Job 20
1 नामाह नगर के रहने वाले सोपर ने कहा:
2 ‘अय्यूब, तुम्हारी बातें सुनकर मेरा हृदय व्याकुल हो उठा है, अत: मेरे विचार प्रकट होने के लिए आतुर हैं।
3 मैंने अपनी निन्दा सुनी, तुम्हारी बातों से मेरा अपमान हुआ। मेरी आत्मा अपनी समझ के अनुसार तुम्हें यह उत्तर दे रही है।
4 यह नियम प्राचीन काल से, उस समय से चला आ रहा है, जब मनुष्य पृथ्वी पर पहले-पहल रचा गया था। क्या तुम यह नियम नहीं जानते हो
5 कि दुर्जन की विजय अल्पकालीन होती है, अधर्मी का आनन्द क्षणिक होता है,
6 चाहे उसकी महानता आकाश तक पहुँच जाए, चाहे उसका सिर बादलों को छूने लगे,
7 तो भी वह अपने मल-मूत्र के समान सदा के लिए नष्ट हो जाएगा; जिन्होंने उसको देखा था, वे यह पूछेंगे: “वह कहां गया?”
8 वह सपने की तरह लुप्त हो जाएगा, और उसका पता तक नहीं चलेगा; रात में देखे गए दृश्य के समान उसकी स्मृति भी शेष नहीं रहेगी।
9 जिन आंखों ने उस दुर्जन को देखा था, अब वे उसे नहीं देख सकेंगी; न ही वह स्थान उसको देख पाएगा जहां वह रहता था।
10 अपने हाथों से उसे अपनी सम्पत्ति लौटानी पड़ेगी, उसके बच्चे गरीबों से भी भीख मांगेंगे।
11 अभी उसकी हड्डियों में जवानी का जोश भरा है; पर वह अन्त में मिट्टी में मिल जाएगा।
12 ‘यद्यपि बुराई दुर्जन को मीठी लगती है; और वह उसको अपनी जीभ के नीचे छिपाए रखता है;
13 वह बुराई को छोड़ना पसन्द नहीं करता, वह उसको अपने पास सम्भालकर रखता है;
14 तो भी उसका यह भोजन पेट में जाकर जहर में बदल जाता है; वह नाग के विष जैसा बन जाता है।
15 जो धन-सम्पत्ति उसने निगल रखी है, उसे वह उगल देगा; स्वयं परमेश्वर उसके पेट से उसको निकालेगा।
16 दुर्जन सर्प का विष चूसेगा, करैत सांप उसको डसेगा, और वह मर जाएगा।
17 वह नदियों के, शहद और दूध की नदियों के दर्शन नहीं कर पाएगा।
18 उसको अपने परिश्रम के फल से हाथ धोना पड़ेगा; वह उसको भोग नहीं पाएगा; उसको अपने व्यापार के लाभ से आनन्द नहीं मिलेगा।
19 क्योंकि उसने गरीबों को पीसा था, उसने उनको मर जाने के लिए यों ही छोड़ दिया था। उसने उस मकान को हड़प लिया था, जो उसने नहीं बनाया था।
20 ‘उसके लालच की कोई सीमा न थी, इसलिए वह अपनी कोई प्रिय वस्तु नष्ट होने से बचा न सकेगा।
21 हड़प लेने के बाद वह कुछ शेष नहीं छोड़ता था, अत: उसकी समृद्धि अटल नहीं रहेगी।
22 सब प्रकार की सुख-सुविधा के बावजूद संकट के बादल उस पर मंडराते रहेंगे; सब प्रकार की विपत्तियाँ उस पर टूट पड़ेंगी।
23 उसका पेट भरने के लिए परमेश्वर अपनी क्रोधाग्नि उस पर भेजेगा; और वह उसकी अंतड़ियों में उसे बरसाएगा।
24 दुर्जन लोहे के अस्त्रों से डरकर भागेगा पीतल का बाण उसको बेधेगा।
25 वह उस बाण को अपने पेट से खींचकर निकालेगा; बाण की चमकदार नोक उसके पित्ताशय को फाड़कर बाहर आएगी। मृत्यु का आंतक उस पर छा जाएगा;
26 घोर अन्धकार उसकी छिपी धन-सम्पत्ति पर छा जाएगा; अपने आप जली हुई आग उसको भस्म कर देगी; जो कुछ उसके निवास-स्थान में बचा होगा, वह भी जल जाएगा।
27 आकाश उसका अधर्म प्रकट करेगा, पृथ्वी उसके विरुद्ध साक्षी देगी।
28 उसके घर की सम्पत्ति नष्ट हो जाएगी, परमेश्वर के कोप-दिवस पर वह बह जाएगी।
29 अय्यूब, परमेश्वर ने दुर्जन की नियति यही निश्चित की है; उसके लिए परमेश्वर ने यही भाग निर्धारित किया है।’