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Psalms 90

:
Hindi - CLBSI
1 हे स्‍वामी, तू पीढ़ी से पीढ़ी हमारे लिए आश्रय-स्‍थल बना हुआ है।
2 पर्वतों के उत्‍पन्न होने के पहिले, तेरे द्वारा संसार की सृष्‍टि होने के पूर्व, युग-युगान्‍त से तू ही परमेश्‍वर है।
3 तू मनुष्‍य को मिट्टी में लौटा देता है; तू यह कहता है, “ओ मानव-पुत्र, लौट जा!”
4 तेरी दृष्‍टि में हजार वर्ष भी बीते कल के समान हैं, वे रात के एक पहर के सदृश हैं।
5 तू मनुष्‍यों को बहा ले जाता है; वे मानो स्‍वप्‍न हैं, वे घास के सदृश हैं जो प्रात: काल लहलहाती है:
6 वह प्रात: काल फूलती और लहलहाती है, किन्‍तु संध्‍या को मुर्झाकर सूख जाती है।
7 हम तेरे क्रोध से भस्‍म हो गए हैं; तेरे रोष से हम भयभीत हैं।
8 तूने अपने सम्‍मुख हमारे अधर्म के कार्यों को, अपने मुख की ज्‍योति में हमारे गुप्‍त पापों को रखा है।
9 तेरे क्रोध में हमारे दिन कटते हैं; हम अपने जीवन के वर्षों को आह भरते हुए बिताते हैं।
10 हमारी आयु के वर्ष सत्तर हैं; यदि वे बल के कारण अस्‍सी भी हो जाएं, तोभी उनकी अवधि दु:ख और कष्‍ट में बीतती है। वे अविलम्‍ब व्‍यतीत हो जाते हैं और हमारे प्राण-पखेरू उड़ जाते हैं।
11 तेरे कितने भक्‍त तेरे क्रोध की शक्‍ति को जान सकते हैं; तेरे रोष को कौन अनुभव कर सकता है?
12 अत: प्रभु, हमें सिखा कि हमारी आयु के दिन कितने कम हैं; और यों हम बुद्धिमत्तापूर्ण मन प्राप्‍त करें।
13 हे प्रभु, लौट आ! कब तक? तू अपने सेवकों पर दया कर।
14 तू प्रात: काल अपनी करुणा से हमें तृप्‍त कर, जिससे हम जीवन भर जयजयकार करें, और आनन्‍द मनाएं।
15 जितने दिन तूने हमें पीड़ित किया, जितने वर्ष हमने दु:ख भोगा उतने ही समय तक हमें आनन्‍दित कर।
16 तेरे कार्य तेरे सेवकों पर, तेरा प्रताप उनकी सन्‍तान पर प्रकट हो!
17 हमारे स्‍वामी परमेश्‍वर की कृपा हम पर हो; जो कार्य हम करते हैं, उन्‍हें सफल कर। निश्‍चय प्रभु, तू हमारे कार्यों को सफल कर।