Bible

Simplify

Your Church Tech & Streamline Your Worship

Try RisenMedia.io Today!

Click Here

Romans 10

:
Hindi - HSB
1 हे भाइयो, मेरे मन की अभिलाषा और उनके लिए परमेश्‍वर से यह प्रार्थना है कि वे उद्धार पाएँ।
2 मैं उनके विषय में साक्षी देता हूँ कि उनमें परमेश्‍वर के प्रति धुन तो है, परंतु सच्‍चे ज्ञान के अनुसार नहीं;
3 क्योंकि परमेश्‍वर की धार्मिकता से अनजान होकर, और अपनी धार्मिकता को स्थापित करने का प्रयत्‍न करके, वे परमेश्‍वर की धार्मिकता के अधीन नहीं हुए।
4 अब मसीह व्यवस्था का अंत है, ताकि प्रत्येक विश्‍वास करनेवाले को धार्मिकता प्राप्‍त हो।
5 मूसा उस धार्मिकता के विषय में जो व्यवस्था से है, लिखता है: जो उनका पालन करता है वह मनुष्य उनके द्वारा जीवित रहेगा।
6 परंतु धार्मिकता जो विश्‍वास से है, यह कहती है: अपने मन में यह कहना, स्वर्ग पर कौन चढ़ेगा? (अर्थात् मसीह को नीचे लाने के लिए);
7 या, अधोलोक में कौन उतरेगा? (अर्थात् मसीह को मृतकों में से ऊपर लाने के लिए।)
8 परंतु वह क्या कहती है? वचन तेरे निकट है, वह तेरे मुँह में और तेरे मन में है, यह विश्‍वास का वचन है जिसका हम प्रचार करते हैं।
9 यदि तू अपने मुँह से अंगीकार करे कि यीशु प्रभु है, और अपने मन में विश्‍वास करे कि परमेश्‍वर ने उसे मृतकों में से जिलाया, तो तू उद्धार पाएगा;
10 क्योंकि मन से विश्‍वास करने का परिणाम धार्मिकता होता है, और मुँह से अंगीकार करने का परिणाम उद्धार होता है।
11 क्योंकि पवित्रशास्‍त्र कहता है: जो कोई उस पर विश्‍वास करेगा वह लज्‍जित होगा।
12 चाहे यहूदी हो या यूनानी, उनमें कोई अंतर नहीं, क्योंकि सब का एक ही प्रभु है, और वह अपने सब पुकारनेवालों के लिए उदार है;
13 क्योंकि जो कोई प्रभु का नाम लेगा, वह उद्धार पाएगा।
14 परंतु जिस पर उन्होंने विश्‍वास नहीं किया उसे वे कैसे पुकारें? और जिसके विषय में उन्होंने सुना नहीं उस पर वे कैसे विश्‍वास करें? और बिना प्रचार करनेवाले के वे कैसे सुनें?
15 और यदि उन्हें भेजा जाए तो वे कैसे प्रचार करें? जैसा लिखा है: उनके पैर कितने सुहावने हैं जो भली बातों का सुसमाचार सुनाते हैं।
16 परंतु सब ने सुसमाचार को नहीं माना। यशायाह कहता है: हे प्रभु, किसने हमारे संदेश पर विश्‍वास किया?
17 अतः विश्‍वास सुनने से, और सुनना मसीह के वचन के द्वारा होता है।
18 परंतु मैं कहता हूँ, “क्या उन्होंने नहीं सुना?” उन्होंने अवश्य सुना है: उनकी वाणी संपूर्ण पृथ्वी पर, और उनके वचन जगत के छोर तक फैल गए हैं।
19 परंतु मैं कहता हूँ, “क्या इस्राएल नहीं जानता था?” पहले मूसा कहता है: जो जाति है ही नहीं मैं उनके द्वारा तुममें जलन उत्पन्‍न‍ करूँगा, और एक नासमझ जाति के द्वारा तुम्हें क्रोध दिलाऊँगा।
20 फिर यशायाह बड़े साहस से कहता है: जो मुझे ढूँढ़ते नहीं थे, उन्होंने मुझे पा लिया, और जो मुझे पूछते नहीं थे, उन पर मैं प्रकट हो गया।
21 परंतु इस्राएल के विषय में वह कहता है: मैं दिन भर आज्ञा माननेवाली और हठीली प्रजा के सामने अपने हाथ बढ़ाए रहा।