Bible

Engage

Your Congregation Like Never Before

Try RisenMedia.io Today!

Click Here

Proverbs 23

:
Hindi - CLBSI
1 यदि तुम उच्‍च पदाधिकारी के साथ भोजन करने के लिए बैठोगे तो ध्‍यान में रखना कि तुम्‍हारे सामने कौन बैठा है।
2 यदि तुम बहुत भोजन खाते हो तो उस समय थोड़ा ही खाना।
3 उसकी स्‍वादिष्‍ट चीजों का लालच मत करना, क्‍योंकि वह धोखे का भोजन है।
4 पूंजीपति बनने के लिए अपना पसीना मत बहाना; इस लोभ से बचने में ही बुद्धिमानी है।
5 धन-सम्‍पत्ति चंचल होती है, पलक झपकते वह हाथ से निकल जाती है; मानो उसको पंख उग आते हैं, और वह गरुड़ के समान तीव्र गति से आकाश की ओर उड़ जाती है।
6 कंजूस मनुष्‍य की रोटी मत खाना, और उसके स्‍वादिष्‍ट भोजन का लालच करना;
7 क्‍योंकि वह मुंह से तो कहता है, ‘खाइये, खाइये।’ पर वह मन में कुढ़ता है, और हृदय से तुम्‍हारा स्‍वागत नहीं करता।
8 जो कौर तुम खाओगे, उसको तुम उगल दोगे; कंजूस से की गई तुम्‍हारी मीठी बातें भी व्‍यर्थ हो जाएंगी।
9 तुम मूर्ख मनुष्‍य से ज्ञान की बातें मत कहना, क्‍योंकि वह तुम्‍हारे वचनों को तुच्‍छ समझेगा।
10 दूसरे की भूमि को हड़पने के लिए पुराना सीमा-चिह्‍न मत हटाना; और अनाथ बच्‍चे के खेतों को हड़पना।
11 क्‍योंकि उनको छुड़ानेवाला प्रभु बलवान है; वह तुम्‍हारे विरुद्ध और उनके पक्ष में मुकद्दमा लड़ेगा।
12 शिक्षा में मन लगाना और ज्ञान की बातों पर ध्‍यान देना।
13 बालक को दण्‍ड देने में मत हिचकना; यदि तुम उसको छड़ी से मारोगे, तो वह मर नहीं जाएगा;
14 बल्‍कि तुम उसको छड़ी से मार कर उसका प्राण अधोलोक में पड़ने से बचाओगे।
15 मेरे पुत्र, यदि तेरे हृदय में बुद्धि का निवास है तो मेरा हृदय भी आनन्‍दित होगा।
16 जब तेरे मुंह से विवेकपूर्ण बातें निकलती हैं, तब मेरी आत्‍मा हर्षित होती है।
17 मेरे पुत्र, पापियों की सफलता को देखकर उनसे ईष्‍र्या मत करना; परन्‍तु प्रति दिन प्रभु की भक्‍ति निरन्‍तर करते रहना।
18 निस्‍सन्‍देह सुबह फिर होगी, और तेरी आशा पर तुषार-पात होगा।
19 मेरी बातों को सुन, और बुद्धिमान बन। सदाचरण पर मन लगा।
20 शराबियों के साथ मत रह, और उनके साथ जो मांस खूब खाते हैं।
21 क्‍योंकि शराबी और पेटू आदमी अपनी आदत से गरीब हो जाते हैं; उनकी उंघाई उनको फटे चीथड़े पहना देती है।
22 मेरे पुत्र, जिसने तुझे उत्‍पन्न किया है, उस पिता की बात पर ध्‍यान देना; जब तेरी मां बूढ़ी हो जाए तब भी उसकी उपेक्षा मत करना।
23 सच्‍चाई को बेचना नहीं, वरन् उसको खरीदना; बुद्धि, शिक्षा और समझ को मोल लेना।
24 धार्मिक पुत्र का पिता उसके कारण अत्‍यन्‍त आनन्‍द मनाता है, निस्‍सन्‍देह जिस पिता ने बुद्धिमान पुत्र को उत्‍पन्न किया है, वह हर्षित होता है।
25 मेरे पुत्र, तेरे कारण तेरे माता-पिता आनन्‍द मनाएँ; तुझे जन्‍म देनेवाली मां हर्षित हो।
26 मेरे पुत्र, अपना मन मेरी ओर लगा; तेरी दृष्‍टि मेरे आचरण पर लगी रहे।
27 वेश्‍या मानो गहरा गड्ढा है। व्‍यभिचारिणी स्‍त्री अन्‍धे कुंए के समान है।
28 वह लुटेरे के समान घात लगाकर बैठती है; उसके कारण अनेक पुरुष पत्‍नी से विश्‍वासघात करते हैं।
29 कौन दु:खी है? कौन शोक मनाता है? कौन लड़ाई-झगड़ा करता है? कौन शिकायत करता है? अकारण ही कौन घायल होता है? किसकी आंखें लाल रहती हैं?
30 वे, जो देर तक शराब पीते हैं, जो मसाला-मिश्रित मदिरा की तलाश में यहां-वहां भटकते हैं।
31 लाल-लाल शराब की ओर नज़र मत उठाना; क्‍योंकि जब वह प्‍याले में ढाली जाती है तब सीधे पेट में उतर जाती है।
32 तब अन्‍त में वह सांप के सदृश डसती है, करैत सर्प के समान काटती है।
33 शराब पीने के बाद तुझे आंखों से विचित्र वस्‍तुएं दिखाई देंगी; तू उलटी-सीधी बातें कहेगा।
34 तुझे ऐसा अनुभव होगा मानो तू समुद्र के तल में पड़ा है, मानो तू मस्‍तूल की चोटी पर खड़ा है।
35 तू कहेगा, ‘लोगों ने मुझे मारा, पर मुझे चोट नहीं लगी। उन्‍होंने मुझे पीटा लेकिन मुझे पीड़ा नहीं हुई। मुझे होश कब होगा कि मैं दूसरा पैग पीऊं?’