग पर फलता-फूलता है, जो बुरी युिक्तयां रचता है।
8 क्रोध से दूर रहो, और रोष को त्याग दो। स्वयं को क्षुब्ध न करो; क्षोभ केवल बुराई की ओर ले जाता है।
9 दुर्जन नष्ट किए जाएंगे; परन्तु जो प्रभु की प्रतीक्षा करते हैं, वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे।
10 कुछ समय पश्चात् दुष्ट नहीं रहेगा। तुम उस स्थान को ध्यान से देखोगे; पर वहाँ वह नहीं होगा।
11 दीन-गरीब लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, वे अपार समृद्धि में आनन्द करेंगे।
12 धार्मिक मनुष्य के विरुद्ध दुर्जन षड्यन्त्र रचता है, वह उस पर अपने दांत पीसता है;
13 परन्तु प्रभु उस पर हंसता है; क्योंकि प्रभु देखता है कि दुर्जन के दिन समीप आ गए।
14 पीड़ितों और दरिद्रों को धूल-धूसरित करने के लिए, सन्मार्ग पर चलने वालों को मार डालने के लिए, दुर्जनों ने तलवार खींची और धनुष ताने हैं।
15 पर उनकी तलवार उनके हृदय को ही बेधेगी; उनके धनुष तोड़े जाएंगे।
16 समस्त दुर्जनों की समृद्धि से धार्मिक मनुष्य का अल्पांश श्रेष्ठ है।
17 दुर्जन की भुजा तोड़ी जाएगी; किन्तु प्रभु धार्मिक मनुष्य का आधार है।
18 प्रभु निर्दोष व्यक्तियों की आयु का प्रत्येक दिन जानता है, उनकी पैतृक सम्पत्ति सदा बनी रहेगी।
19 वे संकट काल में भी लज्जित न होंगे। वरन् अकाल में भी तृप्त रहेंगे।
20 परन्तु दुर्जन नष्ट हो जाएंगे; प्रभु के शत्रु घास के फूल के समान हैं। वे मिट जाएंगे- वे धुएं में विलुप्त हो जाएंगे।
21 दुर्जन उधार लेता है पर चुकाता नहीं; परन्तु धार्मिक मनुष्य उदार होता है; और वह उधार देता है।
22 प्रभु से आशिष पाए हुए लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे; किन्तु वे लोग नष्ट हो जाएंगे जिनको प्रभु ने शाप दिया है।
23 प्रभु के द्वारा मनुष्य के पग स्थिर होते हैं, उसके आचरण से प्रभु प्रसन्न होता है।
24 यद्यपि वह गिरता है तो भी सदा पड़ा नहीं रहेगा; क्योंकि प्रभु उसका हाथ थामता है।
25 मैं भी तरुण था, और अब वृद्ध हूँ। मैंने यह कभी नहीं देखा, क प्रभु ने किसी धार्मिक को कभी त्याग दिया; और न मैंने उसकी सन्तान को भीख मांगते पाया।
26 धार्मिक मनुष्य सदा उदार बना रहता है और वह उधार देता है। उसका वंश आशिष का माध्यम बनता है।
27 बुराई से दूर रहो, और भले कार्य करो; तब तुम देश में सदा शांति से बसे रहोगे।
28 क्योंकि प्रभु न्याय से प्रेम करता है; वह अपने भक्तों को नहीं छोड़ेगा। धार्मिक मनुष्य सदा के लिए सुरक्षित है; किन्तु दुर्जन का वंश नष्ट हो जाएगा।
29 धार्मिक मनुष्य पृथ्वी के अधिकारी होंगे। वे पृथ्वी पर सदा निवास करेंगे।
30 धार्मिक मनुष्य ज्ञान का पाठ करता है। उसकी जीभ न्याय की बातें करती है।
31 परमेश्वर की व्यवस्था उसके हृदय में है; उसके पैर नहीं फिसलेंगे।
32 दुर्जन धार्मिक मनुष्य की घात में रहता है; वह उसकी हत्या की खोज में रहता है।
33 किन्तु प्रभु धार्मिक मनुष्य को दुर्जन के हाथ में नहीं छोड़ेगा − जब धार्मिक मनुष्य का न्याय होगा तब प्रभु उसे दोषी नहीं ठहराएगा।
34 प्रभु की प्रतीक्षा करो। उसके मार्ग पर चलते रहो। वह तुम्हें उन्नत करेगा, और तुम पृथ्वी के अधिकारी बनोगे। तुम दुर्जनों का विनाश देखोगे।
35 मैंने एक महाबली दुर्जन को देखा था। वह बरगद वृक्ष के समान विशाल था।
36 मैं पुन: वहाँ से निकला। तब वह वहाँ नहीं था! यद्यपि मैंने उसे खोजा तोभी वह वहाँ नहीं मिला।
37 निर्दोष व्यक्ति को ध्यान में रखो, और सत्यनिष्ठ मनुष्य पर दृष्टि करो! शांतिप्रिय व्यक्ति का भविष्य उज्जवल होता है।
38 किन्तु अपराधी पूर्णत: नष्ट किए जाएंगे; दुर्जन का भविष्य अंधकारमय है।
39 धार्मिक मनुष्यों का उद्धार प्रभु से है; वह संकटकाल में उनका सुदृढ़ गढ़ है।
40 प्रभु धार्मिक मनुष्यों की सहायता करता और उन्हें मुक्त करता है; वह दुर्जनों से उन्हें छुड़ाकर उनकी रक्षा करता है; क्योंकि वे उसकी शरण में आते हैं।