Psalms 79
1 हे परमेश्वर, तेरे अधिकार क्षेत्र में विधर्मी घुस आए हैं; उन्होंने तेरे पवित्र भवन को अपवित्र कर दिया है; उन्होंने यरूशलेम को खंडहर बना दिया है।
2 उन्होंने तेरे सेवकों की लाशों को आकाश के पक्षियों का आहार बनने के लिए, तेरे भक्तों का मांस पृथ्वी के पशुओं को खाने के लिए दिया है।
3 यरूशलेम के चारों ओर उन्होंने उनका रक्त पानी के समान बहाया है; उन्हें मिट्टी देनेवाला कोई नहीं है।
4 हम पड़ोसी देशों की निन्दा के पात्र बन गए हैं; हम चारों ओर की कौमों के लिए उपहास और तिरस्कार के पात्र हैं।
5 हे प्रभु, कब तक? क्या तू निरंतर क्रोध करता रहेगा? कब तक तेरी ईष्र्या अग्नि जैसी जलती रहेगी?
6 उन राष्ट्रों पर, जो तुझको नहीं जानते, उन राज्यों पर, जो तेरा नाम ही नहीं लेते, अपना क्रोध उण्डेल।
7 उन्होंने तेरी प्रजा इस्राएल को निगल लिया है, उसके निवास स्थान को उजाड़ दिया है।
8 हमारे पूर्वजों के अधर्म को हमारे विरुद्ध स्मरण न कर; तेरी दया हमें शीघ्र उपलब्ध हो; क्योंकि हमारी बहुत दुर्दशा की गई है।
9 हे हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर, अपने नाम की महिमा के लिए हमारी सहायता कर; अपने नाम के निमित्त हमें मुक्त कर, और हमारे पापों को ढांप दे।
10 क्यों राष्ट्र यह कहें, ‘उनका परमेश्वर कहां है?’ तेरे सेवकों के बहाए गए रक्त का प्रतिशोध हमारी आंखों के सामने, राष्ट्रों पर प्रकट किया जाए।
11 बन्दियों की कराह तेरे सन्मुख पहुंचे; अपने महान सामर्थ्य से हमें बचा; हम मृत्यु का ग्रास बनने को हैं।
12 हे स्वामी, जिस निन्दा द्वारा हमारे पड़ोसियों ने तुझको निन्दित किया है, उसका सात गुना उनके माथे पर लौटा।
13 तब हम− तेरी प्रजा और तेरे चरागाह की भेड़ें− सदा तेरी सराहना करते रहेंगे। हम पीढ़ी से पीढ़ी तक तेरे यश का वर्णन करेंगे।