Bible

Upgrade

Your Church Presentations in Minutes

Try RisenMedia.io Today!

Click Here

Psalms 18

:
Hindi - CLBSI
1 हे प्रभु, मेरे सामर्थ्य! मैं तुझसे प्रेम करता हूँ।
2 हे प्रभु, मेरी चट्टान! तू ही मेरा शरण-स्‍थल और मुक्‍तिदाता है। तू मेरा परमेश्‍वर, मेरी चट्टान है, मैं तेरी शरण में आया हूँ। तू मेरी ढाल, मेरा शक्‍तिशाली उद्धारकर्ता, मेरा गढ़ है।
3 मैं प्रभु को पुकारता हूँ, जो सर्वथा स्‍तुति के योग्‍य है। मैं अपने शत्रुओं से मुक्‍त हुआ हूँ।
4 मृत्‍यु के पाश ने मुझे लपेट लिया। विनाश की प्रचंड धारा ने मुझ पर आक्रमण किया,
5 मृतक-लोक के पाश-बंधन ने मुझे उलझाया, मृत्‍यु का फंदा मेरे समक्ष आया।
6 मैंने संकट में प्रभु को पुकारा, मैंने अपने परमेश्‍वर की दुहाई दी। उसने अपने मंदिर से मेरी वाणी सुनी, मेरी दुहाई उसके कानों में पहुँची।
7 तब धरती में कंपन हुआ, और वह डोल उठी; पर्वतों की नींव कंपित होकर हिल गई; क्‍योंकि प्रभु अति क्रुद्ध था।
8 उसके नथुनों से धुआं निकलने लगा, और उसके मुख से भस्‍म करने वाली अग्‍नि; उससे दहकते अंगारे निकल पड़े।
9 वह स्‍वर्ग को झुकाकर नीचे उतर आया। उसके चरणों तले गहन अंधकार था।
10 वह करूब पर सवार होकर उड़ गया; वह वेगपूर्वक पवन के पंखों पर उतरा।
11 उसने अंधकार को अपने चारों ओर ओढ़ लिया; गगन के काले मेघ उसका शिविर थे।
12 उसके सम्‍मुख प्रकाश था। वहां ओले और दहकते अंगारे सघन मेघों से फूट पड़े।
13 प्रभु स्‍वर्ग में गरज उठा; सर्वोच्‍च परमेश्‍वर ने नाद किया: ओले और दहकते अंगारे झरने लगे।
14 उसने अपने बाण छोड़े, और शत्रुओं को छिन्न-भिन्न कर दिया; विद्युत की चमक से उनमें भगदड़ मचा दी।
15 तब हे प्रभु, तेरी डांट से, तेरी नासिका के श्‍वास के धमाके से समुद्रों के झरने दिखाई दिए, पृथ्‍वी की नींव प्रकट हुई।
16 प्रभु ने ऊंचे स्‍थान से अपना हाथ बढ़ाकर मुझे थाम लिया; उसने मुझे गहरे जल से ऊपर खींच लिया।
17 उसने मेरे शक्‍तिमान शत्रु से, और मुझसे घृणा करने वालों से मुझे मुक्‍त किया। मेरे शत्रु मुझसे अधिक प्रबल थे।
18 वे संकटकाल में मुझपर चढ़ आए; परन्‍तु प्रभु मेरा सहारा था।
19 प्रभु ने मुझे खुले स्‍थान में पहुंचाया; उसने मुझे मुक्‍त किया; क्‍योंकि वह मुझसे प्रसन्न था।
20 प्रभु ने मेरी धार्मिकता के अनुसार मुझे फल दिया; मेरे हाथों की शुद्धता के अनुरूप मुझे पुरस्‍कार दिया।
21 मैं प्रभु के मार्गों पर चलता रहा, और दुष्‍टतावश अपने परमेश्‍वर से पृथक नहीं हुआ।
22 उसके समस्‍त न्‍याय-सिद्धान्‍त मेरे सम्‍मुख रहे; मैंने उसकी संविधियों को अपने से अलग नहीं किया।
23 मैं उसके सम्‍मुख निर्दोष रहा; मैंने अपने को अपराधों से बचाए रखा।
24 अत: प्रभु ने मेरी धार्मिकता के अनुसार, अपनी दृष्‍टि में मेरे हाथों की शुद्धता के अनुरूप, मुझे पुरस्‍कृत किया।
25 भक्‍तजन के साथ तू भक्‍त है, और निर्दोष के साथ निर्दोष।
