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Psalms 28

:
Hindi - CLBSI
1 हे प्रभु, मैं तुझको ही पुकारता हूँ; हे मेरी चट्टान, मेरी पुकार अनसुनी कर; ऐसा हो कि तू चुप रहे, और मैं मृतक लोक को जाने वालों के समान मृतक हो जाऊं।
2 जब मैं सहायता के लिए तुझ को पुकारूँ, जब मैं तेरे पवित्र मन्‍दिर के अन्‍तर्गृह की ओर हाथ फैलाऊं, तब मेरी विनती सुन।
3 तू मुझे दुर्जनों और कुकर्मियों के साथ दूर कर। वे पड़ोसियों से शांति की बातें तो करते हैं; पर अपने हृदय में बुराई रखते हैं।
4 उनके कामों के अनुसार, उनके कर्मों की बुराई के अनुसार तू उन्‍हें प्रतिफल दे; उनके हाथ के कामों के अनुसार उन्‍हें प्रतिफल दे; उन्‍हें उनकी करनी का फल दे।
5 वे प्रभु के कार्यों पर ध्‍यान देते हैं, और उसके हस्‍तकार्यों पर; अतएव प्रभु उन्‍हें नष्‍ट कर देगा; वह उनका पुन: निर्माण नहीं करेगा।
6 प्रभु को धन्‍य कहो; क्‍योंकि उसने मेरी विनती सुनी है।
7 प्रभु मेरी शक्‍ति और ढाल है। उस पर ही मैं भरोसा करता हूँ। अत: मुझे सहायता मिली है। मेरा हृदय हर्षित होता है; और मैं अपने गीतों द्वारा उसकी स्‍तुति करता हूँ।
8 प्रभु अपने निज लोगों की शक्‍ति है; वह अपने अभिषिक्‍त राजा के लिए उद्धार का दृढ़ आश्रय है।
9 प्रभु, अपने लोगों का उद्धार कर; अपनी मीरास को आशिष दे; तू उनका मेषपाल बन और उन्‍हें युग-युग तक संभाल।