Psalms 84
1 हे स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु, तेरा निवास-स्थान कितना मनोहर है!
2 प्रभु के आंगनों के लिए मेरा प्राण इच्छुक है, मूर्छित है; मेरा हृदय, मेरा शरीर जीवंत परमेश्वर का जय-जयकार करता है।
3 हे स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु, मेरे राजा, मेरे परमेश्वर, गौरेया ने भी बसेरा पा लिया; आबाबील ने तेरी वेदियों पर घोंसला बनाया; वहां वह अपने बच्चे रखती है।
4 धन्य हैं तेरे भवन में रहनेवाले; वे तेरी स्तुति निरंतर करते हैं।
5 धन्य हैं वे मनुष्य, जिनकी शक्ति तू है, जिनके हृदय में सियोन को जानेवाला राजमार्ग अंकित है।
6 जब वे शुष्क-प्रदेश से होकर जाते हैं, तब उसे हराभरा बना देते हैं, शरत्कालीन वर्षा भी आशिषों से उसे विभूषित करती है।
7 वे नये उत्साह से बढ़ते जाते हैं; परमेश्वर उन्हें सियोन में दर्शन देगा।
8 हे प्रभु, स्वर्गिक सेनाओं के परमेश्वर, मेरी प्रार्थना सुन; हे इस्राएल के परमेश्वर, मेरी बात पर कान दे। सेलाह
9 हे परमेश्वर, हमारी ढाल को देख; अपने अभिषिक्त राजा के मुख पर दृष्टि डाल!
10 तेरे आंगनों में एक दिन रहना अन्यत्र हजार दिन रहने से श्रेष्ठ है। दुष्टता के शिविर में निवास करने की अपेक्षा अपने परमेश्वर के भवन के द्वार पर खड़ा रहना ही मुझे प्रिय है।
11 प्रभु परमेश्वर सूर्य और ढाल है, वह अनुग्रह और महिमा प्रदान करता है। जो सिद्ध मार्ग पर चलते हैं, प्रभु उनसे भली वस्तुएं नहीं रोकता।
12 हे स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु! धन्य है वह मनुष्य, जो तुझ पर भरोसा करता है!