26 सिद्ध के लिए तू सिद्ध है, पर कुटिल के लिए तू कुटिल है।
27 तू विनम्र लोगों का उद्धार करता है, पर गर्व से चढ़ी हुई आंखों को नीचा।
28 निश्‍चय तू मेरे दीपक को जलाता है; मेरा प्रभु परमेश्‍वर मेरे अंधकार को ज्योतिर्मय करता है।
29 मैं तेरे सहारे सेना को कुचल सकता हूँ; मैं अपने परमेश्‍वर की सहायता से प्राचीर लांघ सकता हूँ।
30 परमेश्‍वर का मार्ग सीधा है, प्रभु की प्रतिज्ञा कसौटी-सिद्ध है, वह अपने समस्‍त शरणागतों की ढाल है।
31 प्रभु के अतिरिक्‍त और कौन परमेश्‍वर है? हमारे परमेश्‍वर को छोड़ और कौन ‘चट्टान’ है?
32 यही परमेश्‍वर मुझे शक्‍तिसम्‍पन्न करता है मेरे मार्ग को कंटकहीन बनाता है।
33 वह मेरे पैरों को हिरनी के पैरों जैसी गति प्रदान करता है। वह पहाड़ी गुफाओं में मुझे सुरक्षित रखता है।
34 वह युद्ध के लिए मेरे हाथों को प्रशििक्षत करता है; अत: मेरी बाहें पीतल के धनुष को मोड़ सकती हैं।
35 तूने मुझे अपने उद्धार की ढाल दी है; तेरे दाहिने हाथ ने मुझे सहारा दिया है; तेरी सहायता ने मुझे महान बनाया है।
36 तूने मेरा मार्ग चौड़ा किया कि मेरे पग आगे बढ़ें, और मेरे पैर फिसलें।
37 मैंने शत्रुओं का पीछा किया, और उन्‍हें पकड़ लिया; मैं तब तक लौटा, जब तक उन्‍हें नष्‍ट कर दिया।
38 मैंने उन्‍हें ऐसा मारा कि वे फिर उठ सके; वे मेरे पैरों पर गिर पड़े।
39 तूने मुझे युद्ध के लिए शक्‍ति से भर दिया। तूने आक्रमणकारियों को मेरे सम्‍मुख झुका दिया।
40 तूने मेरे शत्रुओं को विवश किया कि वे पीठ दिखाकर भागें। मैंने उन्‍हें नष्‍ट कर दिया, जो मुझसे घृणा करते थे।
41 उन्‍होंने दुहाई दी, पर उन्‍हें बचाने वाला कोई नहीं था। उन्‍होंने प्रभु को पुकारा, पर प्रभु ने उन्‍हें उत्तर नहीं दिया।
42 मैंने उन्‍हें चूर-चूर कर दिया, जैसे पवन के सम्‍मुख धूल। मैंने उन्‍हें पथ की कीच के समान निकाल फेंका।
43 तूने मुझे उपद्रवी जातियों के संघर्ष से छुड़ाया, और मुझे राष्‍ट्रों का अध्‍यक्ष बनाया। उन जातियों ने मेरी सेवा की जिन्‍हें मैं जानता भी था।
44 जैसे ही उन्‍होंने मेरा नाम सुना, उन्‍होंने मेरे आदेशों की पूर्ति की; विदेशी वंदना करते हुए मेरे सम्‍मुख आए।
45 वे विदेशी हताश हो गए, और अपने किलों से कांपते हुए निकले।
46 प्रभु जीवंत है, धन्‍य है मेरी चट्टान, मेरे उद्धारकर्ता परमेश्‍वर का गुणगान हो।
47 वह प्रतिशोधी परमेश्‍वर है; उसने मेरे लिए प्रतिशोध लिया; उसने कौमों को मेरे अधीन कर दिया।
48 प्रभु, तूने मेरे शत्रुओं से मुझे मुक्‍त किया, तूने मेरे विरोधियों के सम्‍मुख मुझे उन्नत किया; तू ही हिंसक व्यक्‍तियों से मेरा उद्धार करता है।
49 अत: हे प्रभु, मैं राष्‍ट्रों में तेरा गुणगान करूंगा; मैं तेरे नाम का स्‍तुतिगान करूंगा।
50 तू अपने राजा को महान विजय प्रदान करता है; तू अपने अभिषिक्‍त पर, राजा दाऊद एवं उसके वंश पर युग-युगांत करुणा करता है।