Bible

Power Up

Your Services with User-Friendly Software

Try RisenMedia.io Today!

Click Here

Jeremiah 13

:
Hindi - CLBSI
1 प्रभु ने मुझसे यों कहा, ‘जा, और एक लुंगी खरीद। तू उस को अपनी कमर में बांधना, और पानी में मत भिगोना।’
2 अत: प्रभु के आदेश के अनुसार मैंने एक लुंगी खरीदी, और उस को अपनी कमर में बांध लिया।
3 दूसरी बार प्रभु ने मुझसे यों कहा:
4 ‘जो लुंगी तूने खरीदी है और जो तूने कमर में बांधी है, उस को उतार, और फरात नदी के तट पर जा। वहां तू लुंगी को चट्टान की दरार में छिपा देना।’
5 अत: मैं उठा, और फरात नदी के तट पर गया। मैंने प्रभु के आदेश के अनुसार लुंगी को चट्टान की दरार में छिपा दिया।
6 कई दिनों के पश्‍चात् प्रभु ने मुझसे कहा, ‘उठ, और फरात नदी के तट पर जा, और वहां से लुंगी निकाल, जो तूने मेरे आदेश के अनुसार छिपा दी थी।’
7 अत: मैं फरात नदी के तट पर गया। जिस स्‍थान पर मैंने लुंगी को छिपाया था, वहां से मैंने लुंगी निकाली। पर यह क्‍या! लुंगी खराब हो गई थी। वह किसी काम की नहीं रही।
8 तब प्रभु का यह वचन मेरे पास पहुंचा:
9 ‘प्रभु यों कहता है: मैं यहूदा के घमण्‍ड को, यरूशलेम के महा घमण्‍ड को इसी प्रकार खराब करूंगा।
10 यह दुष्‍कर्मी जाति है। ये मेरी बात सुनने से इन्‍कार करते हैं, और हठपूर्वक अपने हृदय के अनुसार आचरण करते हैं। ये अन्‍य कौमों के देवी-देवताओं की सेवा करने के लिए उनके अनुयायी बन गए हैं, और उनकी पूजा करते हैं। अत: यह कौम भी लुंगी के समान किसी काम की नहीं रहेगी।
11 मुझ-प्रभु की यह वाणी है: जैसे लुंगी मनुष्‍य की कमर से चिपकी रहती है वैसे ही मैंने इस्राएल के तथा यहूदा प्रदेश के सब लोगों को अपने से चिपका कर रखा था कि वे मेरे निज लोग बनें, और मेरे नाम, मेरी स्‍तुति और महिमा का कारण बनें। किन्‍तु उन्‍होंने मेरी बात नहीं मानी।
12 ‘ओ यिर्मयाह, तू उनसे कहना: “इस्राएल का प्रभु परमेश्‍वर यों कहता है: मदिरा का हर एक घड़ा भरा जाएगा।” किन्‍तु वे तुझको उलट कर यह उत्तर देंगे, “निस्‍सन्‍देह, हम यह बात जानते हैं कि मदिरा का प्रत्‍येक पात्र मदिरा से भरा जाएगा।”
13 तब तू उनसे यह कहना, “प्रभु यों कहता है: देखो, मैं देश के सब निवासियों को शराब के नशे से मतवाला कर दूंगा। दाऊद के सिंहासन पर बैठनेवाला राजा, पुरोहित, नबी और यरूशलेम के सब नागरिक मेरी क्रोध रूपी मदिरा पीकर मतवाले हो जाएंगे।
14 मैं उनको एक-दूसरे से टकराऊंगा: पिता और पुत्रों को भी टकराऊंगा। मैं उनको नष्‍ट करते समय उन पर दया नहीं करूंगा, ही उनको छोड़ूंगा, और ही उन पर तरस खाऊंगा,” प्रभु की यह वाणी है।’
15 इस्राएलियो, मेरी बात ध्‍यान से सुनो; क्‍योंकि यह मैंने नहीं वरन् प्रभु ने कहा है: घमण्‍ड मत करो।
16 इस के पूर्व कि प्रभु अन्‍धकार की चादर बिछाए, इसके पूर्व कि पहाड़ों पर अन्‍धकार की बदली छाए, और तुम्‍हें ठोकर लगे, यहूदा प्रदेश के निवासियो, अपने प्रभु परमेश्‍वर की महिमा करो। ऐसा हो कि जब तुम प्रकाश को खोजो, तब प्रभु प्रकाश को अन्‍धकार में बदल दे, वह प्रकाश को घोर अन्‍धकार बना दे!
17 किन्‍तु यदि तुम मेरी बात नहीं सुनोगे, तो मैं तुम्‍हारे घमण्‍ड के कारण एकांत स्‍थान में आंसू बहाऊंगा, मेरी आंखें बुरी तरह रोएंगी, उनसे आंसुओं की नदी बहेगी; क्‍योंकि प्रभु का रेवड़ बन्‍दी बना लिया जाएगा।
18 राजा और राजमाता से यह कहो: ‘महाराज और राजमाता, सिंहासन पर नहीं, वरन् अब भूमि पर बैठिए; क्‍योंकि आपके सिर से सुन्‍दर मुकुट उतार लिया गया है!’
19 यहूदा प्रदेश के दक्षिणी नगरों के प्रवेश-द्वार बन्‍द कर दिए गए हैं; अब उनको कोई खोलनेवाला नहीं है। यहूदा प्रदेश की जनता गुलाम बनकर विदेश चली गई है, सब लोग स्‍वदेश से निकाल दिए गए हैं।
20 यरूशलेम! उत्तर दिशा से आनेवालों को आंखें ऊपर उठाकर देख। तेरा सुन्‍दर रेवड़, जो प्रभु ने तुझ को सौंपा था, कहां गया?
21 जिनको तूने मित्रता का पाठ पढ़ाया था, जिन को तूने मित्र बनाया था, जब वे तेरे शासक नियुक्‍त होंगे तब तू क्‍या कहेगी? क्‍या यह देखकर तुझे जच्‍चा स्‍त्री के समान प्रसव-पीड़ा नहीं होगी?
22 यदि तू अपने हृदय में यह सोचे कि यह विपत्ति तुझ पर क्‍यों आई है, तो सुन: तेरे महा दुष्‍कर्म के कारण तेरा वस्‍त्र उतारा गया, तू नग्‍न की गई और तेरे साथ बलात्‍कार किया गया।
23 क्‍या हबशी अपनी काली त्‍वचा अथवा चीता अपने चित्ते बदल सकता है? तब तू कैसे अपना स्‍वभाव बदल कर सत्‍कर्म कर सकती है; क्‍योंकि तुझे तो दुष्‍कर्म करने की आदत है?
24 जैसे मरुस्‍थल का पवन भूसे को उड़ा ले जाता है वैसे ही प्रभु तुझको तितर-बितर कर देगा।
25 प्रभु कहता है, ‘जो मैंने तेरे लिए निश्‍चित् किया है, वह यही है, यही तेरी नियति है; क्‍योंकि तू मुझे भूल गई, तूने झूठ पर भरोसा किया।
26 तेरे दुष्‍कर्मों के कारण मैं स्‍वयं तेरे वस्‍त्र उतारूंगा, और सब राष्‍ट्र तेरी नग्‍नता देखेंगे।
27 जो घृणित कार्य, व्‍यभिचार, कामुकता, वेश्‍यावृत्ति, तूने पहाड़ियों और मैदानों में किए हैं, वे सब मैंने देखे हैं। यरूशलेम, धिक्‍कार है तुझे! तू कब शुद्ध होगी?’