Song of Solomon 4
1 ‘ओ मेरी प्रियतमा, तू सुन्दर है, सचमुच तू सुन्दर है। नकाब के भीतर तेरी आंखें कपोत की तरह दिखाई देती हैं, तेरे केश गिलआद प्रदेश की ढाल से नीचे उतर रही बकरियों के झुण्ड के सदृश लगते हैं।
2 तेरे दांत ऊन कतरी भेड़ों के झुण्ड के समान हैं, जो नहाने के बाद पानी से बाहर आई हैं, जिनके जुड़वा बच्चे हैं। उनमें से किसी का जोड़ा नहीं मरा है।
3 तेरे ओंठ मानो गुलाबी डोरी हैं। तेरा चेहरा अजब आकर्षक है। तेरे गाल नकाब के पीछे अनार की फांक के सदृश हैं।
4 तेरी गरदन दाऊद की मीनार जैसी लम्बी है, जो शस्त्रागार के लिए बनी है, जिसमें हजार ढालें टंगी हैं; ये योद्धाओं की ढालें हैं।
5 तेरे दो उरोज मानो दो मृग शावक हैं, मानो सोसन पुष्पों के मध्य चरते हुए मृग के दो जुड़वा बच्चे हैं।
6 ‘सन्ध्या पवन बहने से पूर्व छाया ढलने तक मैं गन्धरस के पहाड़ पर लोबान की पहाड़ी पर भाग जाऊंगा।
7 ‘ओ मेरी प्रियतमा! तेरा हर अंग सांचे में ढला है, तू निष्कलंक सुन्दरी है।
8 ओ वधू, मेरे साथ लबानोन से, लबानोन पहाड़ से भाग चल। अमाना शिखर से शनीर और हेर्मोन की चोटी से, सिंहों की मांदों से, तेंदुओं के पहाड़ों से भाग चल।
9 ‘ओ मेरी संगिनी, ओ मेरी दुलहन, तूने एक नजर में ही अपने कण्ठहार के एक ही हीरे से मेरा हृदय मोह लिया है।
10 ओ मेरी संगिनी, ओ मेरी दुलहन! तेरा प्यार कितना मीठा है, अंगूर से अधिक मधुर तेरा प्यार है।
11 ओ मेरी वधू, तेरे ओंठों से मधु टपकता है, तेरी जीभ के नीचे शहद और दूध की मिठास है। तेरे वस्त्रों की सुगन्ध मानो लबानोन की सुगन्ध है।
12 मेरी दुलहन उस वाटिका के सदृश है जिसका प्रवेश-द्वार बन्द है। वह प्रवेश-निषिद्ध उद्यान है! वह मुहरबन्द झरना है!
13 उस अनार उद्यान के सदृश तेरे कुंज हैं जो सर्वोत्तम फलों से लदा है, जिसमें मेहँदी और जटामासी,
14 जटामासी और केसर, लोबान, मुश्क और दालचीनी, तथा सब मुख्य मसालों के वृक्ष हैं।
15 तू उद्यान का झरना है, जीवनदायक जल का कुआं। तू लबानोन से निकली हुई जल-धारा है।’
16 ‘ओ उत्तरी पवन, जाग, ओ दक्षिणी पवन, आ। मेरे उद्यान में बहो, जिससे उसकी सुगन्ध दूर-दूर तक फैल जाए। तब मेरा प्रियतम, अपने उद्यान में आए, और उसके मधुर फल खाए।’