Micah 6
1 सुन, प्रभु क्या कहता है! उठ, पहाड़ों के सम्मुख अपना पक्ष प्रस्तुत कर, पहाड़ियां भी तेरी बात सुनें।
2 ओ पहाड़ो, प्रभु का अभियोग सुनो, ओ पृथ्वी की शाश्वत नींवो, प्रभु का अभियोग सुनो। प्रभु को इस्राएल से एक शिकायत है। वह उस पर मुकदमा चलाएगा।
3 ‘ओ मेरे निज लोगो, मैंने तुम्हारा क्या बुरा किया है? किस बात से मैंने तुम्हें दु:ख दिया है? मुझे उत्तर दो।
4 मैंने तुम्हें मिस्र देश से बाहर निकाला। मैंने तुम्हें गुलामी के बन्धन से मुक्त किया। मैंने तुम्हारा नेतृत्व करने के लिए मूसा, हारून, और मिर्याम को भेजा।
5 ओ मेरे निज लोगो, याद करो, मोआब के राजा बालाक ने कैसा कुचक्र रचा था, पर बिलआम बेन-बओर ने उसे कैसा उत्तर दिया था। याद करो, शिट्टीम नगर से गिलगाल नगर तक क्या घटनाएं घटी थीं, ताकि तुम प्रभु के उद्धार के कार्यों को समझ सको।’
6 मैं हाथ में कौन-सी भेंट लेकर प्रभु के सामने जाऊं और उच्च सिंहासन पर विराजमान परमेश्वर के सम्मुख आराधना करूं? क्या मैं उसके सम्मुख अन्नबलि, और एक-वर्षीय बछड़ा लेकर जाऊं?
7 क्या प्रभु हजार मेढ़ों की बलि से, क्या वह तेल की लाखों नदियों की भेंट से प्रसन्न होगा? क्या मुझे अपने अपराध की क्षमा के लिए ज्येष्ठ पुत्र की बलि देना चाहिए? क्या मुझे अपने ही पाप के लिए अपने पौरुष के प्रथम फल को चढ़ाना चाहिए? कदापि नहीं!
8 ओ मानव, प्रभु ने तुझे बताया है कि उचित क्या है, और वह तुझसे क्या चाहता है। यही न कि तू न्याय-सिद्धान्त का पालन करे करुणा से प्रेम करे, और नम्रतापूर्वक अपने परमेश्वर के मार्ग पर चले?
9 प्रभु की वाणी नगर में सुनाई दे रही है, (प्रभु-नाम का भय मानना ही बुद्धिमानी है:) ‘ओ यहूदा के कुल! ओ नगर-सभा के सदस्यो!
10 क्या मैं दुष्कर्मी के घर में संचित दुष्कर्म के धन को, और उसकी घृणित छोटी माप को भुला सकता हूं?
11 क्या मैं खोटी तराजू रखनेवाले को, अपनी थैली में खोटे बाट रखनेवालों को बिना दण्ड दिए छोड़ दूंगा?
12 ओ यहूदा कुल, तेरे धनवान लोगों में हिंसावृत्ति है, तेरे नागरिक झूठ बोलते हैं; उनकी बातें कपटपूर्ण होती हैं।
13 अत: मैंने तुझको वध करना आरम्भ किया है। मैं तेरे पाप के कारण तुझे उजाड़ दूंगा।
14 तू भोजन करेगा, पर तृप्त नहीं होगा, तेरा पेट हमेशा खाली रहेगा। तू बचाएगा तो भी तू जमा नहीं कर पाएगा। जो कुछ तू बचाएगा, मैं उसे तेरे तलवारधारी शत्रु को दे दूंगा।
15 तू बोएगा पर फसल काट नहीं पाएगा। तू जैतून का तेल निकालेगा, पर उसको सिर पर नहीं लगा पाएगा। तू अंगूर से रस निकालेगा, पर उसको पी नहीं पाएगा।
16 ओ यहूदा कुल! तूने राजा ओमरी की संविधियों को माना, तूने अहाब के राजवंश के कार्यों के अनुरूप कार्य किया। तूने उनके परामर्श के अनुसार आचरण किया। अत: मैं तुझे उजाड़ दूंगा। तेरे नागरिकों को उपहास का पात्र बना दूंगा। तू अन्य कौमों की निन्दा सहेगा।’