Psalms 145
1 हे मेरे परमेश्वर, हे राजा, मैं तेरा गुणगान करूंगा; मैं युग-युगान्त तेरे नाम को धन्य कहूंगा।
2 प्रतिदिन मैं तुझको धन्य कहूंगा; मैं युग-युगान्त तेरे नाम की स्तुति करूंगा।
3 प्रभु महान् है, वह अत्यन्त स्तुत्य है; प्रभु की महानता अगम है।
4 एक पीढ़ी दूसरी पीढ़ी को तेरे कार्य बताएगी; तेरे महान् कार्यों को घोषित करेगी।
5 मैं तेरे ऐश्वर्य की महिमा के प्रताप का, तेरे आश्चर्यपूर्ण कामों का ध्यान करूंगा।
6 लोग तेरे आतंकपूर्ण कार्यों की शक्ति की चर्चा करेंगे; और मैं तेरी महानता का वर्णन करूंगा।
7 वे तेरी अपार भलाई की कीर्ति की चर्चा करेंगे; तेरी धार्मिकता का जय-जयकार करेंगे।
8 प्रभु कृपालु और दयालु, विलम्ब-क्रोधी और अपार करुणामय है।
9 प्रभु सबके प्रति भला है; उसकी दया उसकी समस्त सृष्टि पर व्याप्त है।
10 हे प्रभु, तेरी समस्त सृष्टि तेरी सराहना करेगी, तेरे भक्त तुझको धन्य कहेंगे!
11 वे तेरे राज्य की महिमा की चर्चा करेंगे; वे तेरे सामर्थ्य की बातें करेंगे,
12 वे मनुष्य-जाति पर तेरे महान् कार्य, और तेरे राज्य के प्रताप की महिमा प्रकट करेंगे।
13 तेरा राज्य शाश्वत राज्य है, तेरा शासन पीढ़ी से पीढ़ी बना रहता है। प्रभु अपने सब वचनों को पूर्ण करता है; वह विश्वास योग्य है। प्रभु अपने सब कार्यों को पूरा करता है, वह कृपालु है।
14 प्रभु गिरते हुओं को सहारा देता है, वह झुके हुओं को उठाता है।
15 प्रभु, सब प्राणियों की आंखें तेरी ओर लगी रहती हैं, और तू उन्हें समय पर उनका भोजन देता है।
16 तू अपनी मुट्ठी खोलता है, और सब प्राणियों की इच्छा को सन्तुष्ट करता है।
17 प्रभु अपने समस्त आचरण में धार्मिक, और अपने सब कार्यों में करुणामय है।
18 प्रभु अपने समस्त पुकारने वालों के समीप है, वह उन सबके निकट है, जो सच्चाई से उसको पुकारते हैं।
19 वह अपने भक्तों की इच्छा पूर्ण करता है, वह उनकी दुहाई सुनता और उन्हें बचाता है।
20 प्रभु उन सबकी रक्षा करता है, जो उनसे प्रेम करते हैं, पर वह समस्त दुर्जनों को नष्ट करता है।
21 मैं अपने ओंठों से प्रभु की स्तुति करूंगा; समस्त प्राणी प्रभु के पवित्र नाम को युग-युगान्त धन्य कहते रहें!