Bible

Engage

Your Congregation Like Never Before

Try RisenMedia.io Today!

Click Here

2 Corinthians 4

:
Hindi - HSB
1 इसलिए जब हम पर ऐसी दया हुई कि हमें यह सेवा मिली, तो हम निराश नहीं होते।
2 हमने लज्‍जा के गुप्‍त कार्यों को त्याग दिया; और हम तो चतुराई से चलते हैं और ही परमेश्‍वर के वचन में मिलावट करते हैं, बल्कि सत्य को प्रकट करने के द्वारा हम परमेश्‍वर के सामने प्रत्येक मनुष्य के विवेक में अपने आपको योग्य प्रस्तुत करते हैं।
3 यदि हमारे सुसमाचार पर परदा पड़ा भी हो, तो यह नाश होनेवालों के लिए पड़ा है;
4 और इस संसार के ईश्‍वर ने उन अविश्‍वासियों की बुद्धि को अंधा कर दिया है ताकि परमेश्‍वर के प्रतिरूप अर्थात् मसीह के तेजोमय सुसमाचार का प्रकाश उन पर चमके।
5 क्योंकि हम अपना नहीं बल्कि यीशु मसीह का प्रचार करते हैं कि वह प्रभु है; और हम स्वयं यीशु के कारण तुम्हारे दास हैं।
6 इसलिए कि परमेश्‍वर जिसने कहा, “अंधकार में से ज्योति चमके,” वह स्वयं हमारे हृदयों में चमका कि हमें परमेश्‍वर की महिमा के ज्ञान का प्रकाश प्रदान करे जो यीशु मसीह के चेहरे में है।
7 परंतु हमारे पास यह धन मिट्टी के पात्रों में इसलिए है ताकि यह स्पष्‍ट हो कि यह असीम सामर्थ्य हमारी ओर से नहीं बल्कि परमेश्‍वर की ओर से है।
8 हम चारों ओर से कष्‍ट तो सहते हैं परंतु कुचले नहीं जाते, निरुपाय तो होते हैं परंतु आशा नहीं छोड़ते,
9 सताए तो जाते हैं परंतु त्यागे नहीं जाते, गिराए तो जाते हैं परंतु नाश नहीं होते;
10 हम यीशु की मृत्यु को सदा अपनी देह में लिए फिरते हैं ताकि हमारी देह में यीशु का जीवन भी प्रकट हो।
11 हम जो जीवित हैं हर समय यीशु के कारण मृत्यु को सौंपे जाते हैं कि यीशु का जीवन भी हमारी मरणशील देह में प्रकट हो।
12 इस प्रकार मृत्यु हममें कार्य करती है, और जीवन तुममें।
13 क्योंकि हममें विश्‍वास की वही आत्मा है, जिसके विषय में लिखा है: मैंने विश्‍वास किया, इसलिए मैं बोला। हम भी विश्‍वास करते हैं, इसलिए बोलते हैं,
14 और यह भी जानते हैं कि जिसने प्रभु यीशु को जिलाया, वही हमें भी यीशु के साथ जिलाएगा और तुम्हारे साथ अपने सामने प्रस्तुत करेगा।
15 क्योंकि यह सब तुम्हारे लिए है ताकि वह अनुग्रह अधिक से अधिक लोगों में फैलकर परमेश्‍वर की महिमा के लिए अधिकाधिक धन्यवाद का कारण हो।
16 इसलिए हम निराश नहीं होते। यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्व नष्‍ट होता जाता है, फिर भी हमारा भीतरी मनुष्यत्व दिन-प्रतिदिन नया होता जाता है।
17 क्योंकि हमारा पल-भर का यह हल्का सा क्लेश हमारे लिए ऐसी अनंत और अपार महिमा उत्पन्‍न‍ करता है, जो अतुल्य है।
18 हम उन वस्तुओं पर दृष्‍टि नहीं लगाते जो दृश्य हैं, बल्कि उन वस्तुओं पर जो अदृश्य हैं; क्योंकि जो दृश्य हैं वे थोड़े समय की हैं, परंतु जो अदृश्य हैं वे अनंत काल की हैं।