Bible

Upgrade

Your Church Presentations in Minutes

Try RisenMedia.io Today!

Click Here

Galatians 4

:
Hindi - HHBD
1 मैं यह कहता हूं, कि वारिस जब तक बालक है, यद्यपि सब वस्तुओं का स्वामी है, तौभी उस में और दास में कुछ भेद नहीं।
2 परन्तु पिता के ठहराए हुए समय तक रक्षकों और भण्डारियों के वश में रहता है।
3 वैसे ही हम भी, जब बालक थे, तो संसार की आदि शिक्षा के वश में होकर दास बने हुए थे।
4 परन्तु जब समय पूरा हुआ, तो परमेश्वर ने अपने पुत्रा को भेजा, जो स्त्री से जन्मा, और व्यवस्था के आधीन उत्पन्न हुआ।
5 ताकि व्यवस्था के आधीनों को मोल लेकर छुड़ा ले, और हम को लेपालक होने का पद मिले।
6 और तुम जो पुत्रा हो, इसलिये परमेश्वर ने अपने पुत्रा के आत्मा को, जो हे अब्बा, हे पिता कहकर पुकारता है, हमारे हृदय में भेजा है।
7 इसलिये तू अब दास नहीं, परन्तु पुत्रा है; और जब पुत्रा हुआ, तो परमेश्वर के द्वारा वारिस भी हुआ।
8 भला, तक तो तुम परमेश्वर को जानकर उनके दास थे जो स्वभाव से परमेश्वर नहीं।
9 पर अब जो तुम ने परमेश्वर को पहचान लिया बरन परमेश्वर ने तुम केा पहचाना, तो उन निर्बल और निकम्मी आदि- शिक्षा की बातों की ओर क्यों फिरते हो, जिन के तुम दोबारा दास होना चाहते हो?
10 तुम दिनों और महीनों और नियत समयों और वर्षों को मानते हो।
11 मैं तुम्हारे विषय में डरता हूं, कहीं ऐसा हो, कि जो परिश्रम मैं नं तुम्हारे लिये किया है व्यर्थ ठहरे।।
12 हे भाइयों, मैं तुम से बिनती करता हूं, तुम मेरे समान हो जाओ: क्योंकि मैं भी तुम्हारे समान हुआ हूं; तुम ने मेरा कुछ बिगाड़ा नहीं।
13 पर तुम जानते हो, कि पहिले पहिल मैं ने शरीर की निर्बलता के कारण तुम्हें सुसमाचार सुनाया।
14 और तुम ने मेरी शारीरिक दशा को जो तुम्हारी परीक्षा का कारण थी, तुच्छ जाना; उस ने घृणा की; और परमेश्वर के दूत बरन मसीह के समान मुझे ग्रहण किया।
15 तो वह तुम्हारा आनन्द मनाना कहां गया? मैं तुम्हारा गवाह हूं, कि यदि हो सकता, तो तुम अपनी आंखें भी निकालकर मुझे दे देते।
16 तो क्या तुम से सच बोलने के कारण मैं तुम्हारा बैरी हो गया हूं।
17 वे तुम्हें मित्रा बनाना तो चाहते हैं, पर भली मनसा से नहीं; बरन तुम्हें अलग करना चाहते हैं, कि तुम उन्हीं को मित्रा बना लो।
18 पर यह भी अच्छा है, कि भली बात में हर समय मित्रा बनाने का यत्न किया जाए, केवल उसी समय, कि जब मैं तुम्हारे साथ रहता हूं।
19 हे मेरे बालकों, जब तक तुम में मसीह का रूप बन जाए, तब तक मैं तुम्हारे लिये फिर जच्चा की सी पीड़ाएं सहता हूं।
20 इच्छा तो यह होती है, कि अब तुम्हारे पास आकर और ही प्रकार से बोलू, क्योंकि तुम्हारे विषय में मुझे सन्देह है।।
21 तुम जो व्यवस्था के आधीन होना चाहते हो, मुझ से कहो, क्या तुम व्यवस्था की नहीं सुनते?
22 यह लिखा है, कि इब्राहीम के दो पुत्रा हुए; एक दासी से, और एक स्वतंत्रा स्त्री से।
23 परन्तु जो दासी से हुआ, वह शारीरिक रीति से जन्मा, और जो स्वतंत्रा स्त्री से हुआ, वह प्रतिज्ञा के अनुसार जन्मा।
24 इन बातों में दृष्टान्त है, ये स्त्रियां मानों दो वाचाएं हैं, एक तो सीना पहाड़ की जिस से दास ही उत्पन्न होते हैं; और वह हाजिरा है।
25 और हाजिरा मानो अरब का सीना पहाड़ है, और आधुनिक यरूशलेम उसे तुल्य है, क्योंकि वह अपने बालकों समेत दासत्व में है।
26 पर ऊपर की यरूशलेम स्वतंत्रा है, और वह हमारी माता है।
27 क्योंकि लिखा है, कि हे बांझ, तू जो नहीं जनती आनन्द कर, तु जिस को पीड़ाएं नहीं उठतीं गला खोलकर जय जयकार कर, क्योंकि त्यागी हुई की सन्तान सुहागिन की सन्तान से भी अधिक है।
28 हे भाइयो, हम इसहाक की नाईं प्रतिज्ञा की सन्तान हैं।
29 और जैसा उस समय शरीर के अनुसार जन्मा हुआ आत्मा के अनुसार जन्मे हुए को सताता था, वैसा ही अब भी होता है।
30 परन्तु पवित्रा शास्त्रा क्या कहता है? दासी और उसके पुत्रा को निकाल दे, क्योंकि दासी का पुत्रा स्वतंत्रा स्त्री के पुत्रा के साथ उत्तराधिकारी नहीं होगा।
31 इसलिये हे भाइयों, हम दासी के नहीं परन्तु स्वतंत्रा स्त्री के सन्तान हैं।