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Psalms 140

:
Hindi - CLBSI
1 हे प्रभु, दुर्जन से मुझे छुड़ा; हिंसक पुरुष से मेरी रक्षा कर;
2 वे हृदय में बुराइयों की योजना बनाते हैं, और युद्ध को निरन्‍तर उकसाते हैं,
3 वे अपनी जीभ को सांप के दांत जैसा तेज करते हैं, उनके ओंठों के नीचे नाग का विष है। सेलाह
4 हे प्रभु, अधर्मी के हाथ से मुझे बचा, हिंसक पुरुष से मेरी रक्षा कर, उन्‍होंने षड्‍यन्‍त्र रचा है कि मेरे पैर को ठोकर लगे।
5 अहंकारियों ने मेरे लिए पाश बिछाया है, रस्‍सियों के साथ जाल बिछाया है, उन्‍होंने पथ के किनारे मेरे लिए फन्‍दे लगाए हैं। सेलाह
6 मैं प्रभु से यह कहता हूं, ‘तू ही मेरा परमेश्‍वर है, हे प्रभु, मेरी विनती की पुकार पर कान दे।’
7 हे प्रभु, मेरे स्‍वामी, मेरे शक्‍तिमान सहायक, तू युद्ध के दिन मेरे सिर की रक्षा कर।
8 हे प्रभु, दुर्जन की इच्‍छाओं को पूरा करना; उसका षड्‍यन्‍त्र सफल होने देना। सेलाह
9 जो मुझे घेरे हुए हैं, वे अपना सिर उठा रहे हैं; उनके ओंठों का अनिष्‍ठ उन पर ही पड़े!
10 उन पर अंगारों की वर्षा हो! वे गड्ढों में डाले जाएं, कि वे फिर उठ सकें!
11 बकवादी मनुष्‍य भूमि पर पैर जमा सके, बुराई तेज गति से हिंसक व्यक्‍ति का पीछा करे!
12 मैं यह जानता हूं कि प्रभु पीड़ित के पक्ष में निर्णय देता है; वह दरिद्र को न्‍याय दिलाता है।
13 निस्‍सन्‍देह धार्मिक मनुष्‍य तेरे नाम की सराहना करेंगे; निष्‍कपट व्यक्‍ति तेरे सम्‍मुख निवास करेंगे।