Obadiah 1
1 ओबद्याह का दर्शन। एदोम के विषय यहोवा यों कहता है: हम लोगों ने यहोवा की ओर से समाचार सुना है, और एक दूत अन्यजातियों में यह कहने को भेजा गया है:
2 “उठो! हम उससे लड़ने को उठें!” मैं तुझे जातियों में छोटा कर दूँगा, तू बहुत तुच्छ गिना जाएगा।
3 हे पहाड़ों की दरारों में बसनेवाले, हे ऊँचे स्थान में रहनेवाले, तेरे अभिमान ने तुझे धोखा दिया है; तू मन में कहता है, “कौन मुझे भूमि पर उतार देगा?”
4 परन्तु चाहे तू उकाब के समान ऊँचा उड़ता हो, वरन् तारागण के बीच अपना घोंसला बनाए हो, तौभी मैं तुझे वहाँ से नीचे गिराऊँगा, यहोवा की यही वाणी है।
5 यदि चोर–डाकू रात को तेरे पास आते, (हाय, तू कैसे मिटा दिया गया है!) तो क्या वे चुराए हुए धन से तृप्त होकर चले न जाते? यदि दाख के तोड़नेवाले तेरे पास आते, तो क्या वे कहीं कहीं दाख न छोड़ जाते!
6 परन्तु एसाव का धन कैसे खोजकर लूटा गया है, उसका गुप्त धन कैसे पता लगा लगाकर निकाला गया है!
7 जितनों ने तुझ से वाचा बाँधी थी, उन सभों ने तुझे सीमा तक ढकेल दिया है; जो लोग तुझ से मेल रखते थे, वे तुझ को धोखा देकर तुझ पर प्रबल हुए हैं; और जो तेरी रोटी खाते हैं, वे तेरे लिये फन्दा लगाते हैं–उसमें कुछ समझ नहीं है।
8 यहोवा की यह वाणी है, क्या मैं उस समय एदोम में से बुद्धिमानों को, और एसाव के पहाड़ में से चतुराई को नष्ट न करूँगा?
9 हे तेमान, तेरे शूरवीरों का मन कच्चा हो जाएगा, और यों एसाव के पहाड़ पर का हर एक पुरुष घात होकर नष्ट हो जाएगा।
10 हे एसाव, उस उपद्रव के कारण जो तू ने अपने भाई याक़ूब पर किया, तू लज्जा से ढँपेगा; और सदा के लिये नाश हो जाएगा।
11 जिस दिन परदेशी लोग उसकी धन सम्पत्ति छीनकर ले गए, और पराए लोगों ने उसके फाटकों से घुसकर यरूशलेम पर चिट्ठी डाली, उस दिन तू भी उन में से एक था।
12 परन्तु तुझे उचित नहीं था कि तू अपने भाई के दिन में, अर्थात् उसकी विपत्ति के दिन में उसकी ओर देखता रहता, और यहूदियों के विनाश के दिन उनके ऊपर आनन्द करता, और उनके संकट के दिन बड़ा बोल बोलता।
13 तुझे उचित नहीं था कि मेरी प्रजा की विपत्ति के दिन तू उसके फाटक में घुसता, और उसकी विपत्ति के दिन उसकी दुर्दशा को देखता रहता, और उसकी विपत्ति के दिन उसकी धन सम्पत्ति पर हाथ लगाता।
14 तुझे उचित नहीं था कि तिरमुहाने पर उसके भागनेवालों को मार डालने के लिये खड़ा होता, और संकट के दिन उसके बचे हुओं को पकड़ाता।
15 क्योंकि सारी जातियों पर यहोवा के दिन का आना निकट है। जैसा तू ने किया है, वैसा ही तुझ से भी किया जाएगा, तेरा व्यवहार लौटकर तेरे ही सिर पर पड़ेगा।
16 जिस प्रकार तू ने मेरे पवित्र पर्वत पर पिया, उसी प्रकार से सारी जातियाँ लगातार पीती रहेंगी, वरन् वे सुड़क–सुड़ककर पीएँगी, और ऐसी हो जाएँगी जैसी कभी हुई ही नहीं।
17 परन्तु उस समय सिय्योन पर्वत पर बचे हुए लोग रहेंगे, और वह पवित्रस्थान ठहरेगा; और याक़ूब का घराना अपने निज भागों का अधिकारी होगा।
18 तब याक़ूब का घराना आग, और यूसुफ का घराना लौ, और एसाव का घराना खूँटी बनेगा; और वे उनमें आग लगाकर उनको भस्म करेंगे, और एसाव के घराने का कोई न बचेगा; क्योंकि यहोवा ही ने ऐसा कहा है।
19 दक्खिन देश के लोग एसाव के पहाड़ के अधिकारी हो जाएँगे, और नीचे के देश के लोग पलिश्तियों के अधिकारी होंगे; और यहूदी, एप्रैम और सामरिया के देहात को अपने भाग में कर लेंगे, और बिन्यामीन गिलाद का अधिकारी होगा।
20 इस्राएलियों के उस दल में से जो लोग बँधुआई में जाकर कनानियों के बीच सारपत तक रहते हैं, और यरूशलेमियों में से जो लोग बँधुआई में जाकर सपाराद में रहते हैं, वे सब दक्खिन देश के नगरों के अधिकारी हो जाएँगे।
21 उद्धार करनेवाले एसाव के पहाड़ का न्याय करने के लिये सिय्योन पर्वत पर चढ़ आएँगे, और राज्य यहोवा ही का हो जाएगा।