Bible

Say Goodbye

To Clunky Software & Sunday Tech Stress!

Try RisenMedia.io Today!

Click Here

John 2

:
Hindi - HSB
1 तीसरे दिन गलील के काना में एक विवाह था, और यीशु की माता वहाँ थी।
2 यीशु और उसके शिष्य भी उस विवाह में आमंत्रित थे।
3 जब दाखरस कम पड़ गया तो यीशु की माता ने उससे कहा, “उनके पास दाखरस नहीं है।”
4 यीशु ने उससे कहा, “हे नारी, इससे तेरा और मेरा क्या लेना-देना? अभी मेरा समय नहीं आया है।”
5 उसकी माता ने सेवकों से कहा, “जो कुछ वह तुमसे कहे, वही करना।”
6 उस समय वहाँ यहूदियों की शुद्धीकरण प्रथा के अनुसार पत्थर के छः घड़े रखे हुए थे, प्रत्येक में अस्सी से एक सौ बीस लीटर तक समाता था।
7 यीशु ने सेवकों से कहा, “घड़ों को पानी से भर दो।” अतः उन्होंने उन्हें मुँह तक भर दिया।
8 तब उसने उनसे कहा, “अब निकालकर भोज के प्रबंधक के पास ले जाओ।” और वे ले गए।
9 जब भोज के प्रबंधक ने वह पानी चखा जो दाखरस बन गया था और नहीं जानता था कि यह कहाँ से आया है (परंतु जिन सेवकों ने पानी निकाला था, वे जानते थे), तो उसने दूल्हे को बुलाया
10 और उससे कहा, “हर एक मनुष्य पहले अच्छा दाखरस देता है और जब लोग पीकर मतवाले हो जाते हैं तब उससे घटिया देता है। तूने तो अच्छा दाखरस अब तक बचा रखा है!”
11 इस प्रकार यीशु ने गलील के काना में चिह्‍नों का आरंभ किया और अपनी महिमा प्रकट की, तथा उसके शिष्यों ने उस पर विश्‍वास किया।
12 इसके बाद यीशु, अपनी माता, अपने भाइयों और अपने शिष्यों के साथ कफरनहूम को गया, परंतु वे वहाँ अधिक दिन नहीं रहे।
13 जब यहूदियों के फसह का पर्व निकट आया तो यीशु यरूशलेम को गया।
14 उसने मंदिर-परिसर में बैल, भेड़ और कबूतर बेचनेवालों और सर्राफों को बैठे हुए देखा।
15 तब उसने रस्सियों का एक कोड़ा बनाकर भेड़ों और बैलों सहित सब को मंदिर-परिसर से बाहर निकाल दिया, और सर्राफों के सिक्‍के बिखेर दिए तथा चौकियों को उलट दिया;
16 और कबूतर बेचनेवालों से कहा, “इन्हें यहाँ से ले जाओ। मेरे पिता के घर को व्यापार का घर मत बनाओ।”
17 तब उसके शिष्यों को स्मरण आया कि लिखा है: तेरे घर की धुन मुझे खा जाएगी।
18 इस पर यहूदियों ने यीशु से कहा, “तू जो यह कर रहा है, उसके लिए हमें कौन सा चिह्‍न दिखाता है?”
19 यीशु ने उनको उत्तर दिया, “इस मंदिर को ढा दो, और मैं इसे तीन दिन में खड़ा कर दूँगा।”
20 तब यहूदियों ने कहा, “यह मंदिर छियालीस वर्ष में बनाया गया और क्या तू इसे तीन दिन में खड़ा कर देगा?”
21 परंतु वह अपनी देह रूपी मंदिर के विषय में कह रहा था।
22 अतः जब वह मृतकों में से जी उठा तो उसके शिष्यों को स्मरण आया कि उसने यह कहा था, और उन्होंने पवित्रशास्‍त्र और उस वचन पर जो यीशु ने कहा था, विश्‍वास किया।
23 फसह के पर्व के समय जब वह यरूशलेम में था, तो उसके उन चिह्‍नों को देखकर जिन्हें वह दिखाता था, बहुतों ने उसके नाम पर विश्‍वास किया।
24 परंतु यीशु ने अपने आपको उनके भरोसे पर नहीं छोड़ा, क्योंकि वह सब को जानता था,
25 और उसे आवश्यकता नहीं थी कि मनुष्य के विषय में कोई साक्षी दे, क्योंकि वह जानता था कि मनुष्य के मन में क्या है।