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Micah 7

:
Hindi - CLBSI
1 धिक्‍कार है मुझे, मैंने अवसर खो दिया! मैं ग्रीष्‍म काल के फल तब तोड़ने गया जब वे झड़ा लिए गए। मैं अंगूरों को चुनने तब गया जब वे तोड़ लिए गए। अंगूर का एक गुच्‍छा और अंजीर का एक फल मुझे मिला, जिन्‍हें खाने को मेरा दिल चाहता था।
2 पृथ्‍वी से भक्‍त उठ गए, मनुष्‍यों में सत्‍यनिष्‍ठ व्यक्‍ति नहीं रहे। सब लोग हत्‍या के उद्देश्‍य से घात लगाते हैं। हर आदमी अपने भाई के लिए जाल बिछाता है।
3 उनके हाथ में दुष्‍कर्म हैं, वे कुकर्म करने में निपुण हैं। शासक और न्‍यायाधीश घूस मांगते हैं। बड़े लोग मनमानी करते हैं। यों ये सब मिलकर कुचक्र रचते हैं।
4 उनकी अच्‍छाई का अर्थ है−कंटीली झाड़ी! उनकी ईमानदारी का मतलब है−कांटे! उनके प्रहरियों द्वारा सूचित दिन, उनके दण्‍ड का दिन समीप गया। अब आतंक उनके निकट है।
5 अपने पड़ोसी का भी विश्‍वास मत करो, अपने मित्र का भी भरोसा मत करो, अपनी प्रिय पत्‍नी से बोलने में भी सावधान रहो।
6 क्‍योंकि पुत्र अपने पिता को तुच्‍छ समझता है; पुत्री अपनी मां का विरोध करती है; बहू अपनी सास का विरोध करती है; घर के ही लोग घरवाले के शत्रु बन गए हैं!
7 मैं प्रभु की ओर दृष्‍टि लगाए हूं; मैं अपने उद्धारकर्ता परमेश्‍वर की प्रतीक्षा में हूं, मेरा परमेश्‍वर मेरी आवाज सुनेगा।
8 मेरी बैरिन! मेरे पतन से आनन्‍दित मत हो। यदि मेरा पतन हुआ है, तो मेरा उत्‍थान भी होगा। यद्यपि मैं अन्‍धकार में पड़ी हूं, तो भी प्रभु मेरी ज्‍योति होगा।
9 मैंने प्रभु के प्रति पाप किया है; जब तक प्रभु मेरा पक्ष नहीं लेगा, और मेरे पक्ष में निर्णय नहीं देगा, तब तक मुझे प्रभु का कोप सहना ही होगा। वह मुझे प्रकाश तक पहुंचाएगा; और मैं उसके उद्धार के दर्शन करूंगी।
10 यह देखकर मेरी बैरिन लज्‍जित होगी, क्‍योंकि उसने कहा था, ‘कहां है तेरा प्रभु परमेश्‍वर?’ जब वह गली के कीचड़ की तरह रौंद दी जाएगी, तब मेरी आंखें उसकी पतित दशा देखकर तृप्‍त होंगी।
11 यरूशलेम, तेरी शहरपनाह के निर्माण का दिन आएगा। उस दिन तेरी सीमा का विस्‍तार होगा।
12 उस दिन असीरिया से मिस्र देश तक मिस्र से फरात नदी तक, एक समुद्र से दूसरे समुद्र तक, एक पहाड़ से दूसरे पहाड़ तक के निवासी तेरे पास आएंगे।
13 किन्‍तु पृथ्‍वी अपने निवासियों के कारण, उनके दुष्‍कर्म के फलों के कारण उजाड़ हो जाएगी।
14 प्रभु, तू अपनी लाठी लेकर अपने निज लोगों को, अपनी मीरास को, अपनी भेड़ों को चरा। वे जंगल में अकेले निवास कर रहे हैं। वे उपजाऊ भूमि के मध्‍य अकेले पड़े हैं। जैसा तू पुराने समय में बाशान और गिलआद क्षेत्र में उन्‍हें चराता था, वैसा ही उन्‍हें अब इन क्षेत्रों में चरा।
15 जब तू मिस्र देश से हमें बाहर निकाल लाया, तब तूने आश्‍चर्यपूर्ण कार्य दिखाए थे। वैसे ही हमें फिर दिखा दे।’
16 सब राष्‍ट्र चाहे कितने ही शक्‍तिशाली क्‍यों हों, वे इस्राएली राष्‍ट्र को देखकर आश्‍चर्यचकित हो जाएंगे। उनके कान के परदे फट जाएंगे; उनके मुंह से आवाज नहीं निकलेगी।
17 वे रेंगनेवाले जीव-जन्‍तुओं की तरह, सांप के समान धूल चाटेंगे। वे कांपते हुए अपने किलों से बाहर निकलेंगे। वे डरते हुए हमारे प्रभु परमेश्‍वर के पास जाएंगे; वे तेरे कारण भय से कांपेंगे।
18 हे प्रभु, तेरे समान अधर्म को क्षमा करनेवाला, अपनी मीरास के बचे हुए लोगों के अपराध क्षमा करनेवाला और कौन ईश्‍वर है? तू सदा क्रोध नहीं करता, क्‍योंकि तू करुणा से प्रसन्न होता है।
19 तू हम पर पुन: दया करेगा। तू हमारे अधर्म को अपने पैरों तले रौंद डालेगा, प्रभु, तू हमारे समस्‍त पापों को सागर की अतल गहराई में फेंक देगा।
20 तू याकूब-वंशियों पर अपनी सच्‍चाई प्रकट करेगा, और अब्राहम के कुल पर करुणा, जैसी तूने प्राचीन काल में हमारे पूर्वजों से शपथ खाई थी।