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Psalms 25

:
Hindi - CLBSI
1 हे प्रभु, मैं तेरा ही ध्‍यान करता हूँ।
2 हे मेरे परमेश्‍वर, मैंने तुझ पर ही भरोसा रखा है; मुझे लज्‍जित होने देना, मेरे शत्रु मुझ पर विजयी होने पाएं।
3 उन्‍हें भी लज्‍जित होने देना, जो तेरी प्रतीक्षा करते हैं, परन्‍तु वे लज्‍जित हों, जो अकारण विश्‍वासघात करते हैं।
4 हे प्रभु, अपना मार्ग मुझे दिखा; अपना पथ मुझे बता।
5 अपने सत्‍य पथ पर मुझे ले चल और मुझे सिखा; क्‍योंकि तू ही मेरा उद्धार करने वाला परमेश्‍वर है, दिन भर मैं तेरी प्रतीक्षा करता हूँ।
6 हे प्रभु, अपनी अनुकंपा को, अपनी करुणा को स्‍मरण कर; क्‍योंकि तू उनको युग-युगांत से प्रकट करता रहा है।
7 हे प्रभु, अपनी भलाई के कारण मेरे यौवन के पापों और अपराधों को स्‍मरण कर; किन्‍तु अपनी करुणा के अनुरूप मेरी सुधि ले।
8 प्रभु भला और सत्‍यनिष्‍ठ है; अत: वह पापियों को अपना मार्ग बताता है।
9 वह नम्र व्यक्‍ति को धर्मपथ पर चलाता है; वह उसे अपना मार्ग सिखाता है।
10 जो प्रभु के विधान और साक्षी को मानते हैं, उनके लिए प्रभु के समस्‍त मार्ग करुणामय तथा सत्‍य हैं।
11 हे प्रभु, अपने नाम के लिए, मेरा अपराध क्षमा कर। मेरा अपराध बहुत भारी है।
12 वह कौन है, जो प्रभु से डरता है? उसको ही प्रभु वह मार्ग सिखाएगा, जो उसे चुनना चाहिए।
13 वह स्‍वयं समृद्धि में निवास करेगा; और देश पर उसके वंश का अधिकार होगा।
14 प्रभु अपने भक्‍तों पर अपने भेद प्रकट करता है। प्रभु उन्‍हें अपना विधान सिखाता है।
15 मेरे नेत्र प्रभु की ओर टकटकी बांधे हैं; क्‍योंकि प्रभु ही मेरे पैरों को जाल से छुड़ाएगा।
16 प्रभु, मेरी ओर उन्‍मुख हो, मुझ पर कृपा कर; क्‍योंकि मैं एकाकी और पीड़ित हूँ।
17 मेरे हृदय का क्‍लेश कितना बढ़ गया है; मुझे संकट से मुक्‍त कर,
18 मेरी पीड़ा एवं दु:ख को देख; और मेरे सब पाप क्षमा कर।
19 मेरे शत्रुओं को देख; वे कितने बढ़ गए हैं; वे मुझसे तीव्र घृणा करते हैं।
20 मेरे प्राण की रक्षा कर, और मेरा उद्धार कर; मुझे लज्‍जित होने दे; क्‍योंकि मैं तेरी ही शरण में आया हूँ।
21 सच्‍चरित्रता और सत्‍यनिष्‍ठा मेरी रक्षा करें, क्‍योंकि मैं तेरी ही प्रतीक्षा करता हूँ।
22 हे परमेश्‍वर, इस्राएल को उसके समस्‍त संकटों से मुक्‍त कर।