Joshua 16
1 यूसुफ के वंशजों को यरीहो नगर के निकट, यर्दन नदी से यरीहो के जलाशय के पूर्व में निर्जन प्रदेश तक का भूमि-क्षेत्र दिया गया। उनके क्षेत्र की सीमा-रेखा यरीहो से आरम्भ होकर, पहाड़ी क्षेत्र से गुजरती हुई बेत-एल नगर तक जाती थी।
2 वह बेत-एल से लूज जाती, और वहां से अटारोत, जो अर्की जाति की सीमा था।
3 तत्पश्चात् सीमा-रेखा पश्चिम की ओर यप्लेटी जाति की सीमा की ओर बढ़ती और निचले बेत-होरोन तक पहुंचती थी। वहाँ से गेजर की ओर जाती, और भूमध्य-सागर पर समाप्त हो जाती थी।
4 यूसुफ के पुत्र मनश्शे और एफ्रइम के वंशजों को यही भूमि-क्षेत्र पैतृक अधिकार में प्राप्त हुआ।
5 एफ्रइम गोत्र के परिवारों के भूमि-क्षेत्र की सीमा यह थी: उनकी पूर्वी सीमा उपरले बेत-होरोन तक अट्रोत-अद्दार थी।
6 वहां से सीमा-रेखा भूमध्यसागर पहुंचती थी। उनकी उत्तरी सीमा पर मिक्मतात स्थित था। सीमा-रेखा पूर्व में घूमकर तअनत- शिलोह की ओर जाती थी। वह वहां से गुजरती और पूर्व में यानोहाह को चली जाती थी।
7 तत्पश्चात् वह यानोहाह से अटारोत और नअरा की ओर नीचे उतरती थी। वहां से वह यरीहो पहुंचती और यर्दन नदी पर समाप्त होती थी।
8 तप्पूह से सीमा-रेखा पश्चिम में कानाह बरसाती नदी की ओर जाती और भूमध्यसागर में समाप्त होती थी। यही भूमि-क्षेत्र एफ्रइम के गोत्र के परिवारों की संख्या के अनुसार पैतृक-अधिकार में दिया गया।
9 इसके अतिरिक्त मनश्शे गोत्र की पैतृक-भूमि में स्थित निर्धारित कस्बे और उनके गांव भी एफ्रइम के वंशजों को दिए गए।
10 उन्होंने गेजर नगर में रहने वाली कनानी जाति के लोगों को नहीं निकाला। इसलिए वे आज भी एफ्रइम के वंशजों के मध्य निवास करते हैं। पर वे बेगार करने के लिए गुलाम बना दिए गए हैं।