2 Corinthians 13
1 अब तीसरी बार तुम्हारे पास आता हूँ: दो या तीन गवाहों के मुँह से हर एक बात ठहराई जाएगी।
2 जैसे मैं जब दूसरी बार तुम्हारे साथ था, वैसे ही अब दूर रहते हुए उन लोगों से जिन्होंने पहले पाप किया, और अन्य सब लोगों से अब पहले से कह देता हूँ, कि यदि मैं फिर आऊँगा, तो नहीं छोड़ूँगा।
3 तुम तो इसका प्रमाण चाहते हो, कि मसीह मुझ में बोलता है, जो तुम्हारे लिये निर्बल नहीं; परन्तु तुम में सामर्थी है।
4 वह निर्बलता के कारण क्रूस पर चढ़ाया तो गया, फिर भी परमेश्वर की सामर्थ्य से जीवित है, हम भी तो उसमें निर्बल हैं; परन्तु परमेश्वर की सामर्थ्य से जो तुम्हारे लिये है, उसके साथ जीएँगे।
5 अपने आपको परखो, कि विश्वास में हो कि नहीं; अपने आपको जाँचो, क्या तुम अपने विषय में यह नहीं जानते, कि यीशु मसीह तुम में है? नहीं तो तुम निकम्मे निकले हो।
6 पर मेरी आशा है, कि तुम जान लोगे, कि हम निकम्मे नहीं।
7 और हम अपने परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं, कि तुम कोई बुराई न करो; इसलिए नहीं, कि हम खरे देख पड़ें, पर इसलिए कि तुम भलाई करो, चाहे हम निकम्मे ही ठहरें।
8 क्योंकि हम सत्य के विरोध में कुछ नहीं कर सकते, पर सत्य के लिये ही कर सकते हैं।
9 जब हम निर्बल हैं, और तुम बलवन्त हो, तो हम आनन्दित होते हैं, और यह प्रार्थना भी करते हैं, कि तुम सिद्ध हो जाओ।
10 इस कारण मैं तुम्हारे पीठ पीछे ये बातें लिखता हूँ, कि उपस्थित होकर मुझे उस अधिकार के अनुसार जिसे प्रभु ने बिगाड़ने के लिये नहीं पर बनाने के लिये मुझे दिया है, कड़ाई से कुछ करना न पड़े।
11 अतः हे भाइयों, आनन्दित रहो; सिद्ध बनते जाओ; धैर्य रखो; एक ही मन रखो; मेल से रहो, और प्रेम और शान्ति का दाता परमेश्वर तुम्हारे साथ होगा।
12 एक दूसरे को पवित्र चुम्बन से नमस्कार करो।
13 सब पवित्र लोग तुम्हें नमस्कार कहते हैं।
14 प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह और परमेश्वर का प्रेम और पवित्र आत्मा की सहभागिता तुम सब के साथ होती रहे।