Psalms 132
1 हे प्रभु, दाऊद के हित में उसकी समस्त कठिनाइयों को स्मरण कर;
2 प्रभु, उसने तेरी शपथ खाई है, उसने याकूब के सर्वशक्तिमान प्रभु की यह मन्नत मानी है:
3 ‘मैं अपने घर में प्रवेश नहीं करूंगा, और न बिछे हुए बिस्तर पर लेटूंगा;
4 मैं अपनी आंखों में नींद नहीं आने दूंगा, और न अपनी पलकों को झपकियां लेने दूंगा,
5 जब तक मैं प्रभु के लिए एक स्थान, याकूब के सर्वशक्तिमान प्रभु के लिए एक निवास-स्थान प्राप्त न कर लूं।’
6 देखो, हमने मंजूषा के विषय में एप्राताह नगर में सुना; और हमने उसको यअर के मैदान में पाया।
7 आओ, हम प्रभु के निवास-स्थान में प्रवेश करें, आओ, हम उसकी चरणों की चौकी के सम्मुख वन्दना करें।
8 हे प्रभु, उठ! तू और तेरे सामर्थ्य की मंजूषा अपने विश्राम-स्थान को जाएं।
9 तेरे पुरोहित धार्मिकता से विभूषित हों, तेरे भक्त जय-जयकार करें।
10 अपने सेवक दाऊद के लिए हमारी प्रार्थना सुन; तू अपने अभिषिक्त राजा को अस्वीकार मत कर।
11 प्रभु ने दाऊद से सत्य शपथ खाई है, वह उससे विमुख न होगा; ‘तेरे निज पुत्रों में से एक पुत्र को मैं तेरे सिंहासन पर बैठाऊंगा।
12 यदि तेरे पुत्र मेरे विधान और साक्षी का पालन करेंगे, जो मैं उन्हें सिखाऊंगा, तो उनके पुत्र भी युग-युगान्त तेरे सिंहासन पर बैठेंगे।’
13 प्रभु ने सियोन को चुना है; उसको अपना निवास-स्थान बनाने की इच्छा की है:
14 ‘यह युग-युगान्त मेरा विश्राम स्थल होगा; यहां मैं रहूंगा; क्योंकि मैंने इसकी इच्छा की है।
15 मैं इस नगर की भोजन-व्यवस्था को आशिष दूंगा; मैं इसके दरिद्रों को रोटी से तृप्त करूंगा।
16 मैं इसके पुरोहितों को उद्धार से विभूषित करूंगा, इसके भक्त ऊंचे स्वर से जय-जयकार करेंगे।
17 यहां मैं दाऊद के लिए वंश-वृक्ष उत्पन्न करूंगा; मैंने अपने अभिषिक्त के लिए वंश-दीपक तैयार किया है।
18 मैं दाऊद के शत्रुओं को लज्जित करूंगा; पर दाऊद का मुकुट उस पर सदा सुशोभित होगा।’