Psalms 143
1 हे प्रभु, मेरी प्रार्थना सुन, मेरी विनती पर कान लगा; अपनी सच्चाई और धार्मिकता के अनुरूप मुझे उत्तर दे।
2 हे प्रभु, अपने सेवक के साथ न्याय में प्रवेश न कर; क्योंकि एक भी प्राणी तेरी दृष्टि में धार्मिक नहीं है।
3 शत्रु ने मेरा पीछा किया, मेरे जीव को भूमि पर कुचल दिया, उसने मुझे अंधेरे स्थान मैं बैठा दिया मानो मैं बहुत दिन का मरा हुआ व्यक्ति हूं।
4 मेरी आत्मा मूर्छित है; मेरा हृदय व्याकुल है।
5 मैं अतीत के दिनों को स्मरण करता हूं, मैं तेरे सब कार्यों का ध्यान करता हूं; मैं तेरे हस्तकार्यों का चिन्तन करता हूं।
6 मैं तेरी ओर अपने हाथ फैलाता हूं; सूखी भूमि के समान मेरा प्राण तेरे लिए प्यासा है। सेलाह
7 हे प्रभु, अविलम्ब मुझे उत्तर दे, मेरी आत्मा मिटने पर है, अपना मुख मुझसे न छिपा अन्यथा मैं कबर में जानेवालों के समान मृत हो जाऊंगा।
8 प्रभु, प्रात:काल अपनी करुणा के वचन मुझे सुना; मैं तुझपर ही भरोसा करता हूं। जिस मार्ग पर मुझे चलना चाहिए, प्रभु, वह मार्ग मुझे सिखा; क्योंकि मैं तेरा ही ध्यान करता हूं।
9 हे प्रभु, मेरे शत्रुओं से मुझे मुक्त कर। तुझमें ही मैंने स्वयं को छिपाया है।
10 तेरी इच्छा को पूर्ण करना मुझे सिखा; क्योंकि तू ही मेरा परमेश्वर है, तेरा भला आत्मा मुझे सुरक्षित स्थान पर ले जाएगा।
11 हे प्रभु, अपने नाम के लिए, मुझे पुनर्जीवित कर; अपनी धार्मिकता के अनुरूप मुझे संकट से निकाल!
12 अपनी करुणा के अनुरूप मेरे शत्रुओं का विनाश कर, मेरे प्राण के बैरियों को मिटा, क्योंकि मैं तेरा सेवक हूं।