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Deuteronomy 13

:
Hindi - CLBSI
1 ‘यदि तेरे मध्‍य में किसी नबी अथवा स्‍वप्‍न-द्रष्‍टा का जन्‍म हो, वह तुझे चिह्‍न अथवा आश्‍चर्यपूर्ण कार्य दिखाए
2 और जिस चिह्‍न अथवा आश्‍चर्यपूर्ण कार्य के विषय में वह बोला था, वह सच प्रमाणित हो जाए, और तब वह कहे, “आओ, हम दूसरे देवताओं का अनुसरण करें”, जिनको तू नहीं जानता है, और “आओ, हम उनकी आराधना करें”,
3 तो तू उस नबी अथवा स्‍वप्‍न-द्रष्‍टा की बातों को मत सुनना; क्‍योंकि तेरा प्रभु परमेश्‍वर यह जानने के लिए तेरी परीक्षा ले रहा है, कि क्‍या तू अपने सम्‍पूर्ण हृदय से, सम्‍पूर्ण प्राण से अपने प्रभु परमेश्‍वर को प्रेम करता है।
4 तू केवल अपने प्रभु परमेश्‍वर का अनुसरण करना, उसकी भक्‍ति करना, उसकी आज्ञाओं का पालन करना, और उसकी वाणी को सुनना। तू उसकी आराधना करना, और उससे सम्‍बद्ध रहना।
5 किन्‍तु उस नबी अथवा स्‍वप्‍न-द्रष्‍टा को मृत्‍यु-दण्‍ड देना; क्‍योंकि उसने तुझे उस प्रभु परमेश्‍वर से विमुख करने वाले वचन कहे थे, जिसने तुझे मिस्र देश से बाहर निकाला और तुझे दासत्‍व के घर से मुक्‍त किया है। उस नबी अथवा स्‍वप्‍न-द्रष्‍टा ने तुझे उस मार्ग से खींचा था, जिस पर चलने की आज्ञा तेरे प्रभु परमेश्‍वर ने तुझे दी है। तू अपने मध्‍य से इस बुराई को अवश्‍य दूर करना।
6 ‘यदि तेरा सगा भाई, अथवा तेरा पुत्र, या पुत्री अथवा तेरी प्राण-प्रिय पत्‍नी या तेरा अंतरंग मित्र तुझे गुप्‍त रूप से फुसलाए और कहे, “आओ, हम चलें और दूसरे देवताओं की पूजा करें”, जिनको तू जानता है और तेरे पूर्वज ही जानते थे,
7 चाहे वे तेरे चहुंओर और निकट रहनेवाली जातियों के देवता हों, अथवा पृथ्‍वी के एक सीमन्‍त से दूसरे सीमन्‍त तक दूर रहने वाली जातियों के हों,
8 तो तू उसकी बात नहीं मानना, और उसकी बात सुनना। उस पर दया-दृष्‍टि मत करना और उसको जीवित छोड़ना। तू उसके अपराध को मत छिपाना,
9 वरन् तू निश्‍चय ही उसका वध करना। उसको मार डालने के लिए तेरा ही हाथ सर्वप्रथम उठे और तेरे पश्‍चात् दूसरे लोगों का हाथ।
10 तू पत्‍थरों से मार-मारकर उसका वध करना, क्‍योंकि उसने तुझे तेरे उस प्रभु परमेश्‍वर से अलग करने का प्रयत्‍न किया था, जो तुझे मिस्र देश से, दासत्‍व के घर से, बाहर निकल लाया है।
11 समस्‍त इस्राएली इस घटना के विषय में सुनेंगे, और भयभीत होंगे। वे ऐसा बुरा कर्म तेरे मध्‍य पुन: नहीं करेंगे।
12 ‘यदि तू अपने किसी नगर में, जिसको तेरा प्रभु परमेश्‍वर तुझे वहाँ निवास करने के लिए दे रहा है, यह बात सुने
13 कि तेरे मध्‍य से ही अधम पुरुष निकले हैं; और उन्‍होंने यह कहकर नगर-वासियों को पथ-भ्रष्‍ट किया है, “आओ, हम चलें और दूसरे देवताओं की पूजा करें,” जिन्‍हें तू नहीं जानता था,
14 तो तू पूछताछ करना, जांच-पड़ताल करना और सावधानी से प्रश्‍न करना। यदि यह बात सच और पक्‍की हो कि तेरे मध्‍य में ऐसा घृणित कार्य किया गया है,
15 तो उस नगर के निवासियों को तलवार से निश्‍चय ही मार डालना। उन सबको जो उसमें है, और उसके पशुओं को निषिद्ध समझकर तलवार से पूर्णत: नष्‍ट कर डालना।
16 तू उसकी सब लूट उसके चौक के मध्‍य में एकत्र करना, और अपने प्रभु परमेश्‍वर के लिए पूर्ण अग्‍नि-बलि के रूप में उस नगर को और उसकी समस्‍त लूट को आग में जला डालना। वह सदा के लिए खण्‍डहर हो जाएगा; उसको पुन: आबाद नहीं किया जाएगा।
17 कोई भी निषिद्ध वस्‍तु तेरे हाथ नहीं लगनी चाहिए, जिससे प्रभु अपनी क्रोधाग्‍नि को शान्‍त करे, तुझ पर दया करे, और तरस खाकर तुझको शक्‍तिशाली बनाए; जैसी उसने तेरे पूर्वजों से शपथ खाई थी।
18 पर यह तब होगा जब तू अपने प्रभु परमेश्‍वर की वाणी को सुनेगा, उसकी उन सब आज्ञाओं का पालन करेगा, जिनके अनुसार कार्य करने का आदेश मैं आज तुझे दे रहा हूँ; और जो कार्य तेरे प्रभु परमेश्‍वर की दृष्‍टि में उचित है, उसी को तू करेगा।