Isaiah 19
1 मिस्र देश के विरुद्ध नबूवत: प्रभु एक तीव्रगामी मेघ पर सवार हो मिस्र देश आ रहा है। उसके सम्मुख मिस्र देश के देवताओं की मूर्तियाँ थर्रा उठेंगी। मिस्र के निवासियों का हृदय डूब जाएगा।
2 प्रभु यों कहता है: “मैं मिस्र निवासियों को एक-दूसरे के विरुद्ध उकसाऊंगा; वे आपस में लड़ेंगे: भाई, भाई के विरुद्ध पड़ोसी, पड़ोसी के विरुद्ध। एक नगर दूसरे नगर से, एक राज्य दूसरे राज्य से युद्ध करेगा।
3 मिस्र-निवासियों का उत्साह ठण्डा पड़ जाएगा: मैं उनकी योजनाओं को निरर्थक कर दूंगा। तब वे मार्गदर्शन के लिए अपनी देव-मूर्तियों, झाड़-फूंक करनेवालों, प्रेतसाधकों और टोनहों के पास जाएंगे।
4 मैं मिस्र-निवासियों को एक कठोर स्वामी के हाथ में सौंप दूंगा। एक खूंखार राजा उन पर शासन करेगा।” स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु स्वामी ने यही कहा है।
5 नील नदी का पानी सूख जाएगा; महानदी का तल शुष्क और रिक्त हो जाएगा।
6 उसकी नहरों से दुर्गन्ध आने लगेगी, नील नदी की सहायक नदियाँ भी सूख जाएंगी, वे शुष्क हो जाएंगी। नरकट और कांस झुलस जाएंगे।
7 नील नदी के मुहाने पर, नील नदी के तट पर शुष्क स्थल होंगे; जो कुछ उसके कछार में बोया जाएगा, वह सब सूख जाएगा; वह उड़ जाएगा, कुछ भी शेष नहीं रहेगा।
8 मछुवे शोक मनाएंगे, नील नदी में मछली पकड़नेवाले विलाप करेंगे। नील नदी के जल में जाल फेंकनेवाले उदास होंगे।
9 तीसी साफ करनेवाले मजदूर और सफेद कपास के बुनकर निराश होंगे।
10 समाज के स्तम्भ ध्वस्त हो जाएंगे; मजदूरी पर काम करनेवाले अत्यन्त दु:खित होंगे।
11 सोआन नगर के सामन्त निश्चय ही मूर्ख हैं, फरओ के बुद्धिमान मन्त्री भी मूर्खतापूर्ण सलाह देते हैं। तब तुम फरओ के सामने यह दावा कैसे कर सकते हो कि तुम बुद्धिमानों के अवशिष्ट हो, प्राचीन राजाओं के वंशज हो?
12 ओ मिस्र देश, कहां गए तेरे बुद्धिमान पंडित? वे तुझे बताएँ, तुझ पर प्रकट करें कि सेनाओं के प्रभु ने तेरे विरुद्ध क्या करने का निश्चय किया है?
13 सोअन नगर के सामन्त मूर्ख हो गए हैं; मेम्फिस नगर के सामन्त भ्रम में फंस गए हैं। मिस्र देश के कुलों के मुखियों ने मिस्र देश को पथभ्रष्ट कर दिया है।
14 प्रभु ने मिस्र देश में संभ्रम की आत्मा प्रेषित की है। उन नेताओं के कारण मिस्री अपने सब कामों में इस तरह लड़खड़ाते हैं, जैसे कोई शराबी वमन करता हुआ लड़खड़ाता है।
15 अत: मिस्र देश कोई भी कार्य नहीं कर पाएगा; न उसके शासक, और न उसकी प्रजा न उसके अधिकारी, और न उसकी जनता।
16 उस दिन मिस्र-निवासी स्त्रियों के सदृश भयभीत होंगे। स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु उन पर अपना हाथ उठाएगा, और वे डर से कांपेंगे।
17 यहूदा प्रदेश मिस्र निवासियों के लिए ‘हौआ’ बन जाएगा। जो भी मिस्र निवासी उसका नाम सुनेगा, वह आतंकित हो जाएगा; क्योंकि सेनाओं के प्रभु ने मिस्र-निवासियों का विनाश करने का निश्चय किया है।
18 उस दिन मिस्र देश के पांच नगर कनान देश की भाषा बोलेंगे और स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु के प्रति निष्ठा रखने की शपथ खाएँगे। इन पांच नगरों में से एक नगर का नाम ‘सूर्य नगर’ होगा।
19 उस दिन मिस्र देश में प्रभु के नाम की एक वेदी होगी, और मिस्र देश की सीमा पर प्रभु के नाम का एक स्तम्भ होगा।
20 यह मिस्र देश में स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु के लिए एक चिह्न और साक्षी होगा। जब मिस्र-निवासी अत्याचारियों के कारण प्रभु की दुहाई देंगे तब प्रभु उनके पास एक उद्धारकर्ता भेजेगा। वह उनकी रक्षा कर उनका उद्धार करेगा।
21 प्रभु मिस्र-निवासियों पर स्वयं को प्रकट करेगा, और उस दिन मिस्र-निवासी प्रभु का अनुभव करेंगे, और वे पशु-बलि और अग्नि-बलि के द्वारा प्रभु की आराधना करेंगे। वे प्रभु के लिए मन्नतें मानेंगे और उनको पूर्ण करेंगे।
22 यद्यपि प्रभु मिस्र-निवासियों को मारेगा, तथापि वह उनको मार के द्वारा स्वस्थ भी करेगा। वे पश्चात्ताप कर प्रभु की ओर उन्मुख होंगे। प्रभु उनकी प्रार्थना सुनेगा, और तब उन्हें स्वस्थ करेगा।
23 उस दिन मिस्र देश से असीरिया देश तक एक राजमार्ग निर्मित होगा। असीरिया देश के नागरिक उस मार्ग से मिस्र देश में आयेंगे और मिस्र देश के नागरिक असीरिया देश को जाएंगे। मिस्र देश के निवासी असीरिया देश के निवासियों के साथ आराधना करेंगे।
24 उस दिन इस्राएली राष्ट्र मिस्र देश और असीरिया देश के बराबर होगा और वह पृथ्वी के सब देशों के लिए प्रभु की आशिष का माध्यम बनेगा;
25 क्योंकि स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु तीनों देशों को यह आशिष देगा: “धन्य हैं मिस्र-निवासी: तुम मेरे निज लोग हो। धन्य है असीरिया राष्ट्र: तू मेरे हाथों की रचना है। धन्य है इस्राएली राष्ट्र: तू मेरी मीरास है।”