Psalms 88
1 हे प्रभु, मेरे उद्धारकर्ता परमेश्वर, मैं तेरे समक्ष दिन-रात दुहाई देता हूँ।
2 मेरी प्रार्थना तेरे सम्मुख पहुंचे; तू मेरी विलाप-ध्वनि पर कान दे।
3 मेरा प्राण संकटों से भर गया है; मेरा जीव मृतक-लोक के निकट पहुंच रहा है।
4 मैं कबर में जाने वालों में गिना गया हूँ; मैं शक्तिहीन पुरुष के समान हूँ,
5 मैं मृतकों में भी परित्यक्त जैसा हूँ, कबर में पड़े उन वध किए हुओं के समान हूँ, जिनको तू कभी स्मरण नहीं करता, जिनके सिर से तेरा हाथ उठ गया है।
6 तूने मुझे कबर के गर्त्त में, अंधकारमय, गहरे स्थान में डाल दिया है।
7 तेरे क्रोध ने मुझे दबा लिया है; अपनी समस्त लहरों से तू मुझे डुबा रहा है। सेलाह
8 तूने मेरे परिचितों को मुझ से दूर कर दिया है, उनके लिए मुझे घृणा का पात्र बना दिया है। मैं बन्दी हूँ, और भाग नहीं सकता;
9 पीड़ा के कारण मेरी आंखें धुंधली पड़ रही हैं। हे प्रभु, मैं तुझको प्रतिदिन पुकारता हूँ, अपने हाथ तेरी ओर फैलाता हूँ।
10 क्या तू मृतकों के लिए आश्चर्यपूर्ण कर्म करता है? क्या मुर्दे उठ कर तेरी स्तुति करते हैं? सेलाह
11 क्या कबर में तेरी करुणा का, विनाश-लोक में तेरी सच्चाई का वर्णन हो सकता है?
12 क्या अन्धकार में तेरे आश्चर्यपूर्ण कर्मों को, विस्मृति के गर्भ में तेरी धार्मिकता को प्रकट किया जा सकता है?
13 प्रभु, मैं तेरी दुहाई देता हूं; प्रात: मेरी प्रार्थना तेरे समक्ष पहुंचती है।
14 हे प्रभु, तू क्यों मुझे त्याग रहा है? क्यों तू अपना मुख मुझसे छिपा रहा है?
15 मैं पीड़ित हूँ और बचपन से ही रोगी हूँ; मैं मृत्यु के निकट हूँ; मैं तेरा आतंक सहता हूँ; मैं निस्सहाय हूँ।
16 तेरे क्रोध की लपटों ने मुझे घेर लिया है, तेरा आतंक मुझे नष्ट कर रहा है;
17 वे जल-प्रवाह के समान मुझे निरन्तर घेरे हुए हैं; उन्होंने मिलकर मुझे घेर लिया है।
18 तूने मेरे प्रिय मित्र और साथी को मुझसे दूर कर दिया है; अब अन्धकार ही मेरा साथी है।