Bible

Focus

On Your Ministry and Not Your Media

Try RisenMedia.io Today!

Click Here

Revelation 20

:
Hindi - HSB
1 फिर मैंने एक स्वर्गदूत को स्वर्ग से नीचे उतरते हुए देखा जो अपने हाथ में अथाह कुंड की कुंजी और एक बड़ी ज़ंजीर लिए हुए था।
2 उसने अजगर अर्थात् उस पुराने साँप को, जो इब्लीस और शैतान है, पकड़ लिया, और उसे एक हज़ार वर्ष के लिए बाँध दिया,
3 और अथाह कुंड में डाल दिया तथा उसे बंद करके उस पर मुहर लगा दी, कि जब तक हज़ार वर्ष पूरे हो जाएँ, वह जाति-जाति के लोगों को फिर भरमाए। इन बातों के बाद उसका थोड़े समय के लिए खोला जाना आवश्यक है।
4 फिर मैंने सिंहासन देखे और उन पर लोग बैठ गए और उन्हें न्याय करने का अधिकार दिया गया। फिर मैंने उन लोगों की आत्माओं को भी देखा जिनके सिर यीशु की गवाही देने और परमेश्‍वर के वचन के कारण काट दिए गए थे, और जिन्होंने तो उस पशु की और ही उसकी मूर्ति की पूजा की थी और अपने माथे और हाथों पर उसकी छाप लगवाई थी। फिर वे जीवित हो गए और उन्होंने एक हज़ार वर्ष तक मसीह के साथ राज्य किया।
5 जब तक एक हज़ार वर्ष पूरे हो गए, बाकी मृतक जीवित हुए। यह तो पहला पुनरुत्थान है।
6 धन्य और पवित्र है वह जो पहले पुनरुत्थान में भागी है; उन पर दूसरी मृत्यु का अधिकार नहीं है, बल्कि वे परमेश्‍वर और मसीह के याजक होंगे और उसके साथ एक हज़ार वर्ष तक राज्य करेंगे।
7 जब एक हज़ार वर्ष पूरे हो जाएँगे तो शैतान के बंधन खोल दिए जाएँगे;
8 और वह पृथ्वी के चारों कोनों तक की जातियों को, अर्थात् गोग और मागोग को भरमाने के लिए निकलेगा, जिनकी संख्या समुद्र की बालू के समान है, और उन्हें युद्ध के लिए इकट्ठा करेगा।
9 वे सारी पृथ्वी पर निकल गए और उन्होंने पवित्र लोगों की छावनी और उस प्रिय नगर को घेर लिया, तब स्वर्ग से आग गिरी और उन्हें भस्म कर दिया।
10 फिर उन्हें भरमानेवाला शैतान उस आग और गंधक की झील में फेंक दिया गया, जिसमें वह पशु और झूठा भविष्यवक्‍ता डाले गए थे; और वे दिन और रात युगानुयुग तड़पते रहेंगे।
11 तब मैंने एक बड़ा श्‍वेत सिंहासन और उसे देखा जो उस पर विराजमान था; उसके सामने से पृथ्वी और आकाश भाग गए और उन्हें कोई स्थान नहीं मिला।
12 फिर मैंने छोटे और बड़े, सब मृतकों को सिंहासन के सामने खड़े हुए देखा। तब पुस्तकें खोली गईं; फिर एक और पुस्तक खोली गई, जो जीवन की पुस्तक है। उन पुस्तकों में लिखी हुई बातों के आधार पर सब मृतकों का न्याय उनके कार्यों के अनुसार किया गया।
13 तब समुद्र ने उन मृतकों को जो उसमें थे, दे दिया और मृत्यु और अधोलोक ने भी उन मृतकों को जो उनमें थे, दे दिया; और प्रत्येक का न्याय उनके कार्यों के अनुसार किया गया।
14 तब मृत्यु और अधोलोक को आग की झील में डाल दिया गया। यह आग की झील दूसरी मृत्यु है।
15 जिस किसी का नाम जीवन की पुस्तक में लिखा हुआ नहीं मिला, उसे आग की झील में फेंक दिया गया।