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Psalms 11

:
Hindi - CLBSI
1 मैं प्रभु शरण में आया हूँ। फिर तुम मेरे प्राण से कैसे कह सकते हो, “पंछी, अपने पर्वत को उड़ जा!
2 देख, दुर्जनों ने धनुष चढ़ाया है; उन्‍होंने प्रत्‍यंचा पर बाण रखे हैं कि अंधकार में सत्‍यनिष्‍ठ लोगों पर छोड़ें।
3 यदि आधार ही नष्‍ट हो गया, तो धार्मिक मनुष्‍य क्‍या कर सकता है?”
4 प्रभु अपने पवित्र मंदिर में है, प्रभु का सिंहासन स्‍वर्ग में है। उसकी आंखें मानव-संतान को निहारती हैं, उसकी पलकें उनको जांचती हैं।
5 प्रभु धार्मिक और दुर्जन को परखता है, उसकी आत्‍मा हिंसा-प्रिय लोगों से घृणा करती है।
6 वह दुर्जनों पर अंगार और गंधक की वर्षा करेगा; झुलसाने वाली प्रचण्‍ड लू उन्‍हें झेलनी पड़ेगी
7 प्रभु धर्ममय है, उसे धार्मिक कार्य प्रिय हैं; धर्मपरायण व्यक्‍ति उसके मुख का दर्शन करेंगे।