Zechariah 5
1 मैं ने फिर आँखें उठाईं तो क्या देखा, कि एक लिखा हुआ पत्र उड़ रहा है।
2 दूत ने मुझ से पूछा, “तुझे क्या दिखाई पड़ता है?” मैं ने कहा, “मुझे एक लिखा हुआ पत्र उड़ता हुआ दिखाई पड़ता है, जिस की लम्बाई बीस हाथ और चौड़ाई दस हाथ की है।”
3 तब उसने मुझ से कहा, “यह वह शाप है जो इस सारे देश पर पड़नेवाला है; क्योंकि जो कोई चोरी करता है, वह उसकी एक ओर लिखे हुए के अनुसार मैल के समान निकाल दिया जाएगा; और जो कोई शपथ खाता है, वह उसकी दूसरी ओर लिखे हुए के अनुसार मैल के समान निकाल दिया जाएगा।
4 सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है, मैं उसको ऐसा चलाऊँगा कि वह चोर के घर में और मेरे नाम की झूठी शपथ खानेवाले के घर में घुसकर ठहरेगा, और उसको लकड़ी और पत्थरों समेत नष्ट कर देगा।”
5 तब जो दूत मुझ से बातें करता था, उस ने बाहर जाकर मुझ से कहा, “आँखें उठाकर देख कि वह क्या वस्तु निकली जा रही है?”
6 मैं ने पूछा, “वह क्या है?” उसने कहा, “वह वस्तु जो निकली जा रही है वह एक एपा का नाप है।” उसने फिर कहा, “सारे देश में लोगों का यही रूप है।”
7 फिर मैं ने क्या देखा कि एपा का सीसे का ढक्कन उठाया जा रहा है, और एक स्त्री है जो एपा के बीच में बैठी है।
8 दूत ने कहा, “इसका अर्थ दुष्टता है।” और उस ने उस स्त्री को एपा के बीच में दबा दिया, और सीसे के उस ढक्कन से एपा का मुँह बन्द कर दिया।
9 तब मैं ने आँखें उठाईं, तो क्या देखा कि दो स्त्रियाँ चली जाती हैं जिनके पंख पवन में फैले हुए हैं, और उनके पंख लगलग के से हैं, और वे एपा को आकाश और पृथ्वी के बीच में उड़ाए लिए जा रही हैं।
10 तब मैं ने उस दूत से जो मुझ से बातें करता था, पूछा, “वे एपा को कहाँ लिए जाती हैं?”
11 उसने कहा, “शिनार देश में लिए जाती हैं कि वहाँ उसके लिये एक भवन बनाएँ; और जब वह तैयार किया जाए, तब वह एपा वहाँ अपने ही पाए पर खड़ा किया जाएगा।”