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Ezekiel 13

:
Hindi - HINOVBSI
1 यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा,
2 “हे मनुष्य के सन्तान, इस्राएल के जो भविष्यद्वक्‍ता अपने ही मन से भविष्यवाणी करते हैं, उनके विरुद्ध भविष्यवाणी करके तू कह, ‘यहोवा का वचन सुनो!’
3 प्रभु यहोवा यों कहता है: हाय, उन मूढ़ भविष्यद्वक्‍ताओं पर जो अपनी ही आत्मा के पीछे भटक जाते हैं, और कुछ दर्शन नहीं पाया!
4 हे इस्राएल, तेरे भविष्यद्वक्‍ता खण्डहरों में की लोमड़ियों के समान बने हैं।
5 तुम ने दरारों में चढ़कर इस्राएल के घराने के लिये दीवार नहीं सुधारी, जिस से वे यहोवा के दिन युद्ध में स्थिर रह सकते।
6 वे लोग जो कहते हैं, ‘यहोवा की यह वाणी है,’ उन्होंने भावी का व्यर्थ और झूठा दावा किया है; और तब भी यह आशा दिलाई कि यहोवा यह वचन पूरा करेगा; तौभी यहोवा ने उन्हें नहीं भेजा।
7 क्या तुम्हारा दर्शन झूठा नहीं है, और क्या तुम झूठमूठ भावी नहीं कहते? तुम कहते हो, ‘यहोवा की यह वाणी है;’ परन्तु मैं ने कुछ नहीं कहा है।”
8 इस कारण प्रभु यहोवा तुम से यों कहता है: “तुम ने जो व्यर्थ बात कही और झूठे दर्शन देखे हैं, इसलिये मैं तुम्हारे विरुद्ध हूँ, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।
9 जो भविष्यद्वक्‍ता झूठे दर्शन देखते और झूठमूठ भावी कहते हैं, मेरा हाथ उनके विरुद्ध होगा, और वे मेरी प्रजा की मंडली में भागी होंगे, उनके नाम इस्राएल की नामावली में लिखे जाएँगे, और वे इस्राएल के देश में प्रवेश करने पाएँगे; इस से तुम लोग जान लोगे कि मैं प्रभु यहोवा हूँ।
10 क्योंकि, हाँ, क्योंकि उन्होंने ‘शान्ति है’, ऐसा कहकर मेरी प्रजा को बहकाया है जब कि शान्ति नहीं है; और इसलिये कि जब कोई दीवार बनाता है तब वे उसकी कच्‍ची लेसाई करते हैं।
11 उन कच्‍ची लेसाई करनेवालों से कह कि वह गिर जाएगी। क्योंकि बड़े जोर की वर्षा होगी, और बड़े बड़े ओले भी गिरेंगे, और प्रचण्ड आँधी उसे गिराएगी।
12 इसलिये जब दीवार गिर जाएगी, तब क्या लोग तुम से यह कहेंगे, ‘जो लेसाई तुम ने की वह कहाँ गई?’
13 इस कारण प्रभु यहोवा तुम से यों कहता है: मैं जलकर उसको प्रचण्ड आँधी के द्वारा गिराऊँगा; और मेरे कोप से भारी वर्षा होगी, और मेरी जलजलाहट से बड़े बड़े ओले गिरेंगे कि दीवार को नष्‍ट करें।
14 इस रीति जिस दीवार पर तुम ने कच्‍ची लेसाई की है, उसे मैं ढा दूँगा, वरन् मिट्टी में मिलाऊँगा, और उसकी नींव खुल जाएगी; और जब वह गिरेगी, तब तुम भी उसके नीचे दबकर नष्‍ट होगे; और तुम जान लोगे कि मैं यहोवा हूँ।
15 इस रीति मैं दीवार और उसकी कच्‍ची लेसाई करनेवाले दोनों पर अपनी जलजलाहट पूर्ण रीति से भड़काऊँगा; फिर तुम से कहूँगा, तो दीवार रही, और उसके लेसनेवाले रहे,
16 अर्थात् इस्राएल के वे भविष्यद्वक्‍ता जो यरूशलेम के विषय में भविष्यद्वाणी करते और उनकी शान्ति का दर्शन बताते थे, परन्तु प्रभु यहोवा की यह वाणी है, कि शान्ति है ही नहीं।
17 “फिर हे मनुष्य के सन्तान, तू अपने लोगों की स्त्रियों से विमुख होकर, जो अपने ही मन से भविष्यद्वाणी करती हैं; उनके विरुद्ध भविष्यद्वाणी करके कह,
18 प्रभु यहोवा यों कहता है: जो स्त्रियाँ हाथ से सब जोड़ों के लिये तकिया सीतीं और प्राणियों का अहेर करने को सब प्रकार के मनुष्यों की आँख ढाँपने के लिए कपड़े बनाती हैं, उन पर हाय! क्या तुम मेरी प्रजा के प्राणों का अहेर करके अपने निज प्राण बचा रखोगी?
19 तुम ने तो मुट्ठी मुट्ठी भर जौ और रोटी के टुकड़ों के बदले मुझे मेरी प्रजा की दृष्‍टि में अपवित्र ठहराकर, और अपनी उन झूठी बातों के द्वारा, जो मेरी प्रजा के लोग तुम से सुनते हैं, जो नाश के योग्य थे, उनको मार डाला; और जो बचने के योग्य थे उन प्राणों को बचा रखा है।
20 “इस कारण प्रभु यहोवा तुम से यों कहता है: देखो, मैं तुम्हारे उन तकियों के विरुद्ध हूँ, जिनके द्वारा तुम प्राणों का अहेर करती हो, इसलिये जिन्हें तुम अहेर कर करके उड़ाती हो उनको मैं तुम्हारी बाँह पर से छीनकर उनको छुड़ा दूँगा।
21 मैं तुम्हारे सिर के बुर्के को फाड़कर अपनी प्रजा के लोगों को तुम्हारे हाथ से छुड़ाऊँगा, और आगे को वे तुम्हारे वश में रहेंगे कि तुम उनका अहेर कर सको; तब तुम जान लोगी कि मैं यहोवा हूँ।
22 तुम ने जो झूठ कहकर धर्मी के मन को उदास किया है, यद्यपि मैं ने उसको उदास करना नहीं चाहा, और तुमने दुष्‍ट जन को हियाव बन्धाया है, ताकि वह अपने बुरे मार्ग से फिरे और जीवित रहे।
23 इस कारण तुम फिर तो झूठा दर्शन देखोगी, और भावी कहोगी; क्योंकि मैं अपनी प्रजा को तुम्हारे हाथ से छुड़ाऊँगा। तब तुम जान लोगी कि मैं यहोवा हूँ।”