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Job 8

:
Hindi - CLBSI
1 शूही वंश के बिलदद ने अय्‍यूब से कहा:
2 ‘मित्र, तुम कब तक ये बातें कहते रहोगे? तुम्‍हारे मुँह की बातें ऐसी लगती हैं, मानो प्रचण्‍ड वायु बह रही है!
3 भाई, क्‍या परमेश्‍वर न्‍याय को अन्‍याय में बदल देता है? क्‍या सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर, धर्म को अधर्म में उलट देता है?
4 तुम्‍हारे पुत्रों ने परमेश्‍वर के प्रति पाप किया था, अत: उसने अपराध के हाथ में उन्‍हें सौंप दिया।
5 यदि तुम परमेश्‍वर को ढूंढ़ोगे, और सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर से निवेदन करोगे;
6 यदि तुम शुद्ध और सरल हृदय के हो, तो निस्‍सन्‍देह वह तुम्‍हारे लिए जागेगा, और तुम्‍हारे धर्ममय आचरण के कारण तुम्‍हारे परिवार का कल्‍याण करेगा।
7 यद्यपि तुम्‍हारी आरम्‍भिक स्‍थिति साधारण थी तथापि तुम्‍हारे अन्‍त की दशा महान होगी!
8 ‘अय्‍यूब, पिछले पीढ़ी के लोगों से पूछो, और तब विचार करो कि तुम्‍हारे पूर्वजों ने इस सम्‍बन्‍ध में क्‍या अनुभव प्राप्‍त किया था?
9 हम तो कल के लोग हैं, हमें कुछ भी अनुभव नहीं है। पृथ्‍वी पर हमारी उम्र छाया के समान ढलती है।
10 क्‍या तुम्‍हारे पूर्वज तुम्‍हें शिक्षा देंगे, तुम्‍हें नहीं सिखाएँगे? निस्‍सन्‍देह वे तुम्‍हें हृदय से शिक्षा देंगे।
11 ‘मित्र, क्‍या कछार की घास कछार के पानी के बिना उग सकती है? क्‍या नरकुल बिना कीचड़ के पनप सकता है?
12 नरकुल चाहे हरा हो, चाहे उसको काटा जाए तो भी वह उन्‍य घास की अपेक्षा पहले ही सूख जाता है!
13 यही हाल उन सबका होता है जो परमेश्‍वर को भूल जाते हैं; इसी प्रकार अधर्मी की आशा धूल में मिल जाती है।
14 उसका विश्‍वास तन्‍तु मात्र होता है; जिस पर वह भरोसा करता है, वह मकड़ी के जाल की तरह कमजोर होता है।
15 वह अपने घर को आधार समझता है; पर उसका घर भी ढह जाता है! वह उसको दृढ़ता से बांधता है, पर घर टिक नहीं पाता!
16 अधर्मी मनुष्‍य उस पौधे के समान है जो धूप में हरा-भरा हो जाता है; उसकी शाखाएँ उद्यान में इधर-उधर फैल जाती हैं।
17 उसकी जड़ें पत्‍थरों के ढेर में भी घुस जाती हैं; वह चट्टानों के मध्‍य पनपता है।
18 पर जब वह अपने स्‍थान पर नष्‍ट किया जाता है, तब उसका स्‍थान उसको अस्‍वीकार करता है: वह कहता है, मैंने तुझे कभी देखा ही नहीं!
19 अय्‍यूब, देखो, यह है अधर्मी के मार्ग का मजा! उसी मिट्टी में फिर दूसरे उत्‍पन्न हो जाएंगे!
20 ‘परमेश्‍वर निर्दोष व्यक्‍ति का त्‍याग नहीं करता, और दुर्जनों को सहारा देता है!
21 वह तुम्‍हारी गोद को खुशियों से भर देगा, तुम्‍हारे ओंठों पर मुस्‍कुराहट खिलेगी।
22 जो लोग आज तुमसे घृणा करते हैं, वे स्‍वयं लज्‍जा से मुंह छिपाते हुए फिरंगे; दुर्जन का अस्‍तित्‍व समाप्‍त हो जाएगा।’