John 16
1 “मैंने ये बातें तुमसे इसलिए कही हैं कि तुम ठोकर न खाओ।
2 वे तुम्हें आराधनालयों से बाहर निकाल देंगे; बल्कि वह समय आ रहा है कि जो कोई तुम्हें मार डालेगा, वह समझेगा कि परमेश्वर की सेवा कर रहा है।
3 वे ऐसा इसलिए करेंगे क्योंकि उन्होंने न तो पिता को जाना है और न ही मुझे।
4 परंतु मैंने ये बातें तुमसे इसलिए कही हैं कि जब उनका समय आए तो तुम्हें स्मरण रहे कि मैंने तुम्हें ये बातें बताई थीं। “मैंने ये बातें तुम्हें आरंभ से नहीं बताईं, क्योंकि मैं तुम्हारे साथ था।
5 परंतु अब मैं अपने भेजनेवाले के पास जा रहा हूँ, और तुममें से कोई भी मुझसे नहीं पूछता, ‘तू कहाँ जा रहा है?’
6 परंतु तुम्हारा हृदय शोक से भर गया है, क्योंकि मैंने ये बातें तुमसे कही हैं।
7 परंतु मैं तुमसे सच कहता हूँ, मेरा चला जाना तुम्हारे लिए लाभदायक है। क्योंकि यदि मैं नहीं जाऊँगा, तो तुम्हारे पास सहायक नहीं आएगा; परंतु यदि मैं जाऊँगा, तो उसे तुम्हारे पास भेजूँगा।
8 वह आकर संसार को पाप, धार्मिकता और न्याय के विषय में दोषी होने का बोध कराएगा;
9 पाप के विषय में इसलिए कि वे मुझ पर विश्वास नहीं करते,
10 और धार्मिकता के विषय में इसलिए कि मैं पिता के पास जा रहा हूँ और तुम मुझे फिर नहीं देखोगे,
11 और न्याय के विषय में इसलिए कि इस संसार का शासक दोषी ठहराया गया है।
12 “मुझे तुमसे और भी बहुत कुछ कहना है, परंतु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते।
13 परंतु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो संपूर्ण सत्य में तुम्हारा मार्गदर्शन करेगा; क्योंकि वह अपनी ओर से कुछ नहीं कहेगा, बल्कि जो कुछ सुनेगा वही कहेगा और आनेवाली बातों को तुम पर प्रकट करेगा।
14 वह मेरी महिमा करेगा, क्योंकि वह मेरी बातों को लेकर तुम्हें बताएगा।
15 वह सब जो पिता का है, मेरा है; इसलिए मैंने कहा कि वह मेरी बातों को लेकर तुम्हें बताएगा।
16 “थोड़ी देर में तुम मुझे नहीं देखोगे, और फिर थोड़ी देर में तुम मुझे देखोगे ।”
17 तब उसके कुछ शिष्यों ने आपस में कहा, “यह क्या है जो वह हमसे कहता है, ‘थोड़ी देर में तुम मुझे नहीं देखोगे और फिर थोड़ी देर में तुम मुझे देखोगे?’ और ‘क्योंकि मैं पिता के पास जाता हूँ?’ ”
18 अतः वे कहने लगे, “जिसे वह ‘थोड़ी देर में’ कहता है, वह क्या है? हम नहीं जानते कि वह क्या कह रहा है।”
19 यीशु ने यह जानकर कि वे उससे पूछना चाहते हैं, उनसे कहा, “क्या तुम इस विषय में एक दूसरे से पूछताछ कर रहे हो कि मैंने कहा, ‘थोड़ी देर में तुम मुझे नहीं देखोगे, और फिर थोड़ी देर में तुम मुझे देखोगे’?
20 मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ कि तुम रोओगे और विलाप करोगे, परंतु संसार आनंदित होगा; तुम शोकित होगे, परंतु तुम्हारा शोक आनंद में बदल जाएगा।
21 जब स्त्री प्रसव में होती है तो उसे शोक होता है, क्योंकि उसकी घड़ी आ पहुँची है; परंतु जब वह बच्चे को जन्म दे देती है, तो इस आनंद से कि इस संसार में एक मनुष्य का जन्म हुआ, अपने उस कष्ट को फिर स्मरण नहीं करती।
22 इसी प्रकार अभी तो तुम्हें शोक है; परंतु मैं तुमसे फिर मिलूँगा, तब तुम्हारा हृदय आनंदित होगा और तुम्हारे उस आनंद को तुमसे कोई भी नहीं छीनेगा।
23 उस दिन तुम मुझसे कुछ नहीं पूछोगे। मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ, तुम मेरे नाम से जो कुछ पिता से माँगोगे, वह तुम्हें देगा।
24 तुमने अब तक मेरे नाम से कुछ नहीं माँगा। माँगो तो तुम पाओगे, ताकि तुम्हारा आनंद पूरा हो जाए।
25 “मैंने ये बातें तुमसे दृष्टांतों में कही हैं; वह समय आता है जब मैं तुमसे दृष्टांतों में फिर नहीं कहूँगा, बल्कि पिता के विषय में तुम्हें स्पष्ट बताऊँगा।
26 उस दिन तुम मेरे नाम से माँगोगे, और मैं तुमसे नहीं कहता कि मैं तुम्हारे लिए पिता से विनती करूँगा;
27 इसलिए कि पिता स्वयं तुमसे प्रेम करता है, क्योंकि तुमने मुझसे प्रेम किया है और यह विश्वास किया है कि मैं परमेश्वर की ओर से आया हूँ।
28 मैं पिता की ओर से जगत में आया हूँ। मैं फिर जगत को छोड़कर पिता के पास जा रहा हूँ।”
29 उसके शिष्यों ने कहा, “देख, अब तू स्पष्ट बोल रहा है, और कोई दृष्टांत नहीं कहता।
30 अब हम जान गए हैं कि तू सब कुछ जानता है और तुझे आवश्यकता नहीं कि कोई तुझसे कुछ पूछे; इससे हम विश्वास करते हैं कि तू परमेश्वर की ओर से आया है।”
31 इस पर यीशु ने कहा, “क्या तुम अब विश्वास करते हो?
32 देखो, वह समय आता है बल्कि आ गया है कि तुम सब तितर-बितर होकर अपने-अपने घर चले जाओगे और मुझे अकेला छोड़ दोगे; फिर भी मैं अकेला नहीं हूँ, क्योंकि पिता मेरे साथ है।
33 मैंने ये बातें तुमसे इसलिए कही हैं कि तुम मुझमें शांति पाओ। संसार में तुम्हें क्लेश होता है, परंतु साहस रखो! मैंने संसार को जीत लिया है।”