Hebrews 4
1 इसलिए जब उसके विश्राम में प्रवेश करने की प्रतिज्ञा अब तक बनी हुई है, तो हम सतर्क रहें, कहीं ऐसा न हो कि तुममें से कोई उससे वंचित रह जाए।
2 वास्तव में, हमें भी उन्हीं के समान सुसमाचार सुनाया गया है; परंतु जो वचन उन्होंने सुना, उससे उन्हें कुछ लाभ न हुआ, क्योंकि जब उन्होंने उसे सुना तो विश्वास के साथ ग्रहण नहीं किया।
3 हम जिन्होंने विश्वास किया है, उस विश्राम में प्रवेश करते हैं; जैसा उसने कहा है: मैंने क्रोध में आकर शपथ खाई कि वे मेरे विश्राम में प्रवेश नहीं करेंगे। यद्यपि उसके कार्य जगत की उत्पत्ति के समय से ही पूरे हो गए थे।
4 क्योंकि उसने सातवें दिन के विषय में कहीं पर इस प्रकार कहा है: परमेश्वर ने सातवें दिन अपने सब कार्यों से विश्राम किया।
5 फिर इसी संदर्भ में वह कहता है: वे मेरे विश्राम में प्रवेश नहीं करेंगे।
6 अतः इसमें कुछ लोगों का प्रवेश करना बाकी है। जिन लोगों को पहले सुसमाचार सुनाया गया था, वे तो आज्ञा न मानने के कारण प्रवेश नहीं कर पाए।
7 इसलिए वह फिर से एक विशेष दिन को नियुक्त करता है, जिसे बहुत समय के बाद वह दाऊद के द्वारा फिर “आज का दिन” कहता है; जैसा कि पहले भी कहा जा चुका है: यदि आज तुम उसकी आवाज़ सुनो, तो अपने मनों को कठोर न करना।
8 यदि यहोशू उन्हें विश्राम में प्रवेश करा देता, तो परमेश्वर बाद में आने वाले किसी अन्य दिन की चर्चा न करता।
9 अतः परमेश्वर के लोगों के लिए सब्त का विश्राम बाकी है।
10 क्योंकि जिसने उसके विश्राम में प्रवेश कर लिया है, उसने भी परमेश्वर के समान अपने कार्यों से विश्राम पाया है।
11 इसलिए हम भी उस विश्राम में प्रवेश करने का प्रयत्न करें, कहीं ऐसा न हो कि कोई जन उसी प्रकार आज्ञा न मानने के कारण गिर पड़े।
12 परमेश्वर का वचन जीवित, प्रभावशाली और किसी भी दोधारी तलवार से अधिक तेज़ है, जो प्राण और आत्मा, जोड़ों और मज्जा को आर-पार भेदकर अलग करता है, और मन के विचारों और अभिप्रायों को परखता है।
13 परमेश्वर की दृष्टि से कोई प्राणी छिपा नहीं है; उसकी आँखों के सामने सब नग्न और खुला है। उसी को हमें अपना लेखा देना है।
14 जबकि हमारे पास ऐसा बड़ा महायाजक है जो आकाशमंडल से होकर गया, अर्थात् परमेश्वर का पुत्र यीशु, तो आओ, हम अपने विश्वास के अंगीकार को दृढ़ता से थामे रहें।
15 क्योंकि हमारा महायाजक ऐसा नहीं है जो हमारी निर्बलताओं में हमसे सहानुभूति न रख सके। वह सब बातों में हमारे समान परखा तो गया, फिर भी निष्पाप निकला।
16 अतः हम साहस के साथ अनुग्रह के सिंहासन के पास आएँ, ताकि हम पर दया हो और अनुग्रह पाएँ कि आवश्यकता के समय हमारी सहायता हो।