Psalms 92
1 हे सर्वोच्च प्रभु! भला है तेरी स्तुति करना; भला है तेरे नाम का गुणगान करना;
2 दस तार के वाद्य पर, वीणा पर, सितार के साथ राग के अनुसार, प्रात: तेरी करुणा, तथा रात में तेरी सच्चाई घोषित करना, कितना भला है!
3
4 हे प्रभु, तूने अपने कार्यों से मुझे आनन्दित किया है; मैं तेरे कार्यों का जयजयकार करूंगा जो तूने मेरे लिए किये हैं।
5 हे प्रभु, तेरे कार्य कितने महान हैं। तेरे विचार कितने गहन-गंभीर हैं!
6 नासमझ यह नहीं जानता और न मूर्ख यह समझता है
7 कि यद्यपि दुर्जन घास के सदृश हरे-भरे रहते हैं, समस्त कुकर्मी फलते-फूलते हैं, तो भी वे सदा-सर्वदा के लिए नष्ट हो जाएंगे,
8 किन्तु प्रभु, तू युग-युगान्त उन्नत है।
9 प्रभु, तेरे शत्रु, हां तेरे शत्रु मिट जाएंगे; समस्त कुकर्मी छिन्न-भिन्न हो जाएंगे।
10 तूने जंगली सांड़ के सींग के सदृश मेरा सिर ऊंचा किया है। तूने मुझपर ताजा तेल उण्डेला है ।
11 मेरी आंखों ने अपने घातकों का पतन देखा, मेरे कानों ने उन कुकर्मियों के विनाश को सुना, जो मेरे विरुद्ध खड़े हुए थे।
12 धार्मिक व्यक्ति खजूर वृक्ष के समान फलते-फूलते हैं; वे लबानोन प्रदेश के देवदार-जैसे बढ़ते हैं।
13 वे प्रभु के गृह में रोपे गए हैं; वे हमारे परमेश्वर के आंगनों में फलते-फूलते हैं।
14 वे वृद्धावस्था में भी फलते हैं; वे सदा रसमय और हरे-भरे रहते हैं,
15 जिससे वे यह घोषित कर सकें कि प्रभु सच्चा है; वह हमारी चट्टान है; उसमें लेशमात्र भी अधार्मिकता नहीं है।