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Mark 1

:
Hindi - HSB
1 परमेश्‍वर के पुत्र यीशु मसीह के सुसमाचार का आरंभ।
2 जैसा यशायाह भविष्यवक्‍ता ने लिखा है: देख, मैं अपने दूत को तेरे आगे भेज रहा हूँ, जो तेरा मार्ग तैयार करेगा।
3 एक आवाज़ जंगल में पुकार रही है, “प्रभु का मार्ग तैयार करो, उसके पथ सीधे करो।”
4 उसी प्रकार यूहन्‍ना आया, जो जंगल में बपतिस्मा देता और पापों की क्षमा के लिए पश्‍चात्ताप के बपतिस्मा का प्रचार करता था।
5 सारे यहूदिया क्षेत्र तथा यरूशलेम के सब निवासी निकलकर उसके पास आने, और अपने पापों का अंगीकार करते हुए उससे यरदन नदी में बपतिस्मा लेने लगे।
6 यूहन्‍ना ऊँट के बालों का वस्‍त्र पहनता और अपनी कमर पर चमड़े का पट्टा बाँधता तथा टिड्डियाँ और जंगली शहद खाया करता था।
7 वह यह कहकर प्रचार करता था, “मेरे बाद जो रहा है वह मुझसे अधिक सामर्थी है; मैं झुककर उसके जूतों के फ़ीते खोलने के भी योग्य नहीं हूँ।
8 मैंने तो तुम्हें पानी से बपतिस्मा दिया, परंतु वह तुम्हें पवित्र आत्मा से बपतिस्मा देगा।”
9 उन दिनों में ऐसा हुआ कि यीशु ने गलील के नासरत से आकर यरदन नदी में यूहन्‍ना से बपतिस्मा लिया।
10 पानी में से ऊपर आते ही उसने आकाश को खुलते और आत्मा को कबूतर के समान अपने ऊपर उतरते देखा।
11 तब आकाश से एक आवाज़ आई, “तू मेरा प्रिय पुत्र है, मैं तुझसे अति प्रसन्‍न हूँ।”
12 तब आत्मा तुरंत उसे जंगल में ले गया।
13 जंगल में शैतान के द्वारा चालीस दिन तक उसकी परीक्षा होती रही। वह वन-पशुओं के साथ रहा और स्वर्गदूत उसकी सेवा करते थे।
14 यूहन्‍ना के बंदी बना लिए जाने के बाद, यीशु परमेश्‍वर के राज्य का सुसमाचार प्रचार करता हुआ गलील में आया
15 और कहने लगा, “समय पूरा हुआ है और परमेश्‍वर का राज्य निकट गया है; पश्‍चात्ताप करो और सुसमाचार पर विश्‍वास करो।”
16 जब वह गलील की झील के किनारे जा रहा था तो उसने शमौन और उसके भाई अंद्रियास को झील में जाल डालते हुए देखा क्योंकि वे मछुए थे।
17 यीशु ने उनसे कहा, “मेरे पीछे आओ; मैं तुम्हें मनुष्यों के मछुए बनाऊँगा।”
18 तब वे तुरंत जालों को छोड़कर उसके पीछे चल दिए।
19 थोड़ा आगे जाकर उसने ज़ब्दी के पुत्र याकूब, और उसके भाई यूहन्‍ना को नाव में जालों को सुधारते हुए देखा।
20 उसने तुरंत उनको बुलाया; और वे अपने पिता ज़ब्दी को मज़दूरों के साथ नाव में छोड़कर उसके पीछे चल दिए।
21 फिर वे कफरनहूम में आए और तुरंत सब्त के दिन यीशु आराधनालय में जाकर उपदेश देने लगा।
22 लोग उसके उपदेश से आश्‍चर्यचकित थे क्योंकि वह उन्हें शास्‍त्रियों के समान नहीं बल्कि एक अधिकारी के समान उपदेश दे रहा था।
23 उसी समय उनके आराधनालय में एक मनुष्य था जिसमें अशुद्ध आत्मा थी और वह चिल्‍लाकर
24 कहने लगा, “हे यीशु नासरी, हमारा तुझसे क्या लेना-देना? क्या तू हमें नाश करने आया है? मैं जानता हूँ कि तू कौन है: परमेश्‍वर का पवित्र जन।”
25 परंतु यीशु ने उसे डाँटकर कहा, “चुप रह और उसमें से निकल जा!”
26 तब वह अशुद्ध आत्मा उसे मरोड़कर ऊँची आवाज़ से चीखती हुई उसमें से निकल गई।
27 सब लोग अचंभित हुए और आपस में विचार-विमर्श करते हुए कहने लगे, “यह क्या है? अधिकार के साथ एक नई शिक्षा! वह अशुद्ध आत्माओं को भी आज्ञा देता है और वे उसकी आज्ञा मानती हैं!”
28 फिर उसकी चर्चा गलील के आस-पास सभी क्षेत्रों में चारों ओर तुरंत फैल गई।
29 आराधनालय से बाहर निकलते ही वह याकूब और यूहन्‍ना के साथ शमौन और अंद्रियास के घर गया।
30 वहाँ शमौन की सास ज्वर में पड़ी हुई थी, और उन्होंने तुरंत उसके विषय में उसे बताया।
31 तब उसने पास जाकर उसको हाथ पकड़कर उठाया; और उसका ज्वर उतर गया तथा वह उनकी सेवा करने लगी।
32 संध्या के समय जब सूर्यास्त हो गया तो लोग सब बीमारों और दुष्‍टात्माग्रस्त लोगों को उसके पास लाने लगे
33 और सारा नगर द्वार पर इकट्ठा हो गया।
34 उसने बहुतों को जो भिन्‍न‍-भिन्‍न‍ प्रकार की बीमारियों से पीड़ित थे, स्वस्थ किया और बहुत सी दुष्‍टात्माओं को निकाला; और उसने दुष्‍टात्माओं को बोलने नहीं दिया क्योंकि वे उसे जानती थीं।
35 बड़े भोर को अंधेरे में ही वह उठकर बाहर निकल गया और किसी एकांत स्थान पर जाकर वहाँ प्रार्थना करने लगा।
36 तब शमौन और उसके साथी उसे ढूँढ़ने लगे।
37 जब वह मिल गया तो उन्होंने उससे कहा, “सब लोग तुझे ढूँढ़ रहे हैं।”
38 उसने उनसे कहा, “आओ, हम और कहीं आस-पास की बस्तियों में चलें कि मैं वहाँ भी प्रचार करूँ क्योंकि मैं इसी लिए आया हूँ।”
39 फिर वह सारे गलील क्षेत्र में जाकर उनके आराधनालयों में प्रचार करता और दुष्‍टात्माओं को निकालता रहा।
40 एक कोढ़ी यीशु के पास आया और घुटने टेककर उससे विनती करने लगा, “यदि तू चाहे तो मुझे शुद्ध कर सकता है।”
41 यीशु ने उस पर तरस खाकर अपना हाथ बढ़ाया, उसे छुआ और उससे कहा, “मैं चाहता हूँ; शुद्ध हो जा!”
42 और उसका कोढ़ तुरंत दूर हो गया और वह शुद्ध हो गया।
43 तब उसने उसे कड़ी चेतावनी देकर तुरंत भेज दिया,
44 और उससे कहा, “देख, तू किसी से कुछ कहना बल्कि जा, अपने आपको याजक को दिखा और अपने शुद्ध होने के विषय में वह भेंट चढ़ा जिसकी आज्ञा मूसा ने दी है, ताकि उनके लिए साक्षी हो।”
45 परंतु बाहर जाकर वह इस बात का इतना अधिक प्रचार करने और फैलाने लगा कि यीशु नगर में खुलेआम प्रवेश नहीं कर सका और बाहर निर्जन स्थानों पर रहा; फिर भी लोग चारों ओर से उसके पास आते रहे।