Psalms 9
1 प्रभु, मैं सम्पूर्ण हृदय से तेरा गुणगान करूंगा; मैं तेरे अद्भुत कार्यों का वर्णन करूंगा।
2 मैं तुझ में हर्षित होऊंगा, मैं प्रफुल्लित होऊंगा; हे सर्वोच्च प्रभु, मैं तेरे नाम की स्तुति गाऊंगा।
3 मेरे शत्रुओं ने पीठ दिखाई, वे तेरी उपस्थिति में लड़खड़ाकर गिर पड़े और मर मिटे।
4 तूने मेरा न्याय किया, मेरे पक्ष में निर्णय दिया। तूने सिंहासन पर बैठ कर सच्चाई से न्याय किया।
5 तूने राष्ट्रों को डांटा, और दुर्जनों को नष्ट किया; तूने उनका नाम सदा-सर्वदा कि लिए मिटा दिया।
6 तूने उनके नगर जड़ से उखाड़ दिए; शत्रु अनन्त खण्डहरों में लुप्त हो गए; उनके स्मृति-चिह्न ही मिट गए।
7 एक महानाद सुनाई पड़ा: प्रभु सिंहासन पर युग-युगांत विराजमान है; उसने अपना सिंहासन न्याय के लिए स्थापित किया है।
8 वह संसार का न्याय धार्मिकता से करता है, वह लोगों का न्याय निष्पक्षता से करता है,
9 प्रभु उत्पीड़ित व्यक्ति के लिए गढ़ है; वह संकट में शरण-स्थल है।
10 प्रभु, तेरे नाम को जानने वाले तुझ पर भरोसा करते हैं; क्योंकि तू उन लोगों को नहीं छोड़ता है, जो तुझको खोजते हैं।
11 सियोन पर विराजने वाले प्रभु का गुणगान करो; जाति-जाति के लोगों में उसके कार्य प्रकट करो।
12 प्रभु पीड़ित को स्मरण रखता है। वह उसकी आह नहीं भूलता है। क्योंकि वह हत्या का प्रतिशोध लेने वाला प्रभु है!
13 प्रभु, मुझ पर अनुग्रह कर। तू ही मृत्यु-द्वार से मुझे ऊपर उठाता है। देख मेरी पीड़ा को, जो मेरे शत्रु मुझे दे रहे हैं।
14 तब मैं तेरे समस्त गुणों का वर्णन करूंगा, और सियोन नगरी के द्वारों पर तेरे उद्धार से आनन्दित होऊंगा।
15 राष्ट्र उस गड्ढे में गिर पड़े, जो उन्होंने खोदा था, वे स्वयं उस जाल में फंस गए, जो उन्होंने बिछाया था।
16 प्रभु ने स्वयं को प्रकट किया, उसने न्याय किया, दुर्जन अपने ही कर्मों के जाल में फंस गए। हिग्गायोन सेलाह
17 दुर्जन मृतक लोक में जाएंगे, और परमेश्वर को भूलने वाले राष्ट्र भी।
18 दरिद्र सदा विस्मृत न रहेंगे, और पीड़ित की आशा सदैव टूटती न रहेगी।
19 प्रभु, उठ! मनुष्य को प्रबल न होने दे, तेरे सम्मुख राष्ट्रों का न्याय किया जाए।
20 प्रभु, उन्हें भयभीत कर, जिससे राष्ट्र जान लें कि वे केवल मनुष्य हैं। सेलाह