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Proverbs 19

:
Hindi - CLBSI
1 जो गरीब मनुष्‍य सच्‍चाई के मार्ग पर चलता है, वह उस मूर्ख मनुष्‍य से श्रेष्‍ठ है जो छल-कपट की बातें करता है।
2 मनुष्‍य का ज्ञानरहित रहना उचित नहीं है; जो मनुष्‍य बिना सोच-विचार के दौड़ता है, वह मार्ग से चूक जाता है।
3 मनुष्‍य अपनी मूर्खता से अपने काम बिगाड़ता है, पर उसका हृदय क्रोध में प्रभु के प्रति भड़क उठता है।
4 धन के कारण अनेक नए-नए मित्र बन जाते हैं; किन्‍तु गरीब का मित्र भी उसको छोड़ देता है।
5 झूठी गवाही देनेवाला अवश्‍य दण्‍ड पाएगा। जो झूठ बोलता है, वह दण्‍ड से बच नहीं सकता।
6 उदार मनुष्‍य की कृपा चाहनेवाले अनेक लोग होते हैं; जो मनुष्‍य धन लुटाता है, उसके मित्र सब बनना चाहते हैं।
7 जब गरीब मनुष्‍य के भाई ही उससे घृणा करते हैं, तब आश्‍चर्य नहीं, उसके मित्र उससे दूर हो जाएं। वह बातचीत के द्वारा उनको मनाता है, पर वह उनकी मित्रता नहीं पाता।
8 बुद्धि को प्राप्‍त करनेवाला मानो स्‍वयं से प्रेम करता है; समझदार व्यक्‍ति निस्‍सन्‍देह सफल होता है।
9 झूठी गवाही देनेवाला अवश्‍य दण्‍ड पाएगा; जो झूठ बोलता है, वह निस्‍सन्‍देह नष्‍ट हो जाएगा।
10 जब मूर्ख मनुष्‍य का शान-शौकत से रहना नहीं फबता, तब गुलाम मनुष्‍य का शासकों पर शासन करना कैसे फब सकता है?
11 जो मनुष्‍य सद्बुद्धि से काम लेता है, वह विलम्‍ब से क्रोध करता है; दूसरे के अपराध को भुलाना, उसको शोभा देता है।
12 राजा का क्रोध सिंह की दहाड़ के समान भयानक होता है; पर उसकी कृपा घास पर पड़ी ओस की बून्‍द के सदृश जीवनदायक होती है।
13 मूर्ख संतान पिता के विनाश का कारण होती है; पत्‍नी का लड़ाई-झगड़ा करना मानो घर की छत से लगातार पानी का टपकना है।
14 मकान और धन-सम्‍पत्ति पूर्वजों से प्राप्‍त होती है; किन्‍तु बुद्धिमति पत्‍नी केवल प्रभु ही देता है।
15 आलस्‍य करने से मनुष्‍य गहरी नींद में सो जाता है, निस्‍सन्‍देह आलसी मनुष्‍य सदा भूखा ही रहता है।
16 जो मनुष्‍य परमेश्‍वर की आज्ञा का पालन करता है; वह अपने प्राण की रक्षा करता है; प्रभु के वचन की उपेक्षा करनेवाला निस्‍सन्‍देह मर जाता है।
17 जो गरीब को दान करता है वह मानो प्रभु को उधार देता है; प्रभु उसको इस कार्य का प्रतिफल देगा।
18 जब तक बच्‍चों के सुधार की आशा है, उनको ताड़ना देकर सुधारो; उनको सुधारना मानो उनको विनाश के गड्ढे में डालना है।
19 जो मनुष्‍य बड़ा क्रोधी है, उसे क्रोध का फल भोगना ही पड़ेगा; यदि तुम उसे एक बार बचाओगे, तो उसे बार-बार बचाना पड़ेगा।
20 सलाह को मानो, शिक्षा को ग्रहण करो; जिससे तुम आगे के लिए बुद्धिमान बन सको।
21 मनुष्‍य अपने मन में अनेक योजनाएं बनाता है; परन्‍तु प्रभु का अभिप्राय स्‍थिर रहता है।
22 मनुष्‍य में निष्‍ठा का होना एक उत्तम गुण है; झूठे आदमी से गरीब आदमी अच्‍छा होता है।
23 प्रभु की भक्‍ति करने से जीवन प्राप्‍त होता है; जो मनुष्‍य प्रभु की भक्‍ति करता है वह निश्‍चिंत निवास करता है, उस पर विपत्ति के बादल नहीं मंडराते।
24 जो मनुष्‍य आलसी है, वह अपना हाथ भोजन की थाली में डालता है, पर कौर को मुंह तक नहीं ले जाता।
25 ज्ञान की हंसी उड़ानेवाले को मारो; तब सीधा-सादा मनुष्‍य समझदार बनेगा; समझदार व्यक्‍ति को ताड़ना देने से वह और ज्ञान प्राप्‍त करता है।
26 जो पुत्र अपने पिता से कठोर व्‍यवहार करता है, और अपनी मां को घर से निकाल देता है, वह सब जगह अपमान और निंदा का पात्र बनता है।
27 प्रिय शिष्‍य! यदि तू शिक्षा की बातों की ओर कान बन्‍द कर लेगा, तो निस्‍सन्‍देह ज्ञान के द्वार तेरे लिए बन्‍द हो जाएंगे।
28 नीच गवाह न्‍याय की हंसी उड़ाता है; दुर्जन अधर्म को मानो हजम कर जाता है।
29 ज्ञान की हंसी उड़ानेवाला, निस्‍सन्‍देह दण्‍डित होगा; मूर्ख मनुष्‍य की पीठ पर कोड़ों का प्रहार होगा।