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Psalms 64

:
Hindi - CLBSI
1 हे परमेश्‍वर, संकट में मेरी पुकार सुन, शत्रु के आतंक से मेरे जीवन की रक्षा कर।
2 दुर्जनों की गुप्‍त गोष्‍ठी से, कुकर्मियों के षड्‍यन्‍त्र से मुझे छिपा।
3 उन्‍होंने अपनी जीभ को तलवार के समान चोखा किया है, उन्‍होंने कटु वचन-रूपी बाण संधान किया है,
4 कि उसको गुप्‍त स्‍थानों में निर्दोष व्यक्‍ति पर छोड़ें। वे अचानक उस पर बाण छोड़कर डरते भी नहीं हैं।
5 वे दुष्‍प्रयोजन को पूर्ण करने का साहस करते हैं। वे जाल बिछाने के लिए छिपकर वार्तालाप करते हैं, वे यह कहते हैं, “हमें कौन देख सकता है?”
6 उन्‍होंने दुष्‍कर्मों की योजना बनाई है उन्‍होंने सोच-समझ कर कुचक्र रचा है। मनुष्‍य का अन्‍त:करण और हृदय गहन- गंभीर है!
7 परमेश्‍वर उन पर बाण छोड़ेगा; वे अचानक घायल हो जाएंगे।
8 स्‍वयं उनकी जीभ उनका विनाश करेगी; उनको देखने वाले सब लोग सिर हिलाएंगे।
9 तब सब मनुष्‍य भयभीत होंगे, और परमेश्‍वर के कार्य को घोषित करेंगे, और उनके व्‍यवहार को समझेंगे।
10 भक्‍त प्रभु में आनन्‍दित हों, और उसकी शरण में आएं; निष्‍कपट हृदय वाले सब मनुष्‍य प्रभु की महिमा करें।