Zechariah 3
1 तत्पश्चात् उसने मुझे महापुरोहित यहोशुअ को दिखाया। वह प्रभु के दूत के सम्मुख खड़ा था, और शैतान उस पर दोष लगाने के लिए उसकी दाहिनी ओर खड़ा था।
2 प्रभु ने शैतान से कहा, ‘शैतान, मैं तुझे डांट रहा हूँ। यरूशलेम को अपना निवास-स्थान चुननेवाला प्रभु, मैं-प्रभु, तुझे डांट रहा हूं। क्या यह आदमी आग से निकाला हुआ लुक्का नहीं है?’
3 यहोशुअ दूत के सम्मुख खड़ा था। वह गंदे-मैले वस्त्र पहिने था।
4 तब दूत ने अपने सेवकों को आदेश दिया, ‘इनके गन्दे वस्त्र उतारो।’ तब उसने यहोशुअ से कहा, ‘देख, मैंने तेरा अधर्म दूर कर दिया। अब मैं तुझे राजसी पोशाक पहिनाऊंगा।’
5 मैंने कहा, ‘आपके सेवक कृपया, महापुरोहित के सिर पर साफ पगड़ी भी बांध दें।’ अत: सेवकों ने यहोशुअ के सिर पर एक साफ पगड़ी बांध दी। उन्होंने उसे वस्त्र भी पहिना दिए। प्रभु का दूत समीप खड़ा था।
6 प्रभु के दूत ने यहोशुअ को यह चेतावनी दी:
7 ‘स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है: यदि तू मेरे मार्ग पर चलेगा, जो दायित्व मैंने तुझे सौंपा है, उसको पूरा करेगा, तब तू मेरे मन्दिर का व्यवस्थापक होगा, मेरे मन्दिर के आंगनों का दायित्व संभालेगा। तब मैं तुझे इन सेवकों के मध्य, जो यहाँ खड़े हैं, आने-जाने का अधिकार दूंगा।
8 महापुरोहित यहोशुअ, सुन! तेरे साथ तेरे पुरोहित मित्र भी सुनें, जो तेरे सम्मुख बैठे हैं, क्योंकि ये शुभ शकुन हैं। मैं अपने सेवक को, राजवंश की एक “शाखा” को लाऊंगा।
9 देख यह पत्थर, जो मैंने यहोशुअ के सम्मुख रखा है। इस एक ही पत्थर के ऊपर सात आंखें हैं। इस पर मैं, स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु, यह लेख अंकित करूंगा और इस देश के अधर्म को एक ही दिन में दूर कर दूंगा।
10 उस दिन तुम सब अपने पड़ोसियों को आनन्द उत्सव के लिए अंगूर-उद्यानों में और अंजीर वृक्ष के नीचे आमंत्रित करोगे’, स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु का यह कथन है।