Jeremiah 20
1 प्रभु-भवन के सिपाहियों का नायक पशहूर बेन-इम्मेर था। वह पुरोहित भी था। जब उसने नबी यिर्मयाह को यह नबूवत करते हुए सुना,
2 तब उसने नबी यिर्मयाह को मारा और उनको काठ की बेड़ियों में जकड़ कर प्रभु-भवन के उपरले बिन्यामिन दरवाजे में डाल दिया।
3 दूसरे दिन पशहूर ने यिर्मयाह को मुक्त कर दिया। तब नबी ने उस से कहा, ‘अब प्रभु तुझे पशहूर नाम से नहीं, वरन् “चहुंओर आतंक” नाम से पुकारेगा।
4 प्रभु तेरे विषय में यों कहता है: मैं तुझे स्वयं तेरे लिए तथा तेरे मित्रों के लिए आतंक बना दूंगा। वे शत्रुओं की तलवार से कट-कट कर तेरी आंखों के सामने गिरेंगे। मैं समस्त यहूदा प्रदेश को बेबीलोन के राजा के हाथ में सौंप दूंगा। वह यहूदा प्रदेश के निवासियों को गुलाम बना कर बेबीलोन ले जाएगा, और उनको तलवार से मौत के घाट उतार देगा।
5 मैं यरूशलेम नगर की समस्त धन-सम्पत्ति, उस की समस्त जमा-पूंजी, समस्त बहुमूल्य साज-सामान, यहूदा प्रदेश के राजाओं का पैतृक खजाना उनके शत्रुओं के हाथ में दे दूंगा। उनके शत्रु उनको लूटेंगे, उन पर कब्जा कर लेंगे, और उनको बन्दी बनाकर बेबीलोन में ले जाएंगे।
6 ‘और तू, पशहूर! तू और तेरे घर में रहनेवाला प्रत्येक व्यक्ति गुलाम बन कर बेबीलोन देश को जाएगा। पशहूर, तू निस्सन्देह बेबीलोन को जाएगा, और वहां तू मरेगा, और वहीं − परदेश में − तू अपने मित्रों के साथ गाड़ा जाएगा, जिनको तूने झूठी नबूवत सुनाई थी।’
7 हे प्रभु, तूने मुझे धोखा दिया, और मैंने धोखा खाया! प्रभु, तू मुझ से बलवान है, अत: मैं तेरे हाथों से पराजित हो गया। प्रभु, मैं तेरे कारण सब लोगों के लिए हंसी का पात्र बन गया हूं, वे दिन-भर मेरी हंसी उड़ाते हैं;
8 क्योंकि जब-जब मैं जोर से बोलता हूं, तब-तब मेरे ओठों से बड़े जोर-शोर से ‘हिंसा और विनाश’ की नबूवत ही निकलती है। प्रभु तेरा वचन मेरे लिए निन्दा और अपमान का कारण बन गया, और मैं यह दिन-भर सहता हूं।
9 यदि मैं यह कहूं, कि मैं तेरी चर्चा न करूंगा, तेरे नाम से नहीं बोलूंगा, तो मेरे हृदय में मानो अग्नि धधक उठती है, और वह हड्डियों में समा जाती है। मैं उस आग को बाहर निकलने से रोक नहीं पाता हूं; सचमुच मैं उसको रोक सकने में असमर्थ हो जाता हूं।
10 प्रभु, मैं अपने विरुद्ध अनेक लोगों की कानाफूसी सुनता हूँ। मेरे चहुं ओर आतंक का साम्राज्य है। लोग मेरे विरुद्ध यह कह रहे हैं: ‘आओ, हम उस पर दोष लगाएं; तब हम उसको अपराधी ठहरा देंगे।’ मेरे घनिष्ठ मित्र भी मेरे पतन की राह देख रहे हैं। वे कह रहे हैं, ‘शायद वह धोखा खाए। तब हम उसको अपने वश में कर लेंगे, और उससे बदला लेंगे।’
11 किन्तु, प्रभु, तू मानो आतंकमय योद्धा है। तू मेरे साथ है। अत: मुझे सतानेवाले, मेरे बैरी, मुंह के बल गिरेंगे; वे मुझ पर प्रबल न होंगे। वे अपनी पराजय के कारण अत्यन्त लज्जित होंगे। उनका यह अपमान सदा बना रहेगा, और कभी भुलाया न जा सकेगा।
12 हे स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु, तू धार्मिक जन को परखता है; तू हर एक व्यक्ति के हृदय और मन को जानता है। प्रभु, मैं अपनी आंखों से देखूं, कि तूने उनसे प्रतिशोध लिया है; क्योंकि मैंने अपना यह मुकदमा तुझ पर छोड़ दिया है।
13 प्रभु के लिए स्तुतिगान गाओ; प्रभु की स्तुति करो! क्योंकि उसने दुष्कर्मियों के हाथ से गरीब के प्राण मुक्त किए हैं।
14 जिस दिन मैं पैदा हुआ, उस दिन को आग लग जाए। जिस दिन मेरी मां ने मुझे जन्म दिया, वह दिन युग-युग तक शापित हो।
15 उस मनुष्य को धिक्कार है, जो मेरे पिता के पास यह खबर लाया था ‘आप को एक पुत्र उत्पन्न हुआ है’ और मेरे पिता को यह समाचार सुनाकर अत्यन्त आनन्दित किया था।
16 मेरे जन्म की खबर लानेवाला मनुष्य सदोम और गमोरा नगरों की तरह मिट जाए जिनको प्रभु ने कठोरता से उलट-पुलट दिया था। वह हर क्षण तनाव का जीवन जीए; वह सबेरे चीख-पुकार सुने; दोपहर को उसके कानों में युद्ध की ध्वनि पड़े।
17 तूने मुझे मां के पेट में ही क्यों न मार डाला? तब मेरी मां की कोख मेरी कबर बन जाती और मैं उसमें सदा पड़ा रहता।
18 प्रभु, मैं अपनी मां के पेट से बाहर क्यों आया? क्या कष्ट और दु:ख का जीवन बिताने के लिए? क्या मैं अपमान और निन्दा में अपना जीवन बिताता रहूंगा